सार

बिना घोषणा किए कांग्रेस ने बता दिया कि पंजाब में उनका सीएम फेस कौन हो सकता है। चरणजीत सिंह चन्नी का दो जगह से चुनाव लड़ना कांग्रेस की मजबूरी नहीं बल्कि सोची समझी रणनीति है। 

चंडीगढ़ (मनोज ठाकुर)। बिना घोषणा किए कांग्रेस (Punjab Election 2022) ने बता दिया कि पंजाब में उनका सीएम फेस कौन हो सकता है। चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) का दो जगह से चुनाव लड़ना कांग्रेस की मजबूरी नहीं बल्कि सोची समझी रणनीति है। कांग्रेस को पता है 111 दिन में चन्नी ने वह कर दिखाया जो कांग्रेस के लिए अभी तक कोई सीएम नहीं कर पाया। 

यही वजह है कि कांग्रेस चन्नी पर बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है। दो सीट से चुनाव लड़ने के पीछे भले ही कोई कुछ भी कहे, लेकिन एक बात साफ है, चन्नी को लेकर कांग्रेस नेतृत्व सेफ गेम खेल रहा है। उन्हें हर हालत में जीतता हुआ देखना चाह रहा है। इसलिए चन्नी को चमकौर के साथ-साथ बरनाल जिले की भदौड़ आरक्षित सीट से भी टिकट दिया गया है। हालांकि सिद्धू भी दूसरी जगह से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी में अंत में उनकी बात नहीं मानी। इनकी जगह चन्नी को दो जगह से उतारकर पार्टी ने संदेश दे दिया कि चन्नी ही चंगे हैं, उनके लिए तो। बहुत ही सधे अंदाज में कांग्रेस ने सिद्धू समेत पंजाब के मतदाता को संदेश दे दिया है। 

चन्नी दो जगह से क्यों लड़ रहे हैं?
राजनीतिक समीक्षक वीरेंद्र भारत के अनुसार पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी रोपड़ जिले में आने वाले मोरिंडा से संबंध रखते हैं। जो कि चमकौर साहिब आरक्षित सीट का क्षेत्र है, लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी खरड़ शहर में रहते हैं। जो कि मोहाली जिले का हिस्सा है। चरणजीत सिंह चन्नी पहली बार पार्षद का चुनाव खरड़ से जीते थे। बाद में नगर परिषद के अध्यक्ष भी बने। बाद में कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण वह चमकौर साहिब से निर्दलीय चुनाव लड़े थे। 

अबकी बार खरड़ विधानसभा क्षेत्र से दिग्गज कांग्रेसी नेता व तीन बार के कैबिनेट मंत्री जगदेव सिंह कंग टिकट न मिलने के कारण वह अपने बेटे को आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतार रहे हैं। उनका मानना है कि चरणजीत सिंह चन्नी की वजह से टिकट कटी है। पार्टी हाईकमान तो उन्हें टिकट देना चाहता था, लेकिन खरड़ सीट शहरी सीट होने के कारण हिंदू फेस विजय शर्मा रिंकू को दिलवाई। जगदेव सिंह कंग का मोरिंडा में अच्छा होल्ड है। वह चमकौर साहिब में किसी ने किसी स्तर पर चन्नी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। संभावित नुकसान को देखते हुए कांग्रेस ने अपने मुख्यमंत्री के चेहरे को सुरक्षित रखना चाहती है। इसलिए उन्हें दो जगह से चुनाव लड़वाया जा रहा है। 

भदौड़ से ही क्यों? 
बरनाला जिले में पड़ने वाली भदौड़ सीट मालवा इलाके में आती है। यह आरक्षित सीट है। यहां 48 से 53 प्रतिशत दलित वोटर हैं। कांग्रेस ने पहली बार दलित को पंजाब का सीएम बनाया। यहां इस चेहरे का लाभ कांग्रेस देख रही है। उसे लग रहा है कि भदौड़ के मतदाता कांग्रेस को वोट करेंगे, क्योंकि उन्हें पता है वह विधायक के साथ-साथ सीएम को भी चुन रहे हैं। 

