सोनिया गांधी का फरमान बेअसर, खुद बैठ गए कांग्रेसी दिग्गज, बेटे बेटियों को मैदान में उतारा जंग लड़ने

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अरमानों पर वरिष्ठ नेताओ ने पानी फेर दिया है सोनिया गांधी दिल्ली में पार्टी की हालत सुधारने के लिए वरिष्ठ नेताओं को चुनाव लड़ाना चाहती मगर दिग्गज नेताओं ने खुद लड़ने की बजाय अपने बेटे-बेटियों को लड़ाने की जिद कर दी

Asianet News Hindi | Published : Jan 19, 2020 7:53 AM IST / Updated: Jan 19 2020, 01:24 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अरमानों पर वरिष्ठ नेताओ ने पानी फेर दिया है। सोनिया गांधी दिल्ली में पार्टी की हालत सुधारने के लिए वरिष्ठ नेताओं को चुनाव लड़ाना चाहती। मगर दिग्गज नेताओं ने खुद लड़ने की बजाय अपने बेटे-बेटियों को लड़ाने की जिद कर दी। उम्मीदवारों की पहली लिस्ट से साफ भी हो गया कि दिग्गजों की जिद के आगे सोनिया गांधी के फरमान पर पानी फिर गया। 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का एक भी उम्मीदवार चुनाव नहेने जीत पाया था।

कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले दिनों दिल्ली के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में साफ कहा था कि प्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं को चुनाव लड़ना है। इनमें पूर्व मंत्री से लेकर दिल्ली में सांसद रहे और लोकसभा चुनाव लड़ने वाले नेताओं के लिए संदेश दिया गया था। बावजूद कांग्रेस नेता दिल्ली में चुनाव लड़ने का हौसला नहीं दिखा सके और उन्होंने अपने बच्चों को मैदान में उतार दिया।

कालकाजी सीट 

कांग्रेस दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा खुद लड़ने की बजाय अपनी बेटी शिवानी चोपड़ा को कालकाजी सीट से लड़ा रहे हैं। सुभाष चोपड़ा इस सीट से तीन बार विधायक रहे हैं और 2015 में वो चुनाव हार गए थे। ऐसे ही दिल्ली चुनाव समिति के कीर्ति आजाद पत्नी पूनम आजाद संगम विहार सीट से चुनावी मैदान में उतरी हैं। हालांकि पहले माना जा रहा था कि कीर्ति आजाद खुद चुनाव लड़ेंगे।

मॉडल टाउन सीट 

मॉडल टाउन सीट से कांग्रेस के तीन बार विधायक रहे कुंवर करण सिंह ने पहले ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया था और बेटी आकांक्षा ओला को टिकट दिलाने के लिए मशक्कत कर रहे थे और इसमें वो कामयाब भी रहे। दिलचस्प बात यह है कि आकांक्षा कुंवर करण सिंह बेटी होने के साथ-साथ पूर्व सांसद शीशराम ओला के पोते अमित की पत्नी भी हैं।

मालवीय नगर सीट 

मालवीय नगर सीट से तीन बार विधायक रहे और शीला सरकार में मंत्री रहे योगानंद बेटी को पार्टी ने प्रियंका सिंह को आरकेपुरम से  टिकट दिया है। हालांकि वो बेटी के साथ खुद भी मालवीय नगर से लड़ना चाहते थे, लेकिन परिवार में एक ही व्यक्ति को टिकट देने की रणनीति बनाई है। ऐसे ही मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से विधायक रहे हसन अहमद ने भी खुद चुनावी मैदान में उतरने के हिम्मत नहीं जुटा सके और उन्होंने अपनी सीट से बेटे अली मेंहदी को चुनाव लड़ा रहे हैं।

पश्चिम दिल्ली सीट 

सोनिया गांधी के आदेशों के दो दिन बाद ही कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अजय माकन अमेरिका चले गए हैं और अभी तक वापस नहीं हैं। हालांकि उन्होंने अलाकमान से साफ चुनाव लड़ने के लिए मना कर दिया है। ऐसे में पश्चिम दिल्ली से सांसद रह चुके और तीन बार के विधायक रहे महाबल मिश्रा भी चुनाव लड़ने के लिए राजी नहीं है। यही वजह है कि सोनिया गांधी के द्वारा बुलाई गई बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। महाबल मिश्रा के बेटे विनय मिश्रा ने कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था और उनकी ही परंपरागत द्वारका सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

चांदनी चौक और उत्तरी दिल्ली सीट

चांदनी चौक और उत्तरी दिल्ली सीट से सांसद रहे और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके जेपी अग्रवाल को लेकर खुद लड़ने के बजाय अपने बेटे मुदित अग्रवाल को चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं। अग्रवाल ने अपनी बढ़ती उम्र का हवाला दे रहे हैं, लेकिन यह भी साफ कर दिया है कि पार्टी अगर कहेगी, तो वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं और वो मैदान छोड़कर नहीं भागेंगे। हालांकि चांदनी चौक सीट से पार्टी ने अलका लांबा का नाम घोषित किया है। ऐसे में अब वो किसी दूसरी सीट से लड़ेंगे या फिर नहीं यह तस्वीर अभी साफ नहीं है।

ये सीट भी शामिल

कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने मैदान नहीं छोड़ा है और वो चुनावी मैदान में ताल ठोक रह हैं। इसमें शाहदरा सीट से नरेंद्र नाथ, सीलमपुर से चौधरी मतीन, गांधी नगर से अरविंदर लवली, कृष्णानगर से डॉ. एके वालिया और पटेल नगर से पूर्व सांसद कृष्णा तीरथ चुनावी मैदान में उतरी हैं। 

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