पंजाब (Punjab) में आम आदमी पार्टी (Aam admi Party) 117 में से 90 सीटों पर आगे चल रही है। अगर यह परिणाम में परिवर्तित होते हैैं तो यह एक रिकॉर्ड हो सकता है। 45 साल में आज तक किसी एक पार्टी को इतनी सीटें कभी नहीं मिली हैं।
पंजाब चुनाव इतिहास (Punjab Assembly Election) बनाता हुआ दिखाई दे रहा है। पार्टी के लिहाज से भी और आंकड़ों के लिहाज से भी। पंजाब (Punjab) की जनता ने ऐसा चुनाव बीते 45 सालों में कभी नहीं देखा। 1977 से जब से पंजाब की विधानसभा सीटें 117 हुई हैं, तब से 2017 तक के चुनावों तक इतना प्रचंड बहुमत किसी एक पार्टी को मिलता हुआ नहीं दिखा, जितना आम आदमी पार्टी को मिलता हुआ दिखााई दे रहा है। मौजूदा समय में पंजाब (Punjab) में आम आदमी पार्टी (Aam admi Party) 117 में से 90 सीटों पर आगे चल रही है। अगर यह परिणाम में परिवर्तित होते हैैं तो यह एक रिकॉर्ड हो सकता है। 45 साल में आज तक किसी एक पार्टी को इतनी सीटें कभी नहीं मिली हैं।
अगर आप को मिली 77 फीसदी सीटें
मौजूदा समय में तमाम रुझानों में पंजाब में आम आदमी पार्टी 90 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। राजनीतिक पंडितों का साफ कहना है कि यह आंकड़ा नतीजों में परिवर्तित होना तय है। ऐसे में पंजाब की कुल 117 सीटों में 90 सीटों इसका मतलब है कि करीब 77 फीसदी सीटों पर कब्जा मिलने की उम्मीद की जा रही है । जो कि 1977 से अब तक बड़ा महारिकॉर्ड माना जाएगा। इन 45 सालों में ना तो अकाली दल को और ना ही कांग्रेस इतनी नंबर ऑफ परसेंटेज ऑफ सीट मिली हैं।
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अकाली दल ने 1985 में 70 फीसदी का आंकड़ा किया था पार
शिरोमणि अकाली दल ने जरूर 1985 में 117 सीटों में से 100 सीटों पर चुनाव लड़कर 70 फीसदी से ज्यादा सीटों को अपने नाम किया था। उस समय शिरोमणि अकाली दल ने 73 सीटें जीती थी। वैसे अकाली ने 100 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था और उस समय सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।
1997 में अकाली भाजपा गठबंधन ने बनाया था रिकॉर्ड
अगर बात गठबंधन की बात करें तो 1997 के चुनावों में भाजपा और अकाली के गठबंधन ने बड़ा रिकॉर्ड बनाया था। दोनों ने 117 सीटों पर चुनाव लड़कर 93 सीटों पर कब्जा किया था। अकाली ने 92 सीटों पर चुनाव लड़ 75 सीटों पर कब्जा किया था और बीजेपी छोटे भाई की भूमिका में रहते 22 सीटों पर चुनाव लड़ी और 18 सीटों पर जीत कायम की। पंजाब में उसके बाद अकाली और भाजपा कभी ऐसा प्रदर्शन नहीं दोहरा सके। भाजपा का भी यह प्रदर्शन अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है। 1992 के चुनाव में कांग्रेस ने भी इतिहास रच दिया था। 116 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 87 सीटों पर कब्जा जमाया था। 1977 से अबतक 45 वर्षों में यह सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है। 30 सालों में कांग्रेस कभी ऐसा प्रदर्शन नहीं दोहराया। उस दौरान कांग्रेस को 44 फीसदी वोट पड़ा था।
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आजादी के बाद चुनाव की स्थिति
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि आजादी के बाद पूरे देश में कांग्रेस की लहर थी। 1952 में आजादी के बाद जब पंजाब में चुनाव हुए तो कांग्रेस ने 126 सीटों में से 121 सीटों पर चुनाव लड़ा और 96 सीटों पर जीत हासिल की। उसके पांच साल के बाद कांग्रेस ने और बेहतरीन प्रदर्शन किया और 154 सीटों में 120 सीटें यानी 78 फीसदी सीटों पर कब्जा जमाया। उसके बाद यह जीत प्रतिशत कम होता रहा। 1962 में बड़ा डाउन फॉल देखा गया और कांग्रेस 154 में 90 सीटें ही जीत सकी।