पति के आफिस पहुंचकर हंगामा करना, अपमान करना भी क्रूरता, HC ने तलाक पर मुहर लगाते हुए की टिप्पणी

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की रहने वाले एक 32 वर्षीय युवक ने करीब 12 साल पहले अपने से दो साल उम्र में बड़ी एक विधवा महिला से शादी की थी। महिला रायपुर की रहने वाली है। परिवार न्यायालय में आवेदन करने वाले पीड़ित व्यक्ति ने बताया था कि शादी के बाद महिला उनको घर जाने से रोकती थी।

रायपुर। पति के ऑफिस पहुंचकर पत्नी का हंगामा करना और अपमानजनक भाषा का उपयोग करना क्रूरता की श्रेणी में आता है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायपुर की एक अदालत के तलाक के एक मामले में फैसले को बरकरार रखते हुए यह निर्णय दिया है। आरोप है कि तलाक लेने वाले व्यक्ति की पत्नी, उसके ऑफिस में आए दिन आती थी और उसके साथ अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हुए हंगामा करती थी। इसी आधार पर परिवार न्यायालय में पति ने तलाक ले ली थी।

पत्नी ले खटखटाया था हाईकोर्ट का दरवाजा

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परिवार न्यायालय से तलाक मिलने के बाद पत्नी ने हाईकोर्ट पहुंचकर संबंध विच्छेद के अदालती आदेश को अवैध करार देने की अपील की थी। हाईकोर्ट की जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली महिला की अपील पर सुनवाई की है।

12 साल पहले हुई थी दोनों की शादी

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की रहने वाले एक 32 वर्षीय युवक ने करीब 12 साल पहले अपने से दो साल उम्र में बड़ी एक विधवा महिला से शादी की थी। महिला रायपुर की रहने वाली है। परिवार न्यायालय में आवेदन करने वाले पीड़ित व्यक्ति ने बताया था कि शादी के बाद महिला उनको घर जाने से रोकती थी। उनके साथ दुर्व्यवहार करती थी। उनके माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों से मिलने पर रोकती थी। व्यक्ति के आवेदन को दिसंबर 2019 में स्वीकार करते हुए रायपुर परिवार न्यायालय ने तथ्यों और सबूतों के आधार पर तलाक को स्वीकृति दे दी।

महिला पहुंची निचली अदालत के खिलाफ हाईकोर्ट

इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। महिला की ओर से अधिवक्ता शिशिर श्रीवास्तव ने अदालत को बताा कि फैमिली कोर्ट ने इस तथ्य की ओर ध्यान नहीं दिया कि पत्नी के साथ उसके पति द्वारा क्रूरता का व्यवहार किया गया था। उन्होंने बताया कि पति ने झूठे सबूतों और तर्कों के आधार पर फैमिली कोर्ट से तलाक ले लिया है, हाईकोर्ट हस्तक्षेप कर इसको रोके।

हालांकि, पति की ओर से पेश वकील सी.जयंत राव ने बताया कि पति-पत्नी के बीच की स्थिति और संबंधों को जानने के लिए 2017 में पुलिस में दर्ज रिपोर्ट को देखना होगा। राव ने बताया कि पति को न केवल विवाहेत्तर संबंध के आरोप में चरित्र हनन का सामना करना पड़ा है बल्कि अपने ऑफिस में पत्नी द्वारा आए दिन हंगामा-मारपीट और गालीगलौच का भी सामना करना पड़ता था। वकील ने गवाह पेश कर बताया कि महिला किस तरह आफिस में पहुंचकर अपने पति को गाली देती थी और हंगामा करती थी। पति ने इसकी शिकायत कई बार पुलिस से की थी लेकिन संज्ञेय अपराध न होने की वजह से बहुत ध्यान नहीं दिया। अदालत में उक्त पुरुष व उसकी पत्नी की बहन के बयान भी दर्ज किए गए जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पति के किसी भी महिला के साथ अवैध संबंध नहीं थे। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के बेंच ने परिवार न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा और किसी प्रकार के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।

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