महंगाई से त्रस्त जनता के पास थिएटर जाकर फिल्म देखने के लिए ना तो पैसा है और ना ही है इतना समय । पूरी आवाम दो वक्त की रोटी जुटाने में पूरा दिन खर्च कर देती है। यही वजह है कि पाक में थिएटर्स में फिल्में चलाना मुश्किल हो गया है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, Pakistani film industry has become a pauper Theaters : श्रीलंका की तरह पाकिस्तान कंगाल होने की राह पर तेज़ी से बढ़ रहा है। पेट्रोल के रेट आसमन छू रहे हैं। पाकिस्तान सरकार लोगों से आयात घटाने के लिए कम शक्कर खाने की अपील कर रही है। पड़ोसी देश कई सालों तक FATF Grey List में शामिल रहा है।
वहीं इस देश की फिल्म इंडस्ट्री भी बर्बादी के मुकाम पर पहुंच गई है। वैसे तो आंतकी मुल्क में भारतीय फिल्में और टीवी सीरियल्स ही देखे जाते हैं। वहीं पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री खुद को खड़ा नहीं कर पा रही है।
पाक कलाकारों को नहीं मिल रहे दर्शक
पाकिस्तान के एक्टर्स, सिंगर, एक्ट्रेस के लिए इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के दरवाजे बंद हो चुके हैं। वहीं हिंदुस्तान सहित कई मुल्कों में पाकिस्तानी कलाकारों की अजीबोगरीब एक्टिंग के मीम्म बनाकर शेयरकिए जाते हैं। बजरंगी भाईजान फिल्म में इसका एक नमूना भी दिखाया गया था । जहां अंदरूने मुल्क का किस्स मशहूर हुआ था। वहीं पाकिस्तान के कुछ एक्टर्स को देश की सीमाओं के बाहर भी पसंद किया जा सकता है। माहिरा खान (Mahira Khan) और फवाद खान (Fawad Khan) इसके उदाहरण हैं। वहीं फिल्म कलाकारों को देखने के लिए उनके अपने देश के लोग ही नहीं पहुंच रहे हैं।
मल्टीप्लेक्स के हाल बेहाल
कोरोना महामारी के बाद पाक सिनेमा बड़े संकट से गुज़र रहा है। महंगाई से त्रस्त जनता के पास थिएटर जाकर फिल्म देखने के लिए ना तो पैसा है और ना ही है इतना समय । पूरी आवाम दो वक्त की रोटी जुटाने में पूरा दिन खर्च कर देती है। यही वजह है कि पाक में थिएटर्स में फिल्में चलाना मुश्किल हो गया है। यहां सिंगल स्क्रीन के साथ मल्टीप्लेक्स के हाल बेहाल हैं। यहां सिनेमा हॉल मालिक किराया और बिजली बिल तक नहीं चुका पा रहे हैं।
सिर्फ छुट्टी के दिन ही फिल्में दिखा रहे थिएटर
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक कराची में कापरी सिनेमा (एक पॉपुलर थिएटर) हफ्ते में मात्र वीकेंड पर ही फिल्में दिखा रहा है। इस सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर में छुट्टी के दिन ही फिल्में दिखाई जा रही हैं। दरअसल पाकिस्तानी आवाम इस समय थिएटर्स जाकर फिल्म नहीं देख पा रही है। महंगाई की मार की वजह से मनोरंजन पर औसत खर्च सीमा कम होती जा रही है। यही वजह है कि खर्च घटाने के लिए थिएटर मालिक सप्ताह में सिर्फ एक दिन ही खुल रहे हैं।