रंगमंच का अपना महत्व, नसीरुद्दीन, मनोज बाजपेयी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और पंकज त्रिपाठी जैसे एक्टर थिएटर की देन

विश्व रंगमंच दिवस यानी वर्ल्ड थिएटर डे (World Theatre Day) आज मनाया जा रहा है। ओटीटी (OTT) और सिनेमा (Cinema) के जमाने में भी थिएटर का अपना महत्व और अपनी जरूरत है। इसका अलग ही मजा है। थिएटर कलाकार (Theatre Actors) आज भी उतने ही मौजूं हैं और उनकी कलाकारी देखने का आनंद बिल्कुल जुदा है। 
 

नई दिल्ली। थिएटर कहें या रंगमंच, नाटक या फिर नौटंकी आप जो जी में आए कहिए, जिस भी नाम से पुकारिए मगर सच मानिए इसका मजा, महत्व और जरूरत कुछ अलग ही है। भारत ही नहीं, दुनियाभर में मनोरंजन के सबसे पुराने साधनों में से एक। वैसे भी भारतीयों में एंटरटेनमेंट (Entertainment) का क्रेज कुछ ज्यादा ही है। कई फिल्में करोड़ों का व्यापार कर जाती है, फिर चाहे महंगाई कितनी भी हो या फिर जेब कटी हो, मगर फिल्म देखने का जुगाड़ निकल ही आता है। आज विश्व रंगमंच दिवस यानी  वर्ल्ड थिएटर डे (World Theatre Day) है। 

यहां कई फिल्म  इंडस्ट्री (Film Industry) हैं। शायद एक दर्जन या इससे भी ज्यादा। मगर सिर्फ बॉलिवुड (Bollywood) और इसके एक्टर की बात करें यहां थिएटर के कमाल के और गजब के महारथी मौजूद हैं। यह सिलसिला लगातार बढ़ भी रहा है, क्योंकि ऐसा नहीं है कि नई पीढ़ी के कलाकार थिएटर से नहीं आ रहे। आ रहे और पहले की तरह, कई बार उससे भी अच्छी एक्टिंग कर रहे। सही मायनों में कहें तो सिनेमा में थिएटर आज भी दबंग है। जी हां, रंगमंच और इसके कलाकारों ने हमेशा अपना दबदबा साबित किया है। 

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थिएटर कलाकार अब भी भारी 
अब तो खैर ओटीटी का जमाना है, मगर यहां भी नसीरुद्दीन शाह, मनोज बाजपेयी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, संजय मिश्रा और पंकज त्रिपाठी जैसे एक्टर धमाल मचाए हुए हैं, इसलिए वर्ल्ड थिएटर डे या फिर विश्व रंगमंच दिवस पर इनकी बात नहीं करें तो यह सरासर नाइंसाफी होगी। दरअसल, मनोरंजन के नजरिए से देखें तो दुनियाभर में थिएटर का काफी गहरा प्रभाव है। अलग महत्व और मजा है। 

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क्यों मनाते हैं थिएटर डे 
पहले बात करते हैं कि 27 मार्च को हर साल थिएटर डे क्यों मनाते हैं। असल में थिएटर को अलग मुकाम तक पहुंचाने और इसे पहचान दिलाने के लिए 1961 में इंटरनेशनल थिएटर  इंस्टीट्यूट की नींव इसी दिन रखी गई। आज के दिन दुनियाभर में नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर थिएटर से जुड़े एक्टर्स विभिन्न समारोह का हिस्सा बनते हैं। इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट आज के दिन कांफ्रेंस आयोजित करता है और इसके माध्यम से खास संदेश दिया जाता है। यह संदेश करीब 50 भाषाओं में ट्रांसलेट होता है और फिर इसे विभिन्न माध्यमों से प्रचारित तथा प्रसारित किया जाता है। 

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जरूरत क्यों है इस दिन को मनाने की 
इस दिन को मनाने का मकसद दुनियावालों को यह थिएटर के कल्चर से रूबरू कराना है। इसके विचार और महत्व लोगों तक पहुंचाना थिएटर से जुड़े लोगों को सम्मानित करना है। इसके अलावा, जो खास बात है वह यह कि इससे दुनियाभर में रंगमंच को बढ़ावा मिले। लोग थिएटर की जरूरत और इसके महत्व को समझें तथा जानें। 
 

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