बकौल मिश्रा, "वे बेहद खुश थे। उन्होंने मेरा नाम पूछा। यह भी पूछा कि मैं ग्रैजुएट कब हो रहा हूं। उन्होंने मुझे अपना विजिटिंग कार्ड दिया और तुरंत मुंबई आने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि मैं तुरंत उनके प्रभादेवी वाले ऑफिस में आकर मिलूं। मैं कहा ठीक है, मैं आऊंगा। उन्हें मेरे फीचर बहुत पसंद आए थे और मेरे फोटोग्राफ भी लिए थे। 15 दिन बाद एनएफडीसी के डायरेक्टर मुझसे मिले और बोले कि उनके पास मेरे लिए कॉल आया है और मुझे तुरंत ही मुंबई बुलाया है। इसका मतलब एनएसडी बीच में छोड़ना था। मैंने कहा मैं जाऊंगा, लेकिन फिल्म नहीं करूंगा। उस वक्त दिल में बड़ी खटास थी, पता नहीं क्यों दुनिया से नफरत हो गई थी।"