INDIA की जीत की राह में रोड़ा बना ये खिलाड़ी, बॉडी लाइन बॉलिंग से भी नहीं टूटे हौसले, अकेले दम पर जिताया मैच

साउथ अफ्रीकी कप्तान डीन एल्गर (Dean Elgar) ने भारत (India) के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में शानदार 96 रनों की पारी खेलकर टीम को जीत दिलाई। 

स्पोर्ट्स डेस्क: जोहानसबर्ग के वांडरर्स स्टेडियम में खेले गए फ्रीडम सीरीज के दूसरे मैच में साउथ अफ्रीका (South Africa) ने भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) को 7 विकेट से हराकर शानदार जीत दर्ज की। जीत के लिए आवश्यक 240 रनों को टीम ने 3 विकेट खोकर ही हासिल कर लिया। दूसरे टेस्ट मैच को जीतकर साउथ अफ्रीका ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-1 की बराबरी हासिल कर ली है। 

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डीन एल्गर ने बने भारत की जीत की राह में रोड़ा 

ऐसा नहीं है कि इस मैदान पर 240 का लक्ष्य बेहद आसान था लेकिन साउथ अफ्रीकी कप्तान डीन एल्गर (Dean Elgar) ने उसे अपनी दमदार बल्लेबाजी से आसान बना दिया। उन्होंने दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में 51.06 की स्ट्राइक रेट से 188 गेंदों में 96 रनों की शानदार पारी खेली। उनकी पारी भले ही धीमी रही लेकिन बड़ी बात ये रही की उन्होंने किन परिस्थितियों में बल्लेबाजी की। विश्व के सबसे मजबूत गेंदबाजी आक्रमण के सामने इस बल्लेबाज ने जिस काबिलियत का परिचय दिया वह काबिले तारीफ रही। 

अर्धशतक तक जमाए सिर्फ 3 चौके, उसके बाद बदले तेवर 

एल्गर ने शुरुआत में काफी संभलकर बल्लेबाजी की और पूरा ध्यान विकेट पर समय बिताने में लगाया। एक बार जब वे जम गए उसके बाद उन्होंने आक्रामक बल्लेबाजी कर टीम को जल्दी ही जीत दिला दी। उन्होंने 132 गेंदों में अपने टेस्ट करियर का 19वां अर्धशतक पूरा किया। अर्धशतक तक पहुंचने में उन्होंने सिर्फ 3 चौके मारे थे। लेकिन अर्धशतक के बाद उन्होंने अगले 46 रन बनाने में 7 चौके जड़ दिए। भारत की जीत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा डीन एल्गर ही रहे। अगर भारतीय गेंदबाज उन्हें जल्दी आउट कर लेते तो मैच का परिणाम कुछ और हो सकता था। 

गिरे भी, पड़े भी, फिर भी डटे रहे....

डीन एल्गर की यह पारी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। इस पारी को केवल इसलिए याद नहीं रखा जाएगा कि उन्होंने अपनी टीम को जीत दिलाई। उनकी इस पारी को उनके साहसिक प्रयासों के लिए भी याद किया जाएग। इस पारी के दौरान भारतीय गेंदबाज जब उनका विकेट नहीं ले सके तो चिड़ से गए। इसके बाद उन्होंने एल्गर को बॉडी लाइन गेंदबाजी शुरू कर दी। लगातार एल्गर के शरीर पर गेंद मारी गई लेकिन वे मैदान पर डटे रहे। 135 किमी. प्रति घंटे से भी तेज गति की गेंद ने कभी उनके सिर पर वार किया तो कभी कंधे पर। कभी उनके सीने के निशाना बनाया गया तो कभी पेट को। दर्द में चूर होने के बावजूद उन्होंने अपनी टीम को मैच जिताकर ही दम लिया। 

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