न दवा के लिए पैसे थे न पेट भरने खाना, आखिरी वक्त में पाई-पाई को मोहताज थी बॉलीवुड की पहली महिला कॉमेडियन

Bollywood First Lady Comedian Tuntun. कम ही लोग जानते है कि बॉलीवुड की पहली महिला कॉमेडियन कौन थी, तो आपको बता दें कि ये टुनटुन थी। उनकी 100 बर्थ एनिवर्सरी पर फिल्म प्रोड्यूसर शशि रंजन ने उन्हें याद किया।

Rakhee Jhawar | Published : Jul 12, 2023 10:54 AM IST

एंटरटेनमेंट डेस्क. टुनटुन (Tuntun) के नाम से मशहूर उमा देवी खत्री (Uma Devi Khatri) हिंदी सिनेमा की पहली महिला कॉमेडियन थीं, जिन्होंने अपने पांच दशक के लंबे करियर में कई फिल्मों में काम और गाने भी गाए। उनकी अपनी 100वीं बर्थ एनिवर्सरी पर फिल्म प्रोड्यूसर शशि रंजन ने उन्हें याद किया और बताया कि कैसे इंडस्ट्री द्वारा उन्हें नजरअंदाज किया गया। आखिरी वक्त में टुनटुन के पास अपना इलाज कराने दवाईयां तक खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। इतना ही नहीं उन्हें पेटभर खाना तक नसीब नहीं होता था। उन्होंने बताया कि वह आखिरी वक्त में काफी बुरे दौर से गुजरी और पाई-पाई को मोहताज हो गई थी।

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आखिरी वक्त में चॉल में रहती थी टुनटुन

शशि रंजन ने एक इंटरव्यू में बताया- "जब मुझे उनके बारे में पता चला तो वह एक चॉल में रह रही थी और बुरी हालत में थी। वह बहुत बीमार थी। जब प्रोडक्शन के लोग उससे मिले, तो उन्होंने कहा कि वह चल नहीं सकती थी और उन्हें खाना तक मिलता है। जब मुझे पता चला तो मैं उनसे मिलने गया और उनसे एक इंटरव्यू के लिए गुजारिश की। वह बहुत खुश थीं लेकिन जब उन्होंने मुझे कहानियां सुनाईं कि कैसे वह कुछ पैसे जुटाने के लिए मशक्कत करती ताकि वह दवा खरीद सकें, तो मुझे बहुत दुख हुआ। इसलिए, इंटरव्यू देने के लिए मैंने उन्हें 25,000 रुपए दिए थे। उन्होंने बताया कि वह बेहद खराब हालात में जी रही थीं। इंडस्ट्री ने भी उन्हीं की परवाह की जाती है जो लाइमलाइट रहते हैं।

छोटी उम्र में शुरू किया था टुनटुन ने काम

टुनटुन ने बहुत छोटी उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था। शशि रंजन ने याद करते कहा कि उन्होंने अफसाना लिख ​​रही हूं.. गाना गाया था, जो खूब फेमस हुआ था लेकिन कोई भी उन्हें पहचान देने या उनका समर्थन करने के लिए तैयार नहीं था। उन्होंने कहा- "मुझे याद है कि उन्होंने इंटरव्यू में दोहराया था कि उन्होंने इंडस्ट्री के लिए अपनी जान दे दी और देखिए कि वह किस हालत में है। उन्होंने हमें इंटरव्यू देने के लिए धन्यवाद दिया और जब मैंने उनसे अनुरोध किया, तो उन्होंने अफसाना लिख ​​रही हूं गाना गाया। उनकी खासियत यह थी कि खराब स्थिति में होने के बावजूद उनका सेंस ऑफ ह्यूमर कमाल का था। वह अपनी गरीबी पर हंसती थी, वह दुनिया द्वारा उसके साथ किए जा रहे व्यवहार पर हंसती थी। मुझे ये बात बहुत पसंद आई। हालांकि मुझे उनके लिए दुख भी हुआ"।

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