बीजेपी राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मुद्दे के सहारे दिल्ली की जंग को फतह करना चाहती है। बीजेपी सीएए और एनआरसी मुद्दे आम आदमी पार्टी को घेर रही है, लेकिन केजरीवाल बीजेपी के इस ट्रैप में फंसने के बजाय दिल्ली के बिजली-पानी के मुद्दो पर ही रहना चाहते हैं।
नई दिल्ली. राजधानी में विधानसभा चुनाव 2020 के लिए शोर है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल रोड-शो के जरिए अपने प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं तो बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर अमित शाह की रैलियों का दौर शुरू हो गया है। वहीं, दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में सीएए-एनआरसी के विरोध के चलते सियासी और चुनावी मुद्दे गौड़ हो गए हैं।
बीजेपी दिल्ली में अपने 21 साल के सत्ता के वनवास को खत्म करने के लिए पीएम मोदी के चेहरे के सहारे मैदान में उतरी है। आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल के अगुवाई और पांच साल के कामकाज को लेकर जनता के बीच में है। बीजेपी-AAPके बीच सिमटती जंग को कांग्रेस त्रिकोणीय बनाने की कवायद में है।
बीजेपी के लिए सबसे बड़ा मुद्दे सीएए
बीजेपी राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मुद्दे के सहारे दिल्ली की जंग को फतह करना चाहती है। बीजेपी सीएए और एनआरसी मुद्दे आम आदमी पार्टी को घेर रही है, लेकिन केजरीवाल बीजेपी के इस ट्रैप में फंसने के बजाय दिल्ली के बिजली-पानी के मुद्दो पर ही रहना चाहते हैं। बीजेपी नेता लगातार केजरीवाल से सवाल पूछ रहे हैं कि वह शाहीन बाग में चल रहे प्रोटेस्ट पर क्या राय है। कांग्रेस भी कह रही है कि केजरीवाल सीएए-एनआरसी पर अपने स्टैंड के किलियर करें।
बिजली पानी जैसे मुद्दों पर लुभाएगी आप
आप (AAP) के नेता राघव चड्ढा ने कहा है कि सीएए-एनआरसी का दिल्ली विधानसभा चुनाव में कोई असर नहीं होगा और यह चुनाव राज्य विषयों पर लड़ा जाएगा। ये सभी मुद्दे राष्ट्रीय महत्व के हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोग बुद्धिमान हैं और बीजेपी के दुष्प्रचार को समझेंगे। उन्होंने कहा कि बिजली, पानी, शिक्षा, सीवर प्रणाली और बस जैसे स्थानीय मुद्दों की चुनावों में प्रधानता होगी जो दैनिक जीवन को प्रभावित करते हैं।
शाहीन बाग में चल रहा विरोध प्रदर्शन
आम आदमी पार्टी भले ही कह रही हो कि दिल्ली में सीएए-एनआरसी चुनावी मुद्दा नहीं है, लेकिन सूबे के मुस्लिम इलाकों में इन्हीं मुद्दों की वजह से सियासी शोर सुनाई नहीं दे रहा है। दिल्ली के तकरीबन सभी मुस्लिम इलाकों में सीएए-एनआरसी के लेकर विरोध प्रदर्शन जारी हैं। ओखला विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले शाहीन बाग और जामिया में तो पिछले एक महीने से ज्यादा से विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। महिलाएं रात दिन धरने पर बैठी हैं।
दिल्ली में मुस्लिम बहुल सीटें
दिल्ली की सियासत में मुस्लिम मतदाता 12 फीसदी के करीब हैं। दिल्ली की कुल 70 में से 8 विधानसभा सीटों को मुस्लिम बहुल माना जाता है, जिनमें बल्लीमारान, सीलमपुर, ओखला, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, मटिया महल, बाबरपुर और किराड़ी सीटें शामिल हैं। इन विधानसभा क्षेत्रों में 35 से 60 फीसदी तक मुस्लिम मतदाता हैं. साथ ही त्रिलोकपुरी और सीमापुरी सीट पर भी मुस्लिम मतदाता काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
दिल्ली में बीजेपी ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है। वहीं, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से पांच-पांच प्रत्याशी मुस्लिम मैदान में उतरे हैं और दोनों पार्टियों ने एक दूसरे के खिलाफ दांव लगाया है। इसके चलते इन मुस्लिम बहुल सीटों का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। ऐसे में बीजेपी ने हिंदू कैंडिडेट को उताकर दो की लड़ाई में अपनी जीत की आस लगाए हुए है।
ये उम्मीदवार हैं मैदान में
ओखला की सीट पर AAP ने मौजूदा विधायक अमानतुल्ला खान के सामने कांग्रेस से पूर्व विधायक परवेज हाशमी मैदान में है। मटिया महल सीट से आप (AAP) से शोएब इकबाल तो कांग्रेस के एम मिर्जा आमने-सामने हैं। बल्लीमरान सीट से कांग्रेस के हारुन यूसुफ के सामने आप (AAP) से इमरान हसन मैदान में उतरे हैं। इसी तरह से सीलमपुर सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक चौधरी मतीन के खिलाफ आप (AAP) ने अब्दुल रहमान को उतार है और मुस्तफाबाद सीट से कांग्रेस के अली मेंहदी के खिलाफ हाजी युनूस पर दांव लगाया है। इसके अलावा किराड़ी सीट पर कांग्रेस की सहयोगी आरजेडी ने मोहम्मद रियाजुद्दीन को उतारा है।
मुस्लिम बहुल इलाकों में आप का वर्चस्व
बता दें कि 2015 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय की दिल्ली में पहली पसंद AAP बनी थी। इसका नतीजा रहा कि मुस्लिम बहुल सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने कांग्रेस के दिग्गजों को करारी मात देकर कब्जा जमाया था। आम आदमी पार्टी ने सभी मुस्लिम बहुल इलाके में जीत का परचम फहराया था। केजरीवाल की पार्टी से जीते चार मुस्लिम विधायकों में से एक मुस्लिम मंत्री बनाया था। केजरीवाल की पार्टी से चार मुस्लिम विधायक जीतने में कामयाब रहे थे। इससे पहले 2013 में कांग्रेस से चार मुस्लिम विधायक चुने गए थे।
सीएए विरोध के समर्थन में आप नेता
आम आदमी पार्टी से ओखला से चुनाव लड़ रहे अमानतुल्ला खान कहते हैं कि सीएए-एनआरसी काले कानून के खिलाफ हैं। इसीलिए मैं कोई बड़ी जनसभा और रोड शो करने के बजाय नुक्कड़ सभाए कर रहा हूं। दिल्ली में केजरीवाल ने पांच साल में जो काम किए हैं हम उसके दम पर वोट मांग रहे हैं। शाहीन बाग में बैठी महिलाओं के हम साथ हैं।
वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी परवेज हाशमी कहते हैं कि हम और हमारी पार्टी साफ तौर पर कह चुकी है कि हम सत्ता में आएंगे तो सीएए को खत्म करेंगे और दिल्ली में एनआरसी को लागू होने नहीं देंगे। केजरीवाल अभी तक शाहीन बाग क्यों नहीं आए हैं। उन्हें मुस्लिम समुदाय के मुद्दों से क्या कोई लगाव नहीं है वह सिर्फ वोट चाहते हैं, लेकिन काम नहीं करना चाहते हैं। सीएए-एनआरसी उनके लिए मुद्दा नहीं है, लेकिन हमारे लिए संविधान और हमारे वजूद का सवाल है।