आज राम रहीम को फरलो देने का आधार बताएगी हरियाणा सरकार, पंजाब चुनाव के बीच जेल से बाहर आने के विरोध में याचिका

गुरमीत रेप और हत्या के तीन मामलों में आजीवन कारावास और 20 साल की सजा काट रहा है। उसे पंजाब में चुनाव के बीच 21 दिन की फरलो देने पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।

चंडीगढ़। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को फरलो दिए जाने के मामले में आज फिर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। हरियाणा सरकार गुरमीत को फरलो दिए जाने का आधार भी बताएगी। इससे पहले हाइकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान तीन के अंदर सरकार से जवाब पेश करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों ना फरलो पर रोक लगा दी जाए। आज हरियाणा सरकार वह दस्तावेज हाइकोर्ट में सौंपेगी, जिनके आधार पर राम रहीम को फरलो देने का निर्णय लिया है।

गुरमीत रेप और हत्या के तीन मामलों में आजीवन कारावास और 20 साल की सजा काट रहा है। उसे पंजाब में चुनाव के बीच 21 दिन की फरलो देने पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। इससे पहले गुरमीत की 3 बार फरलो की अर्जी खारिज कर दी गई थी। लेकिन, चुनाव के बीच सरकार की तरफ से फरलो को मंजूरी देने से पंजाब का राजनीतिक माहौल भी गरमा गया था।

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सभी दस्तावेज और हलफनामा पेश करना होगा
सोमवार को जस्टिस बीएस वालिया मामले की सुनवाई करेंगे। उन्होंने शुक्रवार को आदेश दिया था कि हरियाणा सरकार सोमवार को सभी दस्तावेज और रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करें, जिसके आधार पर फरलो देने का निर्णय लिया गया। सरकार को इस मामले में लिखित हलफनामा दायर कर पक्ष रखने का भी कोर्ट ने आदेश दिया था। 

राजनीतिक लाभ लेने के लिए फरलो दी गई
पंजाब के समाना से निर्दलीय उम्मीदवार परमजीत सिंह सोहाली ने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। याची ने कहा कि पंजाब में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राम रहीम को राजनीतिक लाभ लेने के लिए फरलो दी गई है। राम रहीम का पंजाब की कई सीटों पर गहरा प्रभाव है और ऐसे में उसकी फरलो से पंजाब में शांति भंग हो सकती है। 

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गुरमीत को फरलो का अधिकार नहीं
यह भी बताया कि राम रहीम को जब सजा सुनाई गई थी, तब पंचकूला में भारी हिंसा हुई थी। आज भी शांति व्यवस्था खतरे में है। ऐसे में हरियाणा सरकार का निर्णय पूरी तरह से गलत है। दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी शख्स को हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स अधिनियम के तहत फरलो का अधिकार नहीं होता है। 

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