क्या है जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट, जिसने फिल्म इंडस्ट्री को हिलाकर रख दिया

जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ होने वाले शोषण और उत्पीड़न का खुलासा किया गया है, जिसमें कास्टिंग काउच और पुरुष प्रधान मानसिकता जैसी समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है।

Gagan Gurjar | Published : Aug 27, 2024 7:43 AM IST / Updated: Aug 27 2024, 01:15 PM IST

एंटरटेनमेंट डेस्क. एक ओर जहां कोलकाता में ट्रेनी नर्स के रेप और मर्डर के लिए पूरा देश सड़कों पर है। तो वहीं मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में भूचाल आया हुआ है। फिल्म इंडस्ट्री में यह भूचाल हाल ही सामने आई जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट की वजह से आया है, जिसमें मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के हालात पर बात की गई। रिपोर्ट में फिल्म इंडस्ट्री के बारे में कुछ चौंकाने वाले खुलासे भी किए गए हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि कैसे मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले लोग उन महिलाओं पर अपने पावर का दुरुपयोग करते हैं, जो एक्टिंग करना चाहती हैं और सेल्युलाइड पर आना चाहती हैं। जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को लेकर लिखा है, "मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में पीड़िताओं के सेक्शुअल एब्यूज, हैरेसमेंट के बारे में सुनकर हैरान थी।"

जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में क्या है?

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जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में लिखा है, "सिनेमा में महिलाएं अक्सर काम पर अकेले जाने में असुरक्षित महसूस करती हैं। कई सबूत यह बताते हैं कि रोजगार के अवसरों के लिए सेक्शुअल डिमांड की जाती है, जो इसे अन्य प्रोफशंस से अलग बनाती है। टीचिंग, मेडिसिन या इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में महिलाओं को इस तरह की स्थितियों का सामना नहीं करना पड़ता है। इन नौकरियों में आमतौर पर किसी का स्किल और इंटरव्यू ही पर्याप्त होता है। लेकिन, फिल्म इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच परेशान करने वाली हकीकत बनी हुई है।"

जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में और क्या लिखा?

रिपोर्ट में आगे लिखा है, "सिनेमा पुरुष प्रधान इंडस्ट्री है। यह लड़कों का एक विशेष क्लब है, जो देर रात तक घंटों बैठकर किसी फिल्म की स्क्रिप्ट या अन्य पहलुओं पर चर्चा करते हैं। कई मामलों में ये चर्चाएं शराब के नशे में होती हैं। बातचीत हमेशा सिर्फ फिल्म तक सीमित नहीं रहती। इन बातचीत में अश्लील जोक और यौन इशारे भी शामिल होते हैं।" इसी रिपोर्ट में आगे लिखा है, "मलयालम मूवीज में चुप रहने की संस्कृति है, जो आंशिक रूप से इंडस्ट्री को कंट्रोल करने वाले पावर नेक्सस की वजह से उत्पन्न हुई डर की मनोविकृति है।"

5 साल की देरी से सामने आई जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट

जब वुमन इन सिनेमा कलेक्टिव ने याचिका लगाई तो 2017 में केरल सरकार ने उन चुनौतियों के अध्ययन के लिए जस्टिस हेमा कमेटी का गठन किया, जिनका सामना महिलाएं फिल्म इंडस्ट्री में करती हैं। 2019 में यह रिपोर्ट केरल सरकार को सौंप दी गई थी। लेकिन इसे सामने आने में 5 साल का वक्त लग गया। दरअसल, एक एक्ट्रेस ने इस रिपोर्ट के प्रकाशन पर रोक लगाने के लिए याचिका लगाई थी और केरल सरकार इस पर नतीजे का इंतज़ार कर रही थी। फिर 24 जुलाई को यह रिपोर्ट प्रकाशित होने वाली थी। लेकिन एक मलयालम फिल्म प्रोड्यूसर की याचिका के चलते केरल हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। हालांकि, 13 अगस्त को केरल हाईकोर्ट ने प्रोड्यूसर की याचिका ख़ारिज की और सरकार को निर्देशित किया कि वे एक हफ्ते के अंदर हेमा कमेटी की रिपोर्ट जारी करें। 19 अगस्त 2024 को यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई।

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