उत्तर प्रदेश में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाली अदिति सिंह के पति अंगद सिंह को पार्टी ने पंजाब में टिकट नहीं दिया है। उनकी जगह जिला योजना बोर्ड के अध्यक्ष सतवीर सिंह को टिकट दिया गया है।
चंडीगढ़। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के टिकट पर रायबरेली से विधायक चुनी जाने वाली अदिति सिंह ने चुनाव से पहले पार्टी छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर लिया था। वह भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ रही हैं। अदिति सिंह के पार्टी छोड़ने की सजा कांग्रेस ने उनके पति अंगद सिंह को पंजाब में दिया है। कांग्रेस ने नवांशहर से विधायक अंगद सिंह का टिकट काट दिया है। उनकी जगह जिला योजना बोर्ड के अध्यक्ष सतवीर सिंह को टिकट दिया गया है।
टिकट कटने के बाद अब अंगद सिंह ने बगावत का तेवर अपना लिया है। उन्होंने नवांशहर से ही आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। बता दें कि अंगद सिंह को टिकट नहीं मिलेगी यह एशिया नेट ने पहले ही कह दिया था। इधर, अंगद सिंह का टिकट कटते ही कांग्रेस में बगावत हो गई है। उनके समर्थन में नगर काउंसिल चेयरमैन और सभी पार्षदों ने कांग्रेस छोड़ने की घोषणा कर दी है।
सोमवार को अंगद सिंह ने एक बैठक बुलाई है। इसमें गांव के सरपंच, जिला परिषद सदस्यों और पार्षदों को भी आमंत्रित किया गया है। अंगद सिंह की बगावत से नवांशहर में कांग्रेस की मुश्किल बढ़ सकती है। कुछ दिन पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता एकत्र हुए थे। उन्होंने कांग्रेस आलाकमान से अंगद को टिकट देने का अनुरोध किया था। इसके बावजूद अंगद का टिकट काट दिया गया।
अमरिंदर सिंह आवला का टिकट कटा
जलालाबाद से अमरिंदर सिंह आवला का टिकट भी कांग्रेस ने काट दिया। जलालाबाद अकाली दल की प्रमुख सीट मानी जाती है। यह सुखबीर बादल की पारंपरिक सीट रही है। 2019 में सुखबीर बादल लोकसभा चले गए। इस वजह से सीट खाली हो गई। तब कांग्रेस के टिकट पर आवला ने यहां से जीत हासिल की थी, लेकिन अब कांग्रेस ने उनका टिकट का दिया है। इससे कई लोग हैरान हैं। क्योंकि सुखबीर बादल की पारंपरिक सीट पर जीतने वाले आवला को टिकट नहीं देना समझ से परे हैं।
कांग्रेस ने जलालाबाद से मोहन सिंह फलियावाला को टिकट दिया है। वह फिरोजपुर से पूर्व सांसद हैं। उन्होंने 1992 और 96 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट से लोकसभा का चुनाव जीता था। वह इलाके के जाने माने दलित चेहरा हैं। 1986 से 2002 तक पंजाब में बीएसपी के पंजाब प्रांत के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2017 में फिरोजपुर देहात से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार थे। इन्हें तब 32 हजार वोट मिले थे।
फलियावाला रायसिंह बिरादरी से हैं। जलालाबाद रायसिंह जाति का गढ़ है। जलालाबाद सीट पर 58 प्रतिशत दलित वोटर हैं। इसमें से 38 प्रतिशत रायसिंह वोटर हैं। कांग्रेस के रणनीतिकारों ने रायसिंह वोटर को साधने के लिए यह दांव खेला है।
तरसेम डीसी को नहीं मिला टिकट
अटारी आरक्षित सीट से तरसेम डीसी की टिकट भी काट दी गई है। बताया जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर इनका जबरदस्त विरोध है। इनपर अवैध माइनिंग के आरोप लगे थे। इस वजह से कांग्रेस ने टिकट काट दिया। यहां से तरसेम सिंह को पार्टी ने टिकट दिया है। गौरतलब है कि टिकट कटने से कांग्रेस में खासी बगावत हो गई है। तीनों सीट पर अब कांग्रेस को अपने कार्यकर्ताओं को जोड़ने की कवायद करनी होगी। यदि ऐसा नहीं होता है तो कांग्रेस को खासा नुकसान हो सकता है।
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