यह कहानी एक मां और बेटी के पुनर्मिलन की है। 33 वर्षीय बेटी 15 साल पहले मानसिक बीमारी के चलते अपना घर-परिवार सब भूल गई। वो भटकते हुए पश्चिम बंगाल से छत्तीसगढ़ पहुंच गई। इस दौरान प्रशासन ने उसे मेंटल हॉस्पिटल भेज दिया। जब वो ठीक हुई, तब उसे अपनी मां और परिवार की याद आई। इसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की पहल पर उसके परिजनों को ढूंढ लिया गया। मां और बेटी जब गले मिले, तो देखकर दूसरे लोग भी भावुक हो उठे।
बिलासपुर, छत्तीसगढ़. अगर कोई मिसिंग हो जाए, तो बाकी लोग साल दो साल तक उसका इंतजार करते हैं। इसके बाद वे उसे भूल जाते हैं। लेकिन एक मां अपने बच्चों को कभी नहीं भूलती। वो जिंदगीभर उनके लौटने का इंतजार करती है। यह कहानी भी एक मां और बेटी के पुनर्मिलन की है। 33 वर्षीय बेटी 15 साल पहले मानसिक बीमारी के चलते अपना घर-परिवार सब भूल गई। वो भटकते हुए पश्चिम बंगाल से छत्तीसगढ़ आ गई। इस दौरान प्रशासन ने उसे मेंटल हॉस्पिटल भेज दिया। जब वो ठीक हुई, तब उसे अपनी मां और परिवार की याद आई। इसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की पहल पर उसके परिजनों को ढूंढ लिया गया। मां और बेटी जब गले मिले, तो देखकर दूसरे लोग भी भावुक हो उठे।
2017 में भटकते हुए बिलासपुर पहुंची थी बेटी
बेटी मानसिक बीमार के चलते जब घर से निकली, तो वो पता भूल गई। इसके बाद भटकते हुए पश्चिम बंगाल से बिलासपुर आ गई। उसके सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो गई थी। लेकिन 15 साल बाद जब छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारी से लेकर पश्चिम बंगाल पहुंचे, तो बेटी को देखकर मां घंटों उससे लिपटकर रोती रही। हालांकि उसके परिवार को ढूंढने में दो महीने से ज्यादा का समय लगा।
महिला को तीन साल पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रशासन ने बिलासपुर के सेंवरी स्थित राज्य मानसिक चिकित्सालय में भर्ती कराया था। 26 जून, 2020 को महिला जब ठीक हुई, तो उसे अपने घर की याद आई। इसके बाद उसका घर ढूंढने की कोशिश शुरू हुई।