पंजाब: संयुक्त समाज मोर्चा के उम्मीदवारों की टेंशन बढ़ी, चुनाव आयोग ने अभी तक नहीं किया पार्टी को रजिस्टर्ड

मोर्चा की ओर से चुनाव आयोग से मांग की कि उन्हें ट्रैक्टर से संबंधित सिंबल दिया जाए। ट्रैक्टर-ट्रॉली या ट्रैक्टर-ट्रेलर की तरह का सिंबल का विकल्प दिया गया है। तीन कृषि कानून के विरोध के वक्त भी ट्रैक्टर-ट्रॉली खासा लोकप्रिय हुआ था।

Asianet News Hindi | Published : Jan 30, 2022 6:37 AM IST

चंडीगढ़। नामांकन के अब दो दिन बचे हैं, लेकिन बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) की पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा को अभी तक चुनाव आयोग ने मान्यता नहीं दी है। इस वजह से मोर्चे के उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।  मोर्चा ने पार्टी के तौर पर मान्यता दिलवाने के लिए जो आवेदन दिया था, इसमें कई तरह की गलती थी। जिस वजह से यह स्थिति बनी है। अब मोर्चा ने चुनाव आयोग से मांग की कि उनकी ओर से खड़े किए गए उम्मीदवारों को एक तरह का चुनाव सिंबल मिल जाए। 

ट्रैक्टर-ट्रॉली की तरह का सिंबल चाहता है मोर्चा 
मोर्चा की ओर से चुनाव आयोग से मांग की कि उन्हें ट्रैक्टर से संबंधित सिंबल दिया जाए। ट्रैक्टर-ट्रॉली या ट्रैक्टर-ट्रेलर की तरह का सिंबल का विकल्प दिया गया है। तीन कृषि कानून के विरोध के वक्त भी ट्रैक्टर-ट्रॉली खासा लोकप्रिय हुआ था। आंदोलनकारी किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली और लाल किले तक पहुंच गए थे। बाद में किसान ट्रैक्टर दिल्ली में घुसने की धमकी भी देते थे। किसानों ने मोर्चा का एक न्यूज पेपर भी निकाला था। इसका नाम भी ट्रॉली टाइम्स रखा था। 

मान्यता नहीं मिली तो मोर्चा को क्या दिक्कत आएगी? 
जानकारों का कहना है कि तो मोर्चे के उम्मीदवारों को आजाद उम्मीदवार के तौर पर माना जाएगा। इसमें दिक्कत यह आ सकती है कि मोर्चा के उम्मीदवारों को अलग अलग सिंबल मिलेंगे। लेकिन जब दल बदल कानून जैसा नियम जीते हुए उम्मीदवारों पर लागू नहीं होगा। इसी तरह से एक पार्टी के तौर पर मोर्चे के उम्मीदवार अपने को प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे। यदि पंजाब में किसी दल के बहुमत नहीं मिलता तो फिर मोर्चा अपने उम्मीदवारों को किसी दूसरे दल को समर्थन देने से नहीं रोक पाएगा। 

पहचान का भी संकट भी आएगा 
पाटी के तौर पर मान्यता न मिलने से संयुक्त समाज मोर्चे को अपनी पहचान का भी संकट आ सकता है। तभी उनकी कोशिश है कि कम से कम सभी प्रत्याशियों के लिए एक कॉमन सिंबल मिल जाए। जिससे पहचान का संकट नहीं रहेगा। लेकिन अभी तक मोर्चे की इस मांग को चुनाव आयोग ने माना नहीं है। 

चढूनी की पार्टी के पास है सिंबल 
इधर, गुरनाम सिंह चढूनी (Gurnam Singh Chaduni) की पार्टी के पास अपना कप प्लेट सिंबल है। मोर्चा चाहे तो इसका भी इस्तेमाल कर सकता है। लेकिन तब सारे प्रत्याशी गुरनाम सिंह चढूनी की पार्टी संयुक्त संघर्ष पार्टी के अंडर आ जाएंगे। संयुक्त समाज मोर्चे का इन पर नियंत्रण नहीं रहेगा। लेकिन बलबीर सिंह राजेवाल ऐसा नहीं चाहते। यूं भी मार्चे ने गुरनाम सिंह को 10 सीट दे रखी है। अब यदि सभी उम्मीदवार चढूनी की पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ते हैं तो उनका नेता भी गुरनाम सिंह चढूनी होगा। इस तरह से राजेवाला खुद ब खुद साइड लाइन लग जाएगा।  

संयुक्त समाज मोर्चा के उम्मीदवार चाहते हैं चढूनी के सिंबल पर लड़ना 
मोर्चा के उम्मीदवार चाहते हैं कि चढूनी के सिंबल पर ही चुनाव लड़ लिया जाए। इनका मानना है कि कम से कम एक सिंबल तो रहेगा। एक सिंबल रहने से उन्हें किसानों का भी समर्थन मिलता रहेगा। यदि सिंबल अलग अलग हो जाता है तो फिर किसानों का समर्थन को लेकर अनिश्चितता रहेगी। उम्मीदवार ऐसा नहीं चाह रहे हैं। 

बैठक में ले लेंगे निर्णय 
बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि इस बाबत बैठक कर निर्णय लिया जाएगा। जल्दी ही इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा। मोर्चा जो भी निर्णय लेता है, मिल जुल कर सभी की राय से लेता है। इस मामले में भी हम मिल कर ही निर्णय लेंगे। इसके बाद ही आगे की रणनीति तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि हम परेशान नहीं है। जल्दी ही चीजें ठीक हो जाएगी।

बता दें कि 2017 के पंजाब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर राज्य में पूर्ण बहुमत हासिल किया था और 10 साल बाद शिअद-भाजपा सरकार को बाहर कर दिया।

पंजाब चुनाव में ऐसा है पूरा कार्यक्रम
कुल विधानसभा सीटें- 117
नोटिफिकेशन जारी होने की तारीख- 25 जनवरी
नामांकन की आखिरी तारीख- 1 फरवरी
नामांकन पत्रों की जांच- 2 फरवरी
नाम वापसी की अंतिम तारीख- 4 फरवरी
मतदान- 20 फरवरी
रिजल्ट- 10 मार्च

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