सहवाग ने किस बच्चे की तस्वीर पोस्ट कर किया ट्वीट, कहा- बाल दिवस पर याद करना जरूरी

बाल दिवस के मौके पर पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीरेन्द्र सहवाग ने शहीद बाजी राउत को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया। सहवाग ने लिखा कि वैसे तो हमें हमेशा इन अमर शहीदों को याद रखना चाहिए, पर खासकर बाल दिवस के मौके पर हम इन्हें याद करना जरूरी है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 14, 2019 3:04 PM IST

नई दिल्ली. बाल दिवस के मौके पर पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीरेन्द्र सहवाग ने शहीद बाजी राउत को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया। सहवाग ने लिखा कि वैसे तो हमें हमेशा इन अमर शहीदों को याद रखना चाहिए, पर खासकर बाल दिवस के मौके पर हम इन्हें याद करना जरूरी है। सहवाग ने इस बाल शहीद को श्रद्धांजलि देते हुए अपने 2017 के ट्वीट को फिर से ट्वीट कर देश के सबसे छोटे स्वतंत्रता सेनानी के बारे में सभी को बताने की कोशिश की। सहवाग ने जिस बाल शहीद का जिक्र किया है वो उड़ीसा के एक छोटे से गांव के रहने वाले थे। 

क्या लिखा सहवाग ने ? 
वीरेन्द्र सहवाग ने लिखा कि वैसे तो हमें हमेशा इन अमर शहीदों को याद रखना चाहिए, पर खासकर बाल दिवस के मौके पर हम इन्हें याद करना जरूरी है। देश के सबसे कम उम्र के शहीद बाजी राउत अमर रहें। इससे पहले साल 2017 में भी सहवाग ने बाजी राउत को श्रद्धाजलि देते हुए ट्वीट किया था। उस समय सहवाग ने लिखा था इस बाल दिवस के मौके पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे कम उम्र के शहीद उड़ीसा के नीलकंठपुर से शहीद बाजी राउत के बारे में जानना जरूरी है। इसके बाद सहवाग एक के बाद एक लगातार कई ट्वीट किए और बाजी राउत के बारे में सभी को जानकारी दी। 

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कौन थे बाजी राउत ? 
बाजी राउत स्‍वतंत्रता संग्राम के इतिहास में देश के सबसे कम उम्र के सेनानी थे। बाजी राउत ने महज 12 साल की उम्र में अंग्रेजों की गोलियां खाई थी और देश के लिए शहीद हो गए थे। उनका जन्म 1926 में उड़ीसा के ढेंकनाल में हुआ था और 11 अक्टूबर 1938 को बाजी ने देश के लिए अपनी जान दे दी थी। बाजी के पिता का बचपन में ही देहांत हो गया था और उनकी मां ने उन्हें पाल पोसकर बड़ा किया था। 

वानर सेना का हिस्सा बने राउत
ढेंकनाल के राजा शंकर प्रताप सिंहदेव अंग्रेजों के गुलाम थे और अपनी जनता का जमकर शोषण करते थे। इस शोषण के खिलाफ लोग आक्रोशित हो रहे थे। राजा के खिलाफ विद्रोह करने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने वानर सेना का गठन भी किया। बाजी राउत इस सेना का हिस्सा बने। बगावत शुरू होने के बाद अंग्रेजों ने राजा की मदद के लिए सेना भेजी। अंग्रेजों की सेना ने गोली चला दी, जिसमें दे लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद आंदोलन और भी भड़क गया। यह देख अंग्रेजों की सेना ने भागने का फैसला किया। 

देश के लिए शहीद हो गए राउत
भागते हुए अंग्रेजों की सेना नदी के पास पहुंची जहां नाव पर बाजी तैनात थे। अंग्रेजों ने बाजी से नदी पार कराने को कहा पर उन्होंने साफ मना कर दिया और कार्यकर्ताओं को सचेत करने के लिए चिल्लाने लगे। यह देख अंग्रेज सैनिक ने बंदूक की बट से बाजी के सिर पर वार किया। बाजी का सिर फूट गया और खून बहने लगा। इसके बाद भी बाजी ने चिल्लाना नहीं छोड़ा। दूसरे सिपाही बाजी पर गोली चला दी और वो देश के लिए शहीद हो गए, पर तब तक बाकी लोग आ चुके थे। अंग्रेज सैनिक खुद नाव उठाकर भाग निकले और भागते हुए अंधाधुंध गोलियां चलाई। इस घटना में गांव के लक्ष्मण मलिक, फागू साहू, हर्षी प्रधान और नाता मलिक भी शहीद हो गए।  

बाजी के शहीद होने के बाद पूरे इलाके में लोग अंग्रेजों के खिलाफ आक्रोशित हो उठे। बाजी की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। सभी ने उन्हें नम आंखों श्रद्धाजलि दी और ब्रिटिश शासन के खिलाफ बगावत का बिगुल छेड़ दिया। 
 

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