पंजाब चुनाव : डेरा सच्चा सौदा के संचालक गुरमीत राम रहीम के समधी की कांग्रेस से बगावत, निर्दलीय मैदान में उतरे

तलवंडी साबो में डेरा प्रेमियों की संख्या 40 हजार से ऊपर है। जो इस विधानसभा की सियासी समीकरण को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। हरमिंदर जस्सी 1992 के चुनाव में वह अकाली दल के बायकाट के दौरान जस्सी ने बसपा उम्मीदवार को 992 वोट से हराया था। 

बठिंडा : पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Chunav 2022) में मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे सियासी हलचल भी बढ़ती है जा रही है। डेरा सच्चा सौदा (Dera Sacha Sauda) के समर्थकों ने हलका तलवंडी साबो में कांग्रेस (Congress) से बागी होकर आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे पूर्व मंत्री हरमिंदर सिंह जस्सी (Harminder Singh Jassi) के चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। जस्सी डेरा सच्चा सौदा सिरसा के संचालक गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) के समधी हैं। इस सीट से कांग्रेस की ओर से खुशबाज सिंह जट्टाना को इस बार टिकट दिया गया है, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) से प्रोफेसर बलजिंद्र कौर चुनावी मैदान में हैं। 

कांग्रेस से किनारा क्यों
दरअसल हलका तलवंडी साबो के इंचार्ज खुशबाज सिंह जट्टाना थे। हरमिंदर सिंह जस्सी ने क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढ़ाई तो जट्टान समर्थकों ने विरोध शुरू कर दिया। इसी दौरान सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) ने रामामंडी में एक रैली रखी। रैली के इंतजाम को देखने पहुंचे जस्सी और खुशबाज समर्थक आमने-सामने हो गए थे। जहां से इस विवाद की शुरूआत हो गई थी। इस मौके पर कुछ लोगों ने जस्सी को डेरा प्रमुख के साथ जोड़ कर आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया। इसका जस्सी समर्थकों खासतौर पर डेरा समर्थकों में रोष का कारण बन गया। जब कांग्रेस पार्टी ने खुशपाल जट्टाना को तलवंडी साबो से टिकट दिया तो डेरा समर्थकों ने उसका विरोध करना शुरू कर दिया। इसके बाद जस्सी समर्थकों ने कांग्रेस से बगावत करते हुए आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने पर जोर दिया। 

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इस सीट पर डेरा समर्थकों की सीधी पैठ
जस्सी को उम्मीद थी कि पार्टी उनकी बात को सुनेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस वजह से उन्होंने अब बतौर निर्दलीय मैदान में हैं। तलवंडी साबो में हरमिंदर जस्सी की डेरा समर्थकों में सीधी पैठ है। इसका लाभ भी उन्हें मिलता नजर आ रहा है। इस सीट को डेरा प्रेमियों ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। क्योंकि डेरा प्रेमी मान कर चल रहे हैं कि कांग्रेस ने हरमिंदर का टिकट नहीं काटा, बल्कि डेरा सच्चा सौदा को नीचा दिखाने की कोशिश की है। 

40 हजार से ज्यादा डेरा समर्थक
तलवंडी साबो में डेरा प्रेमियों की संख्या 40 हजार से ऊपर है। जो इस विधानसभा की सियासी समीकरण को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। हरमिंदर जस्सी 1992 के चुनाव में वह अकाली दल के बायकाट के दौरान जस्सी ने बसपा उम्मीदवार को 992 वोट से हराया था। साल 1997 में फिर से जस्सी कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ते हुए अकाली दल के उम्मीदवार जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू को 3200 वोट से हराया था। 2002 में सिद्धू ने अकाली दल से बगावत करते हुए आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा, इस बार उन्होंने जस्सी को 217 वोट से हराया था । 2005 में जस्सी बठिंड से चुनाव जीते। 2012 का चुनाव वह हार गए। 2017 में हलका मोड से उन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए थे।

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