Gujarat Assembly Election 2022: सुप्रीम कोर्ट में गोधरा कांड के दोषियों की जमानत को लेकर याचिका शुक्रवार को सुनवाई के लिए आई, इसका सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने विरोध करते हुए कहा कि इनकी वजह से 59 लोगों की दुखद मौत हो गई।
गांधीनगर। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उन 15 दोषियों के जमानत का विरोध किया, जिन्होंने वर्ष 2002 में गोधरा स्टेशन पर साबरमती ट्रेन की आग लगी बोगियों पर पथराव किया था। बता दें कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद राज्य में दंगे भड़क गए थे।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ये लोग केवल पथराव करने वाले नहीं थे बल्कि, इनकी हरकतों से जलती बोगी में से लोगों को बचाया नहीं जा सका। ऐसे में 59 लोगों की मौत हो गई, जबकि इनके पथराव करने से बहुत से लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
पत्थर फेंके, जिससे लोग जलती बोगी से बाहर नहीं निकल पाए
दरअसल, प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष दोषियों को जमानत से जुड़ा यह मामला शुक्रवार को सुनवाई के लिए आया था। कोर्ट की ओर से कहा गया कि ये दोषी 17-18 साल से जेल में बंद हैं, ऐसे में इनकी जमानत याचिका पर विचार किया जा सकता है। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि इन दोषियों ने ट्रेन की जलती बोगी पर लगातार पत्थर फेंके, जिससे अंदर फंसे लोग बाहर नहीं निकल सकें। साथ ही, जो लोग बचाने के लिए आगे बढ़े, उन्हें भी पथराव का सामना करना पड़ा। यह पथराव तब तक होता रहा, जब तक कि आग पूरी बोगी में नहीं फैल गई, जिससे अंदर फंसे 59 लोगों की मौत हो गई। ऐसे में यह केवल पथराव का मामला नहीं है।
15 दिसंबर को अगली सुनवाई
हालांकि, तुषार मेहता ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट के अक्टूबर 2017 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दोषियों की दायर अपील को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है। कोर्ट ने उन 11 दोषियों की सजा को उम्र कैद में बदल दिया गया था, जिन्हें पहले फांसी की सजा सुनाई गई थी। मेहता ने बेंच से कहा कि वे इन दोषियों की व्यक्तिगत भूमिकाओं की जांच कराएंगे और बेंच को इसकी रिपोर्ट देंगे। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 15 दिसंबर अगली तारीख तय की है।
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