बेटे की मौत के बाद भी किसी ने नहीं समझा एक परिवार का दर्द, 2 साल से भुगत रहे सजा

यह मामला ऐसी सामाजिक कुरीति से जुड़ा है, जिसके खिलाफ अब आवाज उठने लगी है। लेकिन दूरदराज के इलाकों में अब भी यह प्रथा परेशानी बनकर सामने आ जाती है। गांववालों की इसी प्रथा से परेशान है एक फैमिली। जानें पूरा मामला..
 

मुंगेली(छत्तीसगढ़). एक प्रथा के चलते मुंगेली जिले के एक गांव में रहने वाला पूरा परिवार दर-दर की ठोकर खा रहा है। जवान बेटे की मौत के गम में डूबे परिवार ने गांववालों को मृत्युभोज नहीं दिया। लिहाजा सबने मिलकर इस परिवार का बहिष्कार कर दिया। गांववालों की उपेक्षा के कारण इस परिवार का जीना दूभर हो गया है। इस परिवार के 20 साल के बेटे की दो साल पहले मौत हो गई थी। तब से गांववालों ने इनका बहिष्कार कर रखा है।

संतन नीरमलकर अपनी पत्नी और पांच बच्चों की परवरिश को लेकर चिंतित हैं। इनके बड़े बेटे की मौत हो चुकी है। यह परिवार गरीब है, लिहाजा गांववालों को मृत्युभोज खाने को नहीं मिला। बस, फिर क्या था, गांववाले परिवार से चिढ़ गए। पीड़ित ने बताया कि गांव की किसी भी दुकान से उसे सामान नहीं दिया जाता है।  उसे सामान खरीदने दूसरे गांव जाना पड़ता है। पीड़ित ने बताया कि वो कई बार अफसरों से मिला, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

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पीड़ित ने माना कि उसने अपनी हैसियत के हिसाब से जो बन सकता था किया। पीड़ित मजदूरी करता है।  मुंगेली एएसपी सीडी टिर्की ने बताया कि उन्हें शिकायत मिली है। अगर कोई इस परिवार को धमका रहा है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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