Padmapani Lifetime Achievement award to Sai Paranjpye : मशहूर फिल्म डायरेक्टर सई परांजपे को अजंता-एलोरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पद्मपाणि लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। सई परांजपे फिल्म डायरेक्टर के साथ साथ स्क्रिप्ट राइटर भी हैं। उन्होंने 'स्पर्श', 'कथा', 'चश्मे बद्दूर' और 'दिशा' जैसी कई पुरस्कार विजेता फिल्मों का निर्देशन किया है। भारत सरकार ने 2006 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। यह सम्मान उनको अजंता-एलोरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रदान किया जाएगा।
10वां अजंता-एलोरा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एआईएफएफ 2025) 15 से 19 जनवरी, 2025 तक छत्रपति संभाजीनगर में निर्धारित है। इस फेस्टिवल में साल का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान - पद्मपाणि लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया जाता है। इस बार यह सम्मान सई परांजपे को दिया जाएगा। यह अवार्ड फेस्टिवल के उद्घाटन पर छत्रपति संभाजीनगर में एमजीएम यूनिवर्सिटी कैंपस के रुक्मिणी ऑडिटोरियम में आयोजित होगा।
भारतीय सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए डायरेक्टर, स्क्रिप्ट राइटर, प्रोड्यूसर और नाटककार सई परांजपे को यह सम्मान दिया जाएगा। एआईएफएफ आयोजन समिति के अध्यक्ष नंदकिशोर कागलीवाल, मुख्य संरक्षक अंकुशराव कदम और एआईएफएफ के मानद अध्यक्ष व डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर ने सई परांजपे के नाम का ऐलान किया। पद्मपाणि पुरस्कार चयन समिति में प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक लतिका पडगांवकर (अध्यक्ष), निर्देशक आशुतोष गोवारिकर, सुनील सुकथांकर और चंद्रकांत कुलकर्णी शामिल हैं। पुरस्कार में पद्मपाणि स्मृति चिह्न, सम्मान पत्र और दो लाख रुपये कैश दिया जाता है।
सई परांजपे चार दशकों से अधिक समय से भारतीय सिनेमा में एक प्रमुख हस्ती हैं। उनकी प्रभावशाली हिंदी फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को एक अनूठी पहचान दी है। उनकी उल्लेखनीय कामों में स्पर्श (1980), चश्मे बद्दूर (1981), कथा (1983), दिशा (1990), चूड़ियाँ (1993) और साज़ (1997) शामिल हैं। फिल्म निर्देशन के अलावा श्रीमती परांजपे ने कई महत्वपूर्ण नाटकों और बच्चों के नाटकों का निर्देशन किया है। उन्होंने मराठी साहित्य, विशेष रूप से बच्चों के साहित्य में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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