INDvsBAN मैच में हैट्रिक लगाने वाले चाहर को प्रैक्टिस कराने पिता ने छोड़ दी थी एयरफोर्स की जॉब

चाहर ने अपने संघर्ष के बारे में बात करते हुए बताया कि कैसे उनके पिता ने बेटे का करियर बनाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी।

बेंगलुरू. बांग्लादेश के खिलाफ हैट्रिक लेकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले दीपक चाहर ने राजस्थान रणजी टीम से लेकर भारत के लिए हैट्रिक लेने तक के अपने सफर पर चर्चा की। चाहर ने अपने संघर्ष के बारे में बात करते हुए बताया कि कैसे उनके पिता ने बेटे का करियर बनाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी। माइनेशन को दिए गए एक इंटरव्यू में चाहर ने कहा कि भारतीय टीम में वह अपनी जगह पक्की नहीं समझ रहे हैं, उनके लिए हर मैच आखिरी मैच की तरह होता है, जिसमें वो अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं। 

दीपक के करियर के लिए पिता ने छोड़ी थी एयरफोर्स की नौकरी 
पिता के त्याग को याद करते हुए चाहर ने बताया "हर किसी के लिए उसके पिता हीरो के समान होते हैं। मेरे पिता ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है। कोई भी उनकी बराबरी नहीं कर सकता। मेरे पिता ने जिस लगन और त्याग के साथ हर समय मुझे सपोर्ट किया है, वह कोई और नहीं कर सकता। मैं भी बच्चों के लिए इतना नहीं कर पाउंगा। मैने अपने जीवन में जो कुछ भी हासिल किया है, उसका पूरा श्रेय मेरे पिता को जाता है।"

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चेन्नई में खेलने से मिली मदद
दीपक चाहर ने बताया कि IPL में चेन्नई के लिए खेलना उनके लिए खासा फायदेमंद रहा। चेन्नई के मैदान पर तेज गेंदबाजों के लिए न तो स्विंग है और न ही उछाल साथ ही इस मैदान पर ओस भी बहुत गिरती है। ये सभी हालात तेज गेंदबाज के लिए मुश्किलें पैदा करते हैं। चाहर शुरुआत में गीली गेंद से गेंदबाजी नहीं कर पाते थे और उन्होंने कई गलतियां भी की। इसके बाद चाहर चीजें सीखते चले गए और डेथ ओवरों में गेंदबाजी करना भी सीख लिया। चेन्नई में रहकर ही चाहर ने कई नई तरह की गेंद करनी सीखी और सही मायने में डेथ बॉलर बने। 

बल्ले से भी योगदान देना चाहते हैं चाहर
दीपक शानदार गेंदबाज होने के साथ उपयोगी बल्लेबाज भी हैं। चाहर ने कई मौकों पर अपनी बल्लेबाजी का जलवा भी दिखाया है। चेन्नई में रहने के दौरान धोनी हमेशा चाहर को अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देने के लिए कहते थे। धोनी का कहना था "तुम्हारी गेंदबाजी अच्छी है अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान दो क्योंकि तुम्हारे अंदर वो काबfलियत है।" चाहर का कहना है कि वो अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान भी दे रहे हैं नेट पर भी चाहर प्रैक्टिस  करते रहते हैं पर निचले क्रम के बल्लेबाजों को आमतौर पर बैंटिंग का मौका नहीं मिलता। खासकर T-20 क्रिकेट में कभी कभार 1 या 2 गेंद ही खेलने को मिलती है ऐसे में बल्ले से अच्छा प्रदर्शन करना मुश्किल होता है।  

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