सौरव गांगुली की कप्तानी में बदला था टीम इंडिया का रूप रंग, दादा की ये बातें नहीं जानते होंगे आप

सौरव गांगुली आज 48 साल के हो गए हैं। महाराज, दादा और द प्राइड ऑफ कोलकाता के उपनाम से मशहूर क्रिकेटर की यात्रा दिलचस्प है। बेहतरीन बल्लेबाजी करने वाले इस पूर्व खिलाड़ी के बारे में बहुत कम लोगों को पता है कि वो शुरू में दाएं हाथ से खेलते थे। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 8, 2020 6:10 AM IST

स्पोर्ट्स डेस्क। बीसीसीआई के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली का भारतीय क्रिकेट में योगदान अद्भुत है। एक बल्लेबाज और एक कप्तान के तौर पर उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। गांगुली की ही कप्तानी में टीम इंडिया में बड़े शहरों से आने वाले खिलाड़ियों का दबदबा कम हुआ है। सौरव गांगुली को आक्रामक कप्तान के रूप में याद किया जाता है।

इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट ट्रॉफी जीतने के बाद लॉर्ड्स के पवैलियन में टीशर्ट लहराना गांगुली का एक अलग ही रूप था। उन्होंने हमेशा ही प्रतिभाशाली युवाओं पर भरोसा किया और उन्हें आगे बढ़ाया। युवराज सिंह, वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान, आशीष नेहरा, मोहम्मद कैफ से लेकर धोनी तक पर सौरव ने हमेशा नए लड़कों पर भरोसा किया और यहीं से उनकी कप्तानी ने आज के टीम इंडिया की नींव डाली। बाद में एक ऐसी आक्रामक टीम बनी जिसने धोनी के नेतृत्व में आगे चलकर आईसीसी के तीन बड़े कप जीते जिसमें टी-20 और एकदिवसीय फॉर्मेट के दो विश्वकप शामिल हैं। 

क्रिकेट में ऑफ साइड के महाराज 
सौरव गांगुली आज 48 साल के हो गए हैं। महाराज, दादा और द प्राइड ऑफ कोलकाता के उपनाम से मशहूर क्रिकेटर की यात्रा दिलचस्प है। बेहतरीन बल्लेबाजी करने वाले इस पूर्व खिलाड़ी के बारे में बहुत कम लोगों को पता है कि वो शुरू में तेज गेंदबाज थे और दाएं हाथ से खेलते थे। लेकिन उनके भाई स्नेहाशीष लेफ्ट हैंडर थे। भाई के क्रिकेट गियर इस्तेमाल करने की वजह से वो दाएं हाथ से खेलने लगे। सौरव गांगुली को दुनिया के महानतम खब्बू बल्लेबाजों में गिना जाता है। सौरव का ऑफ साइड बेहतरीन था। इसी वजह से उन्हें का ऑफ साइड का महाराज भी कहा गया। 

लॉर्ड्स में किया डेब्यू 
सौरव गांगुली ने क्रिकेट के मक्का के रूप में मशहूर लॉर्ड्स में टेस्ट डेब्यू किया था। तब टीम इंडिया के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन थे। सौरव ने 1996 में डेब्यू मैच में ही 131 रन की पारी खेलकर दिखा दिया कि वो क्रिकेट में क्या करने जा रहे हैं। इस मैदान पर डेब्यू करने वाले किसी भी बल्लेबाज का ये सबसे बड़ा निजी स्कोर है।

ऐसे हुई थी फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट की शुरुआत 
सौरव अच्छे गेंदबाज थे। 1989 में बंगाल के कप्तान संबरन बनर्जी ने सिलेक्टर्स से सौरव को मौका देने को कहा। यहीं उनका फर्स्ट क्लास डेब्यू हुआ। 

रेस्टोरेंट के मालिक भी हैं सौरव 
सौरव गांगुली एक आलीशान रेस्तरां के मालिक भी हैं। सचिन के कहने पर सौरव ने इसकी शुरुआत की थी। इसका नाम है ‘महाराजा सौरव्स- द फूड पैवेलियन’। खुद सचिन ने ही 2004 में इसका उद्घाटन किया था। सचिन और सौरव एकदिवसीय मैचों में ओपनिंग करते थे। बतौर ओपनर दोनों बल्लेबाजों ने कई रिकॉर्ड बनाए। 

श्रीनाथ अनिल कुंबले बेहद खास दोस्त 
जवागल श्रीनाथ और अनिल कुंबले टीम इंडिया के वो खिलाड़ी थे जिनसे सौरव को खास लगाव था। तब श्रीनाथ भारत के सबसे बेहतरीन तेज गेंदबाज थे। वो तीन बार संन्यास लेना चाहते थे। मगर तीनों बार गांगुली के कहने पर ही वो दोबारा खेलने को राजी हुए। अनिल कुंबले भी दुनिया के महानतम लेग स्पिनर थे। 

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