सार

बुधवार-गुरुवार को ओपीडी सेवाएं बहाल रहेंगी। इन दो दिनों में मांगें नहीं मानी तो डॉक्टर 14 जनवरी यानी शुक्रवार को इमरजेंसी सेवाएं भी बंद कर पूरी तरह से हड़ताल पर चले जाएंगे। डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवाएं भी काफी असर पड़ेगा।

चंडीगढ़ :  कोरोना संक्रमण की तेजी के बीच हरियाणा (Haryana) में आज से डॉक्टर हड़ताल पर हैं। डॉक्टर अपनी अधूरी मांग को लेकर सरकार से नाराज हैं। उनकी नाराजगी का खामियाजा अब मरीजों को भुगतना पड़ सकता है। राज्य में सरकारी अस्पतालों की ओपीडी मंगलवार को बंद रहेगी। ओपीडी में आज इलाज नहीं होगा। बुधवार-गुरुवार को ओपीडी सेवाएं बहाल रहेंगी। इन दो दिनों में मांगें नहीं मानी तो डॉक्टर 14 जनवरी यानी शुक्रवार को इमरजेंसी सेवाएं भी बंद कर पूरी तरह से हड़ताल पर चले जाएंगे। डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवाएं भी काफी असर पड़ेगा। सरकारी ओपीडी बंद होने से मरीजों को काफी परेशानियों से जुझना पड़ेगा।

तो इमरजेंसी सेवाएं भी बंद होंगी 
डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। डाक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर 12 जनवरी तक उनकी मांगों पर सरकार ने कोई विचार नहीं किया तो वे 14 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इस दौरान ओपीडी, इमरजेंसी सेवाओं को पूरी तरह से बंद रखा जाएगा। यहां तक की मृतकों का पोस्टमार्टम भी नहीं किए जाने की बात भी डाक्टरों ने कही है।

सरकार पर आरोप
डॉक्टरों का कहना है कि एसोसिएशन ने बैठक कर आर-पार की लड़ाई का फैसला लिया है। मांगे न माने जाने से उनमें नाराजगी है। उनका कहना है कि डॉक्टर कोरोना महामारी के दौरान में अपनी जान काा जोखिम उठाकर भी मरीजों का इलाज करते हैं। बावजूद इसके इस वर्ग की अनदेखी की जा रही है। यह अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इससे पहले पांच दिसंबर को करनाल में प्रदेशभर के सरकारी चिकित्सक एकत्रित हुए थे। इसके बाद 12 दिसंबर को स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के साथ बैठक हुई थी। बातचीत में सरकार से 31 दिसंबर तक समस्या के समाधान का आश्वासन मिला था। लेकिन सरकार ने फाइल को वहीं दबाकर रखा हुआ है। अब तक कोई मांग सरकार ने नहीं मानी है। 

डॉक्टर्स को मनाने की कवायद
वहीं हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के इस फैसले के बाद सरकार और प्रशासन उन्हें मनाने में जुटे हैं। ओपीडी बंद करने के एलान के बाद सरकार के आला अधिकारी भी डॉक्टरों से संपर्क बनाए हुए हैं। ताकि उन्हें किसी तरह हड़ताल से रोका जा सके, जिससे स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर असर न पड़े।

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