दूसरे चरण की वोटिंग खत्म.. अफसरों ने बहुत मनाया, मगर वोटिंग के लिए इन तीन गांव के लोग नहीं माने

Gujarat Assembly Election 2022: मेहसाणा जिले के तीन गांव के करीब 5200 लोगों ने अफसराें ने वोटिंग के लिए बहुत मनाने की कोशिश की, मगर ये लोग अपनी मांग पर अड़े रहे और वोटिंग प्रक्रिया में उन्होंने हिस्सा नहीं लिया। 

गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव का दूसरा व अंतिम चरण भी आज सोमवार को समाप्त हो गया। इस बीच, राज्य के मेहसाणा जिले के तीन गांवों के करीब 5200 वोटर्स ने वोटिंग का बायकॉट यानी बहिष्कार यह कहते हुए किया कि राज्य सरकार लंबे समय से उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है। इसमें पानी की कमी अब भी बड़े मुद्दे के तौर पर शामिल है। वहीं, एक अधिकारी का कहना है कि गांव वाले अपने रुख पर अंत तक अड़े रहे, जबकि राज्य सरकार ने उनके गांव में सभी तालाबों को नर्मदा नदी के जल से भरने की मुख्य मांग पहले ही मान चुकी है। 

जिन गांव के लोगों ने वोटिंग नहीं की, उनमें खेरालु तालुका के वरेथा, दलिसाना और दावोल गांव के लोग शामिल हैं। अधिकारी ने बताया कि यह लगातार तीसरी बार है, जब इन लोगों ने वोटिंग नहीं की। बता दें कि सोमवार को गुजरात के उत्तर और मध्य क्षेत्र के 14 जिलों के 93 विधानसभा सीटों पर दूसरे व अंतिम चरण की वोटिंग थी। कुल 182 में से 89 सीट पर वोटिंग पहले ही चरण में गुरुवार, 1 दिसंबर को हो चुकी थी। पहले चरण में 63 प्रतिशत से अधिक वोटिंग हुई। हालांकि, दूसरे चरण के अंतिम नतीजे अब तक सामने नहीं आए हैं। दोनों ही चरणों की मतगणना 8 दिसंबर को होगी। 

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अफसरों को कई बार याद दिलाया, मगर मांगें पूरी नहीं की 
मेहसाणा जिले के कलेक्टर उदित अग्रवाल ने बताया कि तीन गांव के लोगों ने पहले यहां हुए तालुका चुनाव, जिला और ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान भी वोट नहीं किया था। इसके बाद गांव वालों ने पहले ही विधानसभा चुनाव में वोटिंग का बहिष्कार करने की बात कही गई थी। बता दें कि गांव वालों का कहना है कि पानी समेत कुछ प्रमुख मुद्दों पर अधिकारियों को बार-बार याद दिलाया गया, मगर उन्होंने इनका समाधान नहीं निकाला। गांव वालों का कहना था कि उन्होंने सरकार से तीन गांवों के सभी तालाबों को पाइप लाइन के जरिए नर्मदा नदी के जल से भरने और धोरई बांध से खेती के पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ने की मांग की थी। 

मनाने की कोशिश हुई पर गांव वाले अड़े रहे 
उदित अग्रवाल के अनुसार, वरेथा, दलिसान और दावोल गांव के करीब पांच हजार दो सौ वोटर्स ने सोमवार सुबह 8 बजे से शाम पांच बजे के बीच हुई वोटिंग के दौरान वोट नहीं किया। यह उनके चुनाव बहिष्कार का लगातार तीसरा साल है। मैं कुछ महीने पहले इस गांव में गया था। गांव वालों को वोट देने के लिए मनाने की कोशिश भी की थी। सरकार ने पहले ही इन तालाबों को भरने की मंजूरी दे दी थी और यह जानकारी उन्हें बता भी दी गई, मगर गांव से किसी ने भी वोटिंग प्रॉसेस में हिस्सा नहीं लिया। 

इस गांव के लोगों को अधिकारियों ने मना लिया 
अग्रवाल ने बताया कि मेहसाणा जिले के ही बेचाराजी तालुका के बरियाफ गांव के लोग भी पहले वोटिंग नहीं करने की बात पर अड़े थे। उनकी भी कुछ मांगें थी, मगर स्थानीय अधिकारियों ने उन्हें अंत समय में मना लिया और वे वोटिंग करने को राजी हुए। मनाने के लगातार प्रयास के बाद गांव के लोगों ने दोपहर में वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा लिया। गांव के 50 प्रतिशत से अधिक लोगों ने शाम तक वोट कर लिया था। 

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