Himachal Pradesh Assembly Election 2022: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बागियों को साधना शुरू कर दिया है। पहले ही दिन उन्होंने एक पिता को तो समझा दिया, मगर उनके बेटे को मनाने में वे अब भी कामयाब नहीं हुए हैं।
शिमला। Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए मुसीबत बने बागियों को ठीक करने की जिम्मेदारी खुद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड़्डा ने अपने पास रखी थी। उन्हें भरोसा था कि एक-एक कर के सबको समझा लेंगे। इसकी शुरुआत गुरुवार से हो गई थी और शुक्रवार को रिजल्ट आने भी शुरू हो गए।
दरअसल, कुल्लू विधानसभा सीट से महेश्वर सिंह को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था, मगर नामांकन से ठीक पहले उन्हें चुनाव नहीं लड़ने को कहा गया और टिकट काट कर नरोत्तम ठाकुर को दे दिया गया। कुल्लू से तीन बार सांसद और एक बार विधायक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता महेश्वर सिंह अड़ गए कि उन्हें चुनाव लड़ना ही है। उन्होंने उस दिन दो पर्चे दाखिल किए। एक भाजपा के सेट पर और दूसरा निर्दलीय।
मुलाकात के बाद महेश्वर सिंह के सुर बदल गए
भाजपा के सेट वाला पर्चा तो गुरुवार को खारिज हो गया, मगर निर्दलीय वाला निर्वाचन अधिकारी ने सही माना। इसके बाद तय हो गया कि महेश्वर सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे और अपनी ही पार्टी के खिलाफ ताल ठोंकेंगे। नड्डा आनन-फानन में शिमला पहुंचे और कुल्लू के लिए एक हेलिकॉप्टर रवाना करवाया, जिसकी जिम्मेदारी महेश्वर सिंह को शिमला लाने की थी। महेश्वर ने बात नहीं टाली और नड्डा से मिलने शिमला पहुंचे। दोनों की मुलाकात हुई। पता नहीं कौन से दावे और वादे हुए, जिसके बाद महेश्वर सिंह के सुर बदल गए। उन्होंने ऐलान कर दिया कि वे निर्दलीय चुनाव भी नहीं लड़ेंगे। ऐसा इसलिए कि अब वे बूढ़े हो चुके हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ने की यह उम्र नहीं। हालांकि, उन्होंने अभी अपने सारे पत्ते नहीं खोले हैं। बता दें कि यहां 68 सीटों पर कुल 561 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस बार एक चरण में वोटिंग होगी। मतदान 10 नवंबर को है, जबकि मतगणना 8 दिसंबर को होगी।इसमें भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ इस बार आम आदमी पार्टी ने भी सभी 68 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं।
बेटा मेरे बस में नहीं, वो चुनाव लड़ रहा तो मैं कुछ नहीं कर सकता
वैसे, इसे नड्डा की आधी जीत ही माना जा रहा है, क्योंकि महेश्वर सिंह ने अपने बेटे हितेश्वर को मनाने की जिम्मेदारी नहीं ली। उन्होंने साफ कह दिया कि वे अपने बेटे के ठेकेदार नहीं हैं। शादी के बाद बच्चे मां-बाप नहीं सुनते। हितेश्वर उनके बस में नहीं है और अगर वह चुनाव लड़ रहा है, तो वे कुछ नहीं कर सकते। दरअसल, पार्टी ने ऐन वक्त पर महेश्वर सिंह का टिकट क्यों काटा, इस पर खुलकर कुछ नहीं बताया गया, मगर अंदरखाने में जो चर्चा थी, उसके मुताबिक महेश्वर के बेटे हितेश्वर ने बंजार सीट से निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया है। पार्टी ने पिता से कहा था कि बेटे को समझा लें। बेटा नहीं माना तो पिता को इसकी सजा दी गई। इसके बाद नड्डा से मुलाकत के दौरान भी उन्हें कहा गया होगा, मगर इस बार महेश्वर सिंह ने दो टूक कह दिया कि बेटे की जिम्मेदारी वे नहीं लेंगे।
इस राज्य में हर 5 साल में सरकार बदलने का ट्रेंड, क्या 'बागी' बनेंगे किंगमेकर?
भाजपा चाहेगी कुर्सी बची रहे.. जानिए कितनी, कब और कहां रैली के जरिए मोदी करेंगे जयराम ठाकुर की मदद