'मुझे नितिनभाई ने टिकट दिलाया.. उनके काम जारी रहेंगे, पार्टी उन्हें राज्यसभा-लोकसभा भेजेगी या गवर्नर बनाए'

Gujarat Assembly Election 2022: भाजपा ने इस बार मेहसाणा से नितिन पटेल को टिकट नहीं दिया। दरअसल, नितिन ने खुद ही चिठ्टी लिखकर चुनाव लड़ने से मना किया। वहीं, मुकेश की मानें तो नितिनभाई के कहने पर ही उन्हें टिकट मिला है। 

Ashutosh Pathak | Published : Dec 2, 2022 7:32 AM IST

गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार कद्दावर पाटीदार नेता और मौजूदा उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल को मैदान में भले नहीं उतारा, मगर उनके गृह क्षेत्र मेहसाणा में उनका जलवा अब भी कायम है। जिले में तमाम जगह उनके पोस्टर लगे हैं और विकास पुरूष बताया गया है। बता दें कि इस बार पार्टी ने उनकी जगह मुकेश पटेल को मैदान में उतारा है। हालांकि, मुकेश भी नितिन पटेल समर्थक हैं और खुद 66 साल के नितिन कई बार रैलियों में यह बता चुके हैं कि मुकेश को खुद उन्होंने ही नामित किया है। 

कडवा पाटीदार नेता नितिन पटेल ने 2017 के विधानसभा चुनाव में मेहसाणा विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी। हालांकि, तब 2015 में शुरू हुआ पाटीदार आंदोलन चरम पर था और इसकी वजह से भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में खासकर उत्तर गुजरात में काफी नुकसान हुआ था। हालांकि, नितिन पटेल का जलवा कायम रहा और वे यहां की सात में से पांच सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रहे थे। 

तब नितिन पटेल को लोग सीएम पद का उम्मीदवार मान रहे थे 
पहले माना जाता रहा कि नितिन पटेल राज्य में तत्कालीन मुख्यमंत्री, जो अब उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं, आनंदीबेन पटेल के बाद दूसरे स्थान पर हैं। जब आनंदीबेन पटेल को सीएम पद से हटाया गया, तब कयास यही लगाए जा रहे थे कि नितिन पटेल ही सीएम बनेंगे, मगर पार्टी ने विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया, जबकि नितिन पटेल उप मुख्यमंत्री बनाए गए। वहीं, इस क्षेत्र में नितिन पटेल का जलवा अब भी कायम है। मेहसाणा से मौजूदा प्रत्याशी मुकेश पटेल इस बार भी नितिन पटेल के नाम पर ही वोट मांग रहे हैं। 

'मैं नितिनभाई के काम को आगे जारी रखूंगा'
वोट मांगते वक्त मुकेश पटेल अपने भाषणों में लोगों से यह कहना नहीं भूलते कि उन्हें नितिनभाई यहां से भाजपा उम्मीदवार नामित किया है। उनके विकास कार्य आगे भी जारी रहेंगे। वे साथ में कुछ विकास कार्यों का नाम भी लेते हैं और उनकी उपलब्धि भी बताते हैं। वहीं, कार्यकर्ताओं का कहना है कि उम्मीद है पार्टी आगे भी उनकी सेवाएं लेती रहेगी और उन्हें राज्यसभा के लिए नामित करेगी या लोकसभा का टिकट दे या फिर किसी राज्य का राज्यपाल का नियुक्त कर दे। 

कांग्रेस को आधी खुशी और आधा दुख 
हालांकि, नितिन पटेल के इस बार मैदान से बाहर होने पर कांग्रेस को अपने लिए उम्मीद की किरण नजर आ रही है। पार्टी के प्रत्याशी पीके पटेल के अनुसार, अब सीट पर बदलावा जरूरी हो गया है। लोगों को देखना चाहिए कि भाजपा अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ कैसा व्यवहार करती है। भाजपा को डर था कि वह इस सीट से हार जाएगी, इसलिए भी अपने वरिष्ठ नेता को हटा दिया। बता दें कि भाजपा इस सीट पर बीते 32 साल से जीत रही है। 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा और कांग्रेस के अलावा 32 अन्य उम्मीदवार भी मैदान में थे, मगर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी को छोड़कर सभी की जमानत भी जब्त हो गई थी।  

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