जेनेवा बायोफार्मास्यूटिकल्स की mRNA वैक्सीन को जल्द मिल सकती है मंजूरी, जमा किया 2 स्टेज का डेटा

 आधिकारिक सूत्र के अनुसार, पुणे में जेनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स ने mRNA वैक्सीन का चरण 2 डेटा जमा किया है और चरण 3 डेटा की भर्ती भी पूरी कर ली है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 17, 2022 4:50 AM IST / Updated: Jan 17 2022, 05:55 PM IST

नई दिल्ली. कोरोना के तीसरी लहर (third wave) में बढ़ते मामलों के बीच वैक्सीनेशन का लेकर अच्छी खबर है। सूत्रों के अनुसार, जेनेवा बायोफार्मास्यूटिकल्स ने  Omicron वेरिएंट के लिए mRNA वैक्सीन भी विकसित किया है जिसे जल्द ही प्रभावकारिता और इम्यूनोजेनेसिटी के लिए मनुष्यों पर परीक्षण किया जाएगा। आधिकारिक सूत्र के अनुसार, पुणे में जेनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स ने mRNA वैक्सीन का चरण 2 डेटा जमा किया है और चरण 3 डेटा की भर्ती भी पूरी कर ली है। भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) की विषय विशेषज्ञ समिति (SEC) द्वारा जल्द ही डेटा की समीक्षा करने की उम्मीद है। 

बताया जा रहा है कि एमआरएनए वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर पहली पसंद होगी। बता दें कि अमेरिकी कंपनी फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन एमआरएनए तकनीक पर ही आधारित है। फाइजर का इस्तेमाल कई देशों में बूस्टर डोज के तौर पर हो रहा है। इसलिए जेनोवा की वैक्सीन आती है तो देश में बूस्टर डोज का यह सबसे बेहतर विकल्प होगा। देश में अब तक 156 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। यही नहीं करीब 50 लाख लोगों को प्रिकॉशनरी डोज (बूस्टर डोज) भी मिल चुका है। 
 
क्या है mRNA वैक्सीन

mRNA वैक्सीन न्यूक्लिक एसिड वैक्सीनों की श्रेणी में आती है। इसमें इंसानों की कोशिकाओं के लिए ऐसे इंफॉर्मेशन फीड किए जाते हैं, जिससे कोशिका ऐसे प्रोटीनों का निर्माण करें जो वायरस की कॉपी हो और शरीर उसे पहचान ले। दूसरे वैक्सीन में वायरस के ही हिस्से का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि एमआरएनए में असली वायरस का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। कोवैक्सीन में कोरोना के मूल वायरस का इस्तेमाल किया गया है, जबकि कोविशील्ड चिंपैंजी के एडिनो वायरस से बना है।

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