Gadar Story: एक सिपाही की दर्दनाक और रियल कहानी पर बनी है सनी देओल की गदर

सनी देओल की फिल्म 'गदर 2' का लोगों को बेसब्री से इंतजार है। यह मूवी इसी साल 15 अगस्त से पहले रिलीज होगी। गदर के फर्स्ट पार्ट को भी लोगों ने खूब पसंद किया था। लेकिन ये बात बेहद कम लोगों को ही पता होगी कि ये फिल्म एक सिपाही की रियल स्टोरी पर बेस्ड है। 

Ganesh Mishra | Published : Jan 30, 2023 9:16 AM IST / Updated: Jan 30 2023, 02:49 PM IST
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गदर फिल्म की चर्चा जितनी भारत में हुई उससे कहीं ज्यादा पाकिस्तान में ये फिल्म सुर्खियों में रही। इस फिल्म की कहानी 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान के बंटवारे पर बेस्ड है। फिल्म में सनी देओल ने सरदार तारा सिंह, जबकि अमीषा पटेल ने मुस्लिम लड़की सकीना का रोल किया है।

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इस फिल्म की कहानी एक ऐसे सिपाही की लाइफ पर बेस्ड है, जिसकी लव स्टोरी से न सिर्फ भारत बल्कि पाकिस्तान के लोग भी काफी प्रभावित हुए थे। इस सिख सिपाही का नाम बूटा सिंह था, जो कि ब्रिटिश सेना में काम कर चुके थे।

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बूटा सिंह ने 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान भड़के दंगों में एक मुस्लिम लड़की की जान बचाई थी। इस लड़की का नाम जैनब था। बाद में बूटा सिंह जैनब को दिल दे बैठे और जैनब भी उन्हें मन ही मन चाहने लगी थी। 

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इसके बाद बूटा सिंह और जैनब ने शादी कर ली। कुछ दिन बाद दोनों एक बेटी के माता-पिता बने। हालांकि, बंटवारे के बाद जैनब को मुस्लिम होने की वजह से पाकिस्तान जाना पड़ा। वहीं, जैनब के साथ बूटा सिंह को वहां नहीं जाने दिया गया।

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बाद में बूटा सिंह अवैध तरीके से किसी तरह पाकिस्तान चले गए। वहां उन्होंने जैनब को तलाशना शुरू कर दिया। लंबी कोशिशों के बाद बूटा सिंह ने जैनब को ढूंढ लिया, लेकिन उसके परिवार वालों ने बूटा सिंह को दामाद मानने से मना कर दिया। बाद में जैनब ने भी परिवार के प्रेशर में शादी से इनकार कर दिया। 

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जैनब की शादी पाकिस्तान में ही जबर्दस्ती उसके चचेरे भाई से करा दी गई। इसके बाद बूटा सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर अवैध तरीके से बॉर्डर क्रॉस करने का आरोप लगाया गया। कोर्ट में जब बूटा सिंह को पेश किया गया तो उन्होंने अपनी दर्दनाक दास्तां बयां करते हुए बताया कि जैनब उनकी बीवी है और उनकी एक बेटी भी है।  

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बाद में कोर्ट ने बूटा सिंह पर दया करते हुए उन्हें छोड़ दिया, लेकिन पत्नी जैनब को खोने की वजह से बूटा सिंह टूट गए। बाद में उन्होंने 1957 में बेटी के साथ ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या की कोशिश की। इसमें उनकी बेटी तो बच गई लेकिन बूटा सिंह की जान चली गई। 

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बूटा सिंह की आखिरी ख्वाहिश थी कि उनकी मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार उस गांव में किया जाए, जहां जैनब के पेरेंट्स बंटवारे के बाद बस गए थे। हालांकि, गांववालों ने बूटा सिंह का अंतिम संस्कार अपने यहां नहीं होने दिया। बाद में उनका अंतिम संस्कार लाहौर में किया गया था।
 

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सनी देओल की फिल्म 'गदर: एक प्रेम कथा' बूटा सिंह की कहानी पर ही बेस्ड है। हालांकि, इसमें कुछ हिस्सा बदल दिया गया है। फिल्म में दिखाया गया था कि तारा सिंह आखिर में पत्नी सकीना और बेटे जीते के साथ भारत सकुशल लौट आते हैं। 

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