छत्तीसगढ़ में हड़ताल पर स्वास्थ्यकर्मी: अस्पतालों में न डॉक्टर पहुंचे, न स्टाफ, दवाई-इलाज के लिए भटकते रहे मरीज

लगभग सभी कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। सिर्फ बहुत जरूरत पड़ने पर ही मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। इंटर्न की मदद ली जा रही है। तीन दिन हड़ताल अगर चलती रही तो काफी परेशानी खड़ी हो जाएगी।

Asianet News Hindi | Published : Apr 11, 2022 1:18 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) में सोमवार को दवा के लिए मरीज दिनभर परेशान होते रहे। स्वास्थ्य कर्मचारियों के तीन दिवसीय हड़ताल के चलते मरीज अस्पतालों का चक्कर काटते दिखाई दिए। सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं ठप रहीं तो कई अस्पतालों में मरीजों तक को छुट्टी दे दी गई। सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं ही कहीं-कहीं चालू हैं। इस हड़ताल में प्रदेश के करीब 30 हजार कर्मचारी शामिल हैं। उन्होंने महंगाई भत्ता एरियर्स, होम अलाउंस को सातवें वेतनमान के आधार पर फिर से निरीक्षण करने समेत कई मांगों को लेकर काम बंद कर दिया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी महासंघ की ओर से बुलाए गए इस हड़ताल का असर पहले दिन प्रदेशभर में देखने को मिला।

न दवा मिली, न जांच हुई
रायगढ़ समेत कई जिलों में मरीज अस्पताल पहुंचे लेकिन उन्हे इलाज की सुविधा नहीं मिल सकी। कई जगह तो एक्स-रे, पैथोलॉजी सहित जांच भी नहीं हो सकी। जिससे मरीज के परिजन काफी परेशान दिखे। जिला अस्पताल के साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों के गेट बंद पड़े हैं। इमरजेंसी सेवाओं को भी बंद कर दिया गया है। वहीं कुछ जगह ओपीडी में डॉक्टर तो पहुंचे लेकिन हड़ताल की खबर के बाद मरीज ही नहीं पहुंचे।

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जूनियर्स के भरोसा स्वास्थ्य व्यवस्था

इस हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था एक दिन में ही चरमाई दिखाई दी। कई अस्पतालों में भर्ती मरीजों की छुट्टी कर दी गई। कई को घर तो कई को प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट होना पड़ा। कई अस्पतालों में भर्ती मरीजों की देखभाल के लिए या तो उनके परिजन थे या फिर मेडिकल कॉलेज के नर्सिंग स्टॉफ को बुलाया गया है। वहीं जांजगीर-चांपा जैसे जिलों में दवाई केंद्र भी पूरी  तरह बंद दिखाई दिए। कई हादसों के शिकार को भी बिना इलाज ही निराश होकर लौटना पड़ा।

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क्या है स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांग

स्वास्थ्य कर्मचारियों  की मांग है कि उन्हें केंद्र के समान 34 प्रतिशत मंहगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के अनुसार होम अलाउंस दिया जाए। उनका कहना है कि राज्य सरकार उन्हें सिर्फ 17 प्रतिशत महंगाई भत्ता ही दे रही है। इसलिए सरकार सभी कैडरों की वेतन में जो असमानताएं हैं, उसे दूर करे। इसके साथ ही संविदा कर्मचारियों की नियमित नियुक्ति हो।

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