पहला गाना डिलीट-आवाज रिजेक्ट, फिर 30000+ गानों से 'दीदी' ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

स्वर कोकिला लता मंगेशकर की 95वीं जयंती पर जानिए उनके जीवन से जुड़े कुछ अनसुने किस्से। क्या आप जानते हैं उनका असली नाम 'हेमा' नहीं था? पढ़िए, कैसे 'हृदया' से 'लता' बनीं मंगेशकर।

Gagan Gurjar | Published : Sep 28, 2024 7:14 AM IST / Updated: Sep 28 2024, 01:29 PM IST

एंटरटेनमेंट डेस्क. स्वर कोकिला के नाम से मशहूर लता मंगेशकर की 95वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 28 सितम्बर 1929 को उनका जन्म इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। देश की 14 से ज्यादा भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गानों के लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। भारत रत्न लता मंगेशकर की जिंदगी से जुड़ी ऐसी कई बाते हैं, जिनके बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते होंगे। आइए दीदी की बर्थ एनिवर्सरी पर डालते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास और रोचक बातों पर एक नज़र...

1. लता मंगेशकर के बचपन का नाम

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कई लोगों को यह तथ्य गलत पता है कि लता मंगेशकर का बचपन का नाम हेमा था। जबकि हकीकत यह है कि बचपन में उन्हें हृदया कहा जाता था। लता मंगेशकर की बहन आशा भोसले ने एक बातचीत में यह खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि हेमा नाम लता जी के भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने बाद में दिया था। अब सवाल उठता है कि हृदया से हेमा बनने के बाद दीदी लता कैसे बन गईं? तो बताया जाता है कि एक बार वे पिता दीनानाथ मंगेशकर के प्ले 'भाव बंधन' में लतिका नाम का किरदार निभा रही थीं। इसी किरदार के चलते आगे चलकर उनका नाम लता रख दिया गया।

2. बहन आशा की खातिर लता दीदी ने छोड़ा था स्कूल

आशा भोसले के मुताबिक़, वे अपनी बहन लता मंगेशकर को दीदी नहीं, बल्कि आई (मां) कहती थीं। इसकी वजह यह थी कि वे उन्हें मां के जैसा ही प्यार करती थीं। यहां तक कि लता जहां जातीं, आशा को भी अपने साथ ले जाती थीं। इसी तरह जब दीदी ने स्कूल जाना शुरू किया तो वे आशा का हाथ पकड़कर उन्हें भी साथ ले गईं। चार-पांच दिन तक यह सिलसिला चलता रहा। एक दिन मास्टर जी ने लता के साथ आशा को देख लिया और कहा कि वे एक बच्चे की फीस में दो को नहीं पढ़ा सकते। उन्होंने लता से कहा कि वे आशा को घर छोड़कर आएं। लेकिन लता ने खुद स्कूल छोड़ दिया और अपनी बहन को भी घर पर पढ़ाने का फैसला लिया।

3. लताजी का पहला गाना फिल्म से हटा दिया गया था

लता मनेश्कर ने अपना सिंगिंग डेब्यू मराठी फिल्मों से किया था। 1942 में मराठी फिल्म 'किती हसाल' के लिए उन्होंने अपना पहला गाना 'नाचू या गडे, खेळू सारी मनी हौस भारी' रिकॉर्ड किया था। हालांकि, इस गाने को एडिटिंग के दौरान हटा दिया गया था। बाद में उनका गाना 'नताली चैत्राची नवलाई' रिलीज हुआ, जिसे उनका डेब्यू मराठी गाना माना जाता है।

4. लता मंगेशकर की आवाज़ को रिजेक्ट कर दिया गया था

लता मंगेशकर ने जब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा, तब भारी भरकम आवाज़ वाली सिंगर्स जैसे नूर जहां, शमशाद बेगम आदि का बोलबाला था। ऐसे में लता की पतली आवाज़ को रिजेक्ट कर दिया गया और कहा गया कि वे कभी सिंगर नहीं बन सकतीं। हालांकि, दीदी ने हार नहीं मानी और 1949 में उन्हें पहला हिंदी गाना 'आएगा आने वाला' मिला, जो फिल्म 'महल' में फिल्माया गया था। इस गाने ने लता दीदी को रातोंरात सिंगिंग सेंसेशन बना दिया था।

5. वो एक्ट्रेस, जिसके कॉन्ट्रैक्ट में होता था लता से गाना गवाने का क्लॉज़

बताया जाता है कि मधुबाला फिल्ममेकर्स के सामने शर्त रखती थीं कि उनके लिए सिंगिंग लता मंगेशकर से ही कराई जाए। उनका मानना था कि उनके ऊपर सबसे अच्छी आवाज़ लता दीदी की ही लगती थी। दूसरी ओर लता खुद ऐसा मानती थीं कि उनकी आवाज़ सायरा बानो पर ज्यादा अच्छी लगती है। अगर लता मंगेशकर के पसंदीदा सिंगर की बात करें तो मिस्र की सिंगर उम्म कुलसुम उनकी फेवरेट थीं।

6. जब तीन महीने बेड पर रहीं लता मंगेशकर

कहा जाता है कि 1962 में लता मंगेशकर की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। बाद में पता चला कि उन्हें धीमा जहर दिया गया था। लता दीदी की हालत तीन दिन तक गंभीर रही। डॉक्टर्स की कोशिश से उनकी जान बच गई, लेकिन उन्हें ठीक होने में लंबा समय लग गया। तीन महीने तक दीदी बेड पर रही थीं। हालांकि, आज तक भी कोई नहीं जानता कि उन्हें ज़हर किसने दिया था। उस वक्त उनका जो रसोइया था, वह बिना सैलरी लिए भाग गया था। बाद में उस दौर के दिग्गज म्यूजिशियन मजरूह सुल्तानपुरी लता दीदी के घर जाते, उनका खाना पहले खुद चखते और फिर उन्हें खाने की मंजूरी देते थे।

7. जब लता मंगेशकर ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को रुला दिया

1962 में जब चीन के साथ हुए युद्ध में हमारे कई सैनिक शहीद हुए और पूरे देश में निराशा का माहौल था, तब शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक प्रोग्राम रखा गया। इसमें लता दीदी ने 'ए मेरे वतन के लोगों' गाना गाया तो ना केवल वहां मौजूद जनता, बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी रो पड़े थे।

8. लता दीदी ने कभी शादी क्यों नहीं की?

लता मंगेशकर ने खुद एक इंटरव्यू में इसकी वजह बताई थी। उनके मुताबिक़, उनके मन में कई बार शादी करने के ख्यालात आए, लेकिन वे इस बंधन में बंध नहीं सकीं। उनकी मानें तो वे कम उम्र में काम करने लगी थीं। उन्होंने अपने भाई-बहनों को सेटल कराने के बारे में सोचा और जब उनकी बहन की शादी हुई और उनके बच्चे हुए तो उनके ऊपर उन्हें संभालने की जिम्मेदारी भी आ गई। फर्ज निभाते-निभाते शादी की उम्र निकल गई और वे इसके बिना ही रह गईं।

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