यह सीट कांग्रेस में विवाद की वजह बनी हुई है। राज्यसभा सांसद शमशेर सिंह दुलो सीट मांग रहे थे। वह यहां से खुद लड़ना चाह रहे थे। आम आदमी पार्टी से कांग्रेस में आए मौजूदा विधायक पिरमल सिंह धोला भी यहां से टिकट मांग रहे थे। उनका इस सीट पर अच्छा खास प्रभाव है। दोनों नेताओं को शांत करने के लिए भी कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को उतार कर उनकी दावेदारी को वीटो कर दिया। भदौड़ सीट मालवा के मध्य में हैं। यहां से मालवा का पश्चिम इलाका, जहां पर दलितों की बड़ी तादाद है, यहां के दलितों को भी कांग्रेस के साथ जोड़ने के लिए यह रणनीति बनाई गई है। 

क्या चन्नी प्रदेश भर में कांग्रेस को जीता सकते हैं? 
इसमें दो राय नहीं है। उन्हें मौका मिला। उन्होंने साबित कर दिया है। अपने कार्यकाल में उन्होंने ब्यूरोक्रेसी पर पकड़ बनाई। सिद्धू ने उन्हें खुल कर काम करने नहीं दिया। बिना किसी टकराव के वह आगे बढ़ते रहे। कैप्टन के जाने के बाद कांग्रेस को जो नुकसान हुआ, जिस तरह से पार्टी टूट के कगार पर खड़ी थी, चन्नी ने इसे संभाला। एक बार तो लगने लगा था कि पार्टी के 20 विधायक कैप्टन के साथ जा सकते हैं, लेकिन चन्नी ने सभी को साध लिया। पार्टी को टूट से बचाना उनकी सबसे बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। 

वह दलितों में ही नहीं बल्कि पंजाब के मतदाता के बीच भी पकड़ बनाने में कामयाब रहे हैं। वह ज्यादा बोलते नहीं है, लेकिन काम करते हैं। उनके काम को पंजाब में सराहना मिली है। कैप्टन के सीएम कार्यकाल के दौरान पार्टी का जो विरोध पंजाब में था, वह उन्होंने कम कर दिया। कहना गलत नहीं होगा कि वह लगभग खत्म सा कर दिया है। अब पंजाब में कांग्रेस मजबूत पार्टी के तौर पर खड़ी नजर आ रही है। निश्चित ही यह सभी समीकरण साबित करते हैं कि चन्नी ने न सिर्फ इस छोटे से कार्यकाल में खुद को साबित किया, बल्कि पार्टी को भी स्थापित किया है। इसका लाभ पार्टी को चुनाव में मिल सकता है। 

क्या सीएम फेस हो सकते हैं चन्नी?
निश्चित ही। क्योंकि जिस तरह से कांग्रेस ने तवज्जो दी है, वह उन्हें सीएम फेस की ओर लेकर जा रही है। अपने कार्यकाल में चन्नी ने दिखाया कि वह कांग्रेस के लिए आइडियल नेता हैं। उनकी साफ छवि और शांत व्यवहार भी कांग्रेस के रणनीतिकारों को पसंद आ रहा है। पंजाब में 34 प्रतिशत के आसपास दलित वोटर  हैं। यह समीकरण चन्नी को कांग्रेस का फेवरेट बना रहा है। इसलिए कांग्रेस बिना किसी रिस्क के उन्हें अपना सीएम फेस घोषित कर सकती है। 

पंजाब की राजनीति पर पकड़ रखने वाले पंजाबी ट्रिब्यून के पूर्व पत्रकार बलविंदर सिंह कहते हैं कि कांग्रेस में कुछ भी हो सकता है। जो दिखता है, वह कई बार होता नहीं है। दो जगह से चुनाव लड़ना एक रणनीति हो सकती है। कांग्रेस इस तरह के समीकरण बिठाती रहती है। इसलिए यह कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी कि सीएम फेस चन्नी ही होंगे। लेकिन हां, ऐसा लगता जरूर है कि चन्नी की ओर कांग्रेसी रणनीतिकारों का रुझान बढ़ रहा है।

 

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