चीन में coronavirus: अंतिम संस्कार के लिए भी देनी पड़ रही रिश्वत, वर्ना लंबी लाइन, मोदी करेंगे रिव्यू मीटिंग

चीन में कोरोना के नए वेरिएंट BF.7 (जिसे एक्सपर्ट ने BA.5.2.1.7 नाम दिया है) ने भयानक मंजर पैदा कर दिया है। यह चिंता सिर्फ चीन की नहीं, दुनिया के बाकी देशों की भी है। अब खतरा जापान, दक्षिण कोरिया और फ्रांस पर भी मंडराने लगा है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने स्प्ष्ट कर दिया है कि दुनियाभर से कोरोना के अंत की घोषणा अभी नहीं की जा सकती है।

Amitabh Budholiya | Published : Dec 22, 2022 3:29 AM IST / Updated: Dec 22 2022, 12:04 PM IST

वर्ल्ड न्यूज. चीन में कोरोना के नए वेरिएंट BF.7 (जिसे एक्सपर्ट ने BA.5.2.1.7 नाम दिया है) ने भयानक मंजर पैदा कर दिया है। यह चिंता सिर्फ चीन की नहीं, दुनिया के बाकी देशों की भी है। अब खतरा जापान, दक्षिण कोरिया और फ्रांस पर भी मंडराने लगा है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने स्प्ष्ट कर दिया है कि दुनियाभर से कोरोना के अंत की घोषणा अभी नहीं की जा सकती है। यानी कोरोना फिलहाल ग्लोबल इमरजेंसी बना रहेगा। 

इधर, दोपहर को PM मोदी कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए एक हाईलेवल मीटिंग करेंगे। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मप्र, छत्तीसगढ़ आदि राज्य भी रिव्यू मीटिंग कर रहे हैं। इसी बीच एक अच्छी खबर यह आ रही है कि कोरोना के इलाज में काम आने वाली पैरासिटामॉल, मोक्सीसिलिन और रेबेपैराजोल जैसी दवाओं के रेट कम किए जा सकते हैं। पढ़िए कोरोना का ताजा अपडेट...

 
1. बुधवार(21 दिसंबर) को बीजिंग के एक श्मशान घाट के बाहर अंतिम संस्कार के लिए लंबी लाइनें लगी देखी गईं। हालांकि चीन ने अपने यहां कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बावजूद COVID-19 से कोई मौत की सूचना नहीं दी है।

2. शर्मनाक बात यह है कि अब चीन में अंतिम संस्कार के लिए भी रिश्वत मांगी जानी लगी है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि फ्यूनरल होम(funeral home) के कर्मचारियों ने कहा कि बीजिंग के कुछ निवासियों को रिश्तेदारों के दाह संस्कार के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं, जो इंतजार नहीं करना चाहते, उनसे जल्द सर्विस की आड़ में मोटी रकम वसूली जा रही है। बीजिंग के एक फ्यूनरल पार्लर के एक कर्मचारी ने सोशल मीडिया पर 26,000 युआन (3,730 डॉलर) के शुल्क पर तुरंत अंतिम संस्कार की पेशकश करती पोस्ट की। यानी इतना पैसा देने पर बिना लाइन लगे अंतिम संस्कार होगा। हालांकि मीडिया इसकी पुष्टि नहीं कर सका।

3. इस महीने 1.4 बिलियन लोगों के देश ने व्यापक विरोध के चलते "जीरो-कोविड" लॉकडाउन और टेस्टिंग व्यवस्था को खत्म करना शुरू कर दिया था। इसके तहत बड़े पैमाने पर इकोनॉमिक और साइकोलॉजिकल कोस्ट(लोगों पर दबाव) पर कोरोना वायरस को तीन साल तक नियंत्रण में रखा।

4. विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के प्रमुख ने कहा कि यह संक्रमण में स्पाइक(कह सकते हैं कि एंडीबॉडीज को भेदने की क्षमता) के बारे में चिंतित है। अब सबसे अधिक जोखिम वाले लोगों के वैक्सीनेशन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सरकार का समर्थन कर रहा है।

5 .हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को उम्मीद है कि 2022 में दुनिया को परेशान करने वाली हेल्थ इमरजेंसी को 2023 के डिफरेंट फेज में समाप्त घोषित कर दिया जाएगा।

5.WHO की प्रेस ब्रीफिंग में बुधवार(21 दिसंबर) को बोलते हुए डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस अदनोम(Dr Tedros Adhanom) ने उल्लेख किया 2022 एक चुनौतीपूर्ण वर्ष रहा है, जिसमें बाढ़, सशस्त्र संघर्ष जैसी अन्य इमरजेंसीज अलावा, COVID-19, Mpox, इबोला और हैजा जैसी बीमारियों का प्रसार हुआ है। 

6.WHO के प्रमुख ने कहा कि जनवरी के अंत में पीक के बाद से वीकली रिपोर्ट की गई Covid​​-19 की संख्या में लगभग 90% की गिरावट आई है। उन्होंने यह भी नोट किया कि Mpox की वीकली रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या में टॉप से 90% से अधिक की गिरावट आई है। बता दें कि मई 2022 में वायरल बीमारी मंकीपॉक्स(monkeypox) के प्रकोप की पुष्टि हुई थी।

7. हैजा(cholera) के बारे में डॉ. टेड्रोस ने कहा शुरू किए गए वैक्सीनेशन प्रोग्राम्स ने आशा जगाई है कि यह रोग भी समाप्त हो जाएगा।

8. हालांकि डॉ. टेड्रोस ने जोर देकर कहा कि अभी भी दुनिया के लिए हेल्थ क्राइसिस को खत्म करने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है, जो सालभर से मौजूद है।

9.हालांकि 15 दिसंबर को WHO के चीफ टेड्रोस ने कहा था कि 2023 में कोरोना ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी नहीं रहेगा। लेकिन चीन में बढ़ते मामलों ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। डॉ. टेड्रोस ने चीन से कोरोना वायरस को लेकर अपना डेटा शेयर करने को भी कहा था। WHO ने एक बयान में कहा- कोरोना को बेहतर ढंग से समझने के लिए और इसके ओरिजन से जुड़ी जानकारी के लिए चीन से डेटा मांगा गया है। 

10. बता दें कि चीन के वुहान में ही 31 दिसंबर 2019 को कोरोना का पहला केस मिला था। हालांकि सरकार ने तुरंत एक्शन लेकर 24 जनवरी 2020 को 1000 बेड वाला अस्पताल बनाना शुरू कर दिया था। 

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