मनड्रेम सीट इलेक्शन रिजल्ट 2022: एमजी पार्टी के जीत विनायक अरोलकर ने बीजेपी प्रत्याशी को करीबी अंतर से हराया

यहां पहला चुनाव 1967 में हुआ था। तब महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के ए.जे डिसूजा ने यूजीएस के केएम विनायक को हराकर जीत हासिल की थी। इसके बाद लगातार 1972, 1977, 1980, 1984 और 1989 में महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी ने कांग्रेस को हराकर कब्जा बरकरार रखा। 

Anand Pandey | Published : Mar 9, 2022 7:24 PM IST / Updated: Mar 11 2022, 12:09 AM IST

Mandrem Election Results 2022: मनड्रेम विधानसभा सीट से महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के जीत विनायक अरोलकर (Jit Vinayak Arolkar) ने भारतीय जनता पार्टी के दयानंद रघुनाथ सोप्टे (Dayanand Raghunath Sopte) को करीबी मुकाबले में 715 वोटों से हरा दिया। जीत को कुल 10,387 वोट मिले, वहीं बीजेपी के दयानंद को 9,672 वोट मिले। आम आदमी पार्टी के प्रसाद के को 268 वोटों से ही संतोष करना पड़ा। जीत को कुल वोटों के 35.04 प्रतिशत वोट मिले। वहीं बीजेपी उम्मीदवार को 32.63 प्रतिशत वोट मिले। 

मनड्रेम सीट की खास बात

गोवा विधानसभा चुनाव में सबसे रोचक सीटों में मनड्रेम के नतीजों पर भी सबकी नजर है। मनड्रेम विधानसभा सीट यहां नॉर्थ गोवा जिले में आती है। इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। यहां 2017 के चुनाव में कांग्रेस के दयानंद रघुनाथ ने भाजपा के लक्ष्मीकांत पारसेकर को हराया। बाद में दयानंद बीजेपी में आ गए। ऐसे में लक्ष्मीकांत कांग्रेस में शामिल हो गए। 2019 के उपचुनाव में भाजपा के दयानंद रघुनाथ ने कांग्रेस के लक्ष्मीकांत पारसेकर को शिकस्त दी। बाद में लक्ष्मीकांत भी बीजेपी में शािमल हो गए।

अब 2022 के चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर दयानंद रघुनाथ पर भरोसा जताया तो लक्ष्मीकांत पारसेकर ने बगावत कर दी और निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद गए। मनड्रेम सीट से इस बार कांग्रेस प्रत्याशी मैदान नहीं है। यहां गोवा फॉरवर्ड पार्टी से दीपक भालचंद्र कलंगुत्कर, निर्दलीय लक्ष्मीकांत पारसेकर, भाजपा से दयानंद रघुनाथ सोप्टे, आम आदमी पार्टी से प्रसाद के. शहापुरकर, महाराष्ट्रवाड़ी गोमंतक पार्टी से जीत विनायक अरोलकर, रिव्यूलशनरी गोअन्स पार्टी से सुनयना रजनीकांत गावड़े, शिवसेना से बबली भास्कर नाइक चुनाव लड़ रहे हैं।

महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी का लंबे समय तक दबदबा रहा
नॉर्थ गोवा जिले में मनड्रेम विधानसभा क्षेत्र आता है। यहां पहला चुनाव 1967 में हुआ था। तब महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के ए.जे डिसूजा ने यूजीएस के केएम विनायक को हराकर जीत हासिल की थी। इसके बाद लगातार 1972, 1977, 1980, 1984 और 1989 में महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी ने कांग्रेस को हराकर कब्जा बरकरार रखा। पहली बार 1994 में यहां कांग्रेस से प्रत्याशी संगीता गोपाल जीतीं। उन्होंने महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के रमाकांत दत्ताराम को सिर्फ 633 वोट से हराकर जीत हासिल की। हालांकि, 1999 में रमाकांत दत्ताराम ने संगीता गोपाल को 1182 वोट से हराकर वापस कब्जा किया।

2002 में आई भाजपा, 12 साल तक कब्जा रखा
2002 में भाजपा के लक्ष्मीकांत पारसेकर ने कांग्रेस के रमाकांत दत्ताराम को 908 वोट से हराया। इसके बाद लगातार 2007 और 2012 में भी भाजपा के लक्ष्मीकांत ने जीत का सिलसिला जारी रखा। 2017 के चुनाव में कांग्रेस के दयानंद रघुनाथ सोप्टे ने भाजपा से लगातार तीन बार के विधायक लक्ष्मीकांत पारसेकर को 7569 वोट से हराकर जीत हासिल की।

उपचुनाव में फिर भाजपा का कब्जा
2019 में दिलचस्प घटनाक्रम रहा। तब 2017 के कांग्रेस प्रत्याशी दयानंद रघुनाथ भाजपा में शामिल हो गए। उपचुनाव हुए और दयानंद रघुनाथ भाजपा से लड़े और जीत हासिल की। लक्ष्मीकांत ने 1988 में बीजेपी उम्‍मीदवार के रूप में मनड्रेम विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ा था। वे 1994 से 1999 तक गोवा भाजपा के महासचिव बने। 2000 से लेकर 2003 और 2010 से लेकर 2012 तक दो बार गोवा भाजपा के अध्यक्ष भी रहे।

जानें लक्ष्मीकांत पारसेकर के बारे में
गोवा की राजनीति में लक्ष्मीकांत पारसेकर का नाम बीजेपी को खड़ा कर आगे बढ़ाने वाले नेताओं में आता था। लक्ष्मीकांत आरएसएस से बीजेपी में आए थे। उन्‍होंने एक स्‍वयंसेवक से गोवा के मुख्‍यमंत्री तक का सफर तय क‍िया। लेक‍िन, 2022 के चुनाव में उनके सितारे गर्दिश में देखे गए। इस चुनाव में ट‍िकट ना म‍िलने के बाद उन्‍होंने बीजेपी से इस्‍तीफा द‍िया है और न‍िर्दलीय चुनावी मैदान में कूदे।

2014 में मुख्यमंत्री बने
2014 में मनोहर पर्रिकर केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री बनाए गए तो लक्ष्मीकांत पारसेकर को गोवा का मुख्यमंत्री बनाया गया। लक्ष्मीकांत ने 8 नवंबर 2014 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और 2017 तक जिम्मेदारी संभाली। 2017 के चुनाव में लक्ष्मीकांत को हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में उन्‍हें कांग्रेस के दयानंद रघुनाथ सोप्टे ने हराया था, ज‍िसके बाद उन्‍हें मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा देना पड़ा।

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