नहीं रहे वेलकम-हेराफेरी जैसी फिल्मों के प्रोड्यूसर एजी नाडियाडवाला, 91 की उम्र में ली आखिरी सांस

जानेमाने प्रोड्यूसर एजी नाडियाडवाला का निधन सोमवार सुबह निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उनका ब्रीच कैंडी अस्पताल में इलाज चल रहा था। इसी दौरान उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ। उनका अंतिम संस्कार सोमवार शाम को किया जाएगा।

Asianet News Hindi | Published : Aug 22, 2022 7:17 AM IST / Updated: Aug 22 2022, 01:30 PM IST

एंटरटेनमेंट डेस्क. बॉलीवुड प्रोड्यूसर अब्दुल गफ्फार नाडियाडवाला (Abdul Gaffar Nadidadwala) उर्फ ​​एजी नाडियाडवाला का आज यानी 22 अगस्त की सुबह निधन हो गया। वह 91 साल के थे। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था और इसी दौरान उनको कार्डियक अरेस्ट आया और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके बेटे निर्माता फिरोज नाडियाडवाला (Firoz Nadiadwala) ने मीडिया को बताया कि एजी नाडियाडवाला ने सुबह 1.40 बजे अंतिम सांस ली। रिपोर्ट्स की मानें तो सोमवार शाम करीब चार बजे जेवीपीडी स्क्रीम स्थित उनके आवास बरकत से अंतिम यात्रा शुरू होगी और अंतिम संस्कार इरला मस्जिद में किया जाएगा।


1984 से इंडस्ट्री  से जुड़े थे एजी नाडियाडवाला
गफ्फार भाई बॉलीवुड इंडस्ट्री से 1953 से जुड़े थे। उन्होंने पहली फिल्म धर्मेद्र और रेखा की झूठ सच प्रोड्यूस की थी। साथ ही उन्होंने एक्शन ड्रामा फिल्म लहू के दो रंग को भी प्रोड्यूस किया था। बता दें कि उन्होंने प्रियदर्शन के निर्देशन में बनी कॉमेडी फिल्म हेरा फेरी को भी प्रोड्यूस किया था, जो ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी। इसके अलावा वह वेकलम, आवारा पागल दीवाना, आ लगे लग जा, शंकर शंभु, वतन के रखवाले, सोने पे सुहागा जैसी कई फिल्मों को प्रोड्यूस किया था। उन्होंने अपने 69 साल के करियर में करीब 50 हिंदी फिल्मों को प्रोड्यूस किया। उन्होंने 1965 में प्रदीप कुमार और दारा सिंह वाली फिल्म महाभारत को भी प्रोड्यूस किया था। आज भी इस फिल्म को एक एपिक मूवी माना जाता है। बता दें कि एजी नाडियाडवाला के पिता एके नाडियाडवाला भी प्रोड्यूसर थे। वहीं उनके बेटे फिरोज नाडियाडवाला और चचेरे भआई साजिद नाडियाडवाला भी निर्माता ही है। हालांकि, साजिद का अलग प्रोडक्शन हाउस है। 


मायने रखता है फिल्म का बजट
फिल्म इंडस्ट्री के 60 साल के जश्न के दौरान 2015 में एक इंटरव्यू में एजी नाडियाडवाला ने कहा था- फिल्म के एथिक्स और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, हम फिल्म का बजट बनाते हैं, न कि दूसरे तरीके से गोल के जरिए। अपना खर्च कम करने से पहले हम कहानी और पटकथा को समझते हैं। भले ही हम थोड़ा और खर्च करें लेकिन यह सुनिश्चित करते हैं कि खर्च किया गया पैसा सेंसिबिलिटी और क्वालिटी पर हुआ हो।

 

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