KBC 17: पहले करोड़पति आदित्य कुमार से पूछे गए 50 लाख से 7 CR तक के 3 सवाल, क्या आप दे सकते हैं जवाब?

Published : Aug 21, 2025, 02:48 PM ISTUpdated : Aug 21, 2025, 02:53 PM IST
Aditya Kumar KBC 17 First Crorepati

सार

KBC 17 First Crorepati: उत्तराखंड के कौन बनेगा करोड़पति विजेता आदित्य कुमार पर केंद्रित, जिन्होंने 15 सवालों के सही जवाब देकर ₹1 करोड़ जीते और ₹7 करोड़ के सवाल पर प्रतियोगिता छोड़ दी। उनके गहन ज्ञान ने अमिताभ बच्चन को भी प्रभावित किया,

DID YOU KNOW ?
देविका रानी
देविका रानी भारतीय सिनेमा की पहली महिला स्टार थीं। उन्होंने 1933 में अपने करियर की शुरुआत की। वे भारतीय सिनेमा की पहली ड्रीम गर्ल मानी जाती हैं।

KBC 17 Episode 8 Update: 'कौन बनेगा करोड़पति' के 17वें सीजन को इसका पहला करोड़पति मिल गया है। उत्तराखंड के आदित्य कुमार ने 15 सवालों का सही जवाब देकर यह रकम अपने नाम की। 16वें सवाल पर उन्होंने गेम क्विट कर दिया, जो 7 करोड़ रुपए का था। खास बात है कि सिर्फ 16वां सवाल ही कठिन नहीं था, इससे पहले पूछे गए दो सवाल भी काफी मुश्किल थे। लेकिन आदित्य ने जिस सूझबूझ से जवाब दिया, वह साफ़ बता रहा था कि उन्हें किस स्तर का ज्ञान है। खुद अमिताभ बच्चन भी उनके नॉलेज के फैन हो गए। उन्होंने यह माना कि शो में बहुत कम होता है, जब कोई कंटेस्टेंट बिना तुक्के के इतनी समझदारी से किसी सवाल की गहराई में घुसते हुए उसका जवाब देता है।

आदित्य कुमार से पूछे गए आखिरी तीन सवाल

50 लाख रुपए का सवाल : सौर मंडल के किस गृह पर एक क्रेटर का नाम रूसी कलाकार निकोलस रोरिक के नाम पर है, जो देविका रानी के ससुर थे? (संकेत सूचक लाइफलाइन ली।)

A. बृहस्पति

B. मंगल

C. शनि

D. बुध (सही जवाब)

विवरण : सौर मंडल के ग्रह बुध (Mercury) पर एक क्रेटर का नाम रूसी कलाकार निकोलस रोरिक (Nicholas Roerich) के नाम पर है। यह क्रेटर बुध ग्रह के दक्षिणी ध्रुव के पास स्थित है। निकोलस रोरिक देविका रानी के ससुर थे और एक प्रसिद्ध रूसी चित्रकार, दार्शनिक और लेखक थे। इस क्रेटर का नाम अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने 2013 में अपनाया था। बुध ग्रह पर स्थित यह Roerich क्रेटर, Lovecraft क्रेटर के उत्तर में है और इसकी लंबाई लगभग 111.7 किलोमीटर है।

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जानना जरूरी है : क्या होता है क्रेटर?

किसी ग्रह या खगोलीय वस्तु पर "क्रेटर" का मतलब होता है एक गोलाकार या लगभग गोल आकार का गड्ढा। इन्हें ज्वालामुखीय क्रेटर (ज्वालामुखी विस्फोट के कारण बने), प्रहार क्रेटर(किसी उल्का पिंड या क्षुद्रग्रह के ग्रह की सतह से टकराने से बने ) आदि नाम से जाना जाता है। कभी-कभी जमीन के अंदर विस्फोट या धंसाव से जो गड्ढा बनता है, उसे भी क्रेटर कहते हैं। क्रेटर अक्सर गहरे और गोलाकार होते हैं, जिनकी दीवारें आसपास की जमीन से ऊंची होती हैं।

1 करोड़ रुपए का सवाल : पहले परमाणु बम में उपयोग होने वाले प्लोटोनियमतत्व को अलग करने वाले वैज्ञानिक के नाम पर इनमें से किस तत्व का नाम पड़ा? (50:50 लाइफलाइन इस्तेमाल की।)

A. सीबोर्गियम (सही जवाब)

B. आइंस्टाइनियम

C. माइटेनेरियम

D. बोह्लियम

विवरण : पहले परमाणु बम में उपयोग होने वाले प्लूटोनियम (Plutonium) तत्व को अलग करने वाले वैज्ञानिक का नाम ग्लेन टी. सीबोर्ग (Glenn T. Seaborg) था। उन्होंने प्लूटोनियम 94वें तत्व को 1941 में खोजा और अलग किया था। प्लूटोनियम का नाम सन 1930 में खोजे गए ग्रह प्लूटो (Pluto) के नाम पर रखा गया था, जैसा कि इससे पहले दो तत्व यूरेनियम (Uranium) और नेप्च्यूनियम (Neptunium) ग्रहों के नाम पर रखे गए थे। इसलिए प्लूटोनियम का नाम किसी वैज्ञानिक के नाम पर नहीं पड़ा बल्कि ग्रह प्लूटो पर पड़ा है। सीबोर्ग ने प्लूटोनियम को अलग करने के लिए एक बहु-चरण रासायनिक प्रक्रिया विकसित की, जिससे प्लूटोनियम 239 को शुद्ध रूप से पृथक किया गया। वह प्लूटोनियम सहित कई अन्य तत्वों के खोजकर्ता थे।

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7 करोड़ रुपए का साल : कौन-से जापानी कलाकार 1930 के दशक में भारत आए थे और ताजमहल, सांची स्तूप और एलोरा गुफाओं को दर्शाते हुए एक प्रसिद्ध श्रंखला को चित्र्तित किया था? 

A. हिरोशी सुगिमोतो

B. हिरोशी सेंजू

C. हिरोशी योशिदा (सही जवाब)

D. हिरोशी नाकाजिमा

विवरण : 1930 के दशक में भारत आए जापानी कलाकार का नाम Hiroshi Yoshida था। उन्होंने ताजमहल, सांची स्तूप और एलोरा गुफाओं सहित कई भारतीय स्मारकों को चित्रित करते हुए एक प्रसिद्ध श्रृंखला बनाई थी। Yoshida 1931 में भारत सहित दक्षिण-पूर्व एशिया की यात्रा पर थे और इस दौरान अपनी विशिष्ट जापानी वुडब्लॉक कला तकनीक में इन ऐतिहासिक स्थलों की सुंदरता को कैद किया। उनकी यह श्रृंखला कला प्रेमियों में आज भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है। Hiroshi Yoshida शिन-हंगा कला आंदोलन के प्रमुख कलाकारों में से एक थे और उन्होंने भारतीय स्मारकों को जापानी पारंपरिक वुडब्लॉक प्रिंट शैली के साथ यूरोपीय यथार्थवाद को मिलाकर चित्रित किया था। यह कला 1930 के दशक की बात है जब उन्होंने चार महीनों तक भारत और आसपास के क्षेत्रों का भ्रमण किया था

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