Fact Check: हादसे में मौत होने पर सरकार देती है आय से 10 गुना मुआवजा, वायरल हो रहा है ये लंबा चौड़ा फेक मैसेज

पोस्ट में लिखा गया है: “अगर किसी व्यक्ति की accidental death होती है और वह व्यक्ति पिछले तीन साल से लगातार इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल कर रहा था तो उसकी पिछले तीन साल की एवरेज सालाना इनकम की दस गुना राशि उस व्यक्ति के परिवार को देने के लिए सरकार बाध्य है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 28, 2020 12:36 PM IST / Updated: Sep 28 2020, 07:26 PM IST

फैक्ट चेक डेस्क. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि अगर किसी व्यक्ति की accidental death होती है और वह व्यक्ति पिछले तीन साल से लगातार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर रहा था तो उसकी पिछली तीन साल की एवरेज सालाना इनकम की दस गुना राशि उस व्यक्ति के परिवार को देने के लिए सरकार बाध्य है। इसका सीधा मतलब ये है कि अगर आपकी मौत अचानक किसी हादसे में होती है तो आप सरकार से लाखों-करोड़ों का मुआवजा मिल सकता है। 

फैक्ट चेक में आइए जानते हैं कि आखिर इस दावे में कितनी सच्चाई है? 

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पर वायरल इस पोस्ट को Sahil Takkar नामक यूजर ने साझा किया था। पोस्ट में लिखा गया है: Accidental Death & Compensation: “अगर किसी व्यक्ति की accidental death होती है और वह व्यक्ति पिछले तीन साल से लगातार इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल कर रहा था तो उसकी पिछले तीन साल की एवरेज सालाना इनकम की दस गुना राशि उस व्यक्ति के परिवार को देने के लिए सरकार बाध्य है।

जी हां, आपको आश्चर्य हो रहा होगा यह सुनकर, लेकिन यह बिल्कुल सही सरकारी नियम है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी की सालाना आय क्रमशः पहले, दूसरे और तीसरे साल चार लाख, पांच लाख और छः लाख है तो उसकी औसत आय पांच लाख का दस गुना मतलब पचास लाख रुपए उस व्यक्ति के परिवार को सरकार से मिलने का हक़ है। ज़्यादातर जानकारी के अभाव में लोग यह क्लेम सरकार से नहीं लेते हैं। जाने वाले की कमी तो कोई पूरी नहीं कर सकता है, लेकिन अगर पैसा पास में हो तो भविष्य सुचारू रूप से चल सकता है।

अगर लगातार तीन साल तक रिटर्न दाखिल नहीं किया है तो ऐसा नहीं है कि परिवार को पैसा नहीं मिलेगा, लेकिन ऐसे केस में सरकार एक-डेढ़ लाख देकर किनारा कर लेती है। हालांकि, अगर लगातार तीन साल तक लगातार रिटर्न फ़ाइल किया गया है तो ऐसी स्थिति में केस ज़्यादा मजबूत होता है और यह माना जाता है कि मरने वाला व्यक्ति अपने परिवार का रेग्युलर अर्नर था और अगर वह जिन्दा रहता तो अपने परिवार के लिए अगले दस सालों में वर्तमान आय का दस गुना तो कमाता ही जिससे वह अपने परिवार का अच्छी तरह से पालन-पोषण कर पाता।

सब सर्विस वाले लोग हैं और रेग्युलर अर्नर हैं, लेकिन बहुत-से लोग रिटर्न फ़ाइल नहीं करते है, जिसकी वजह से न तो कंपनी द्वारा काटा हुआ पैसा सरकार से वापस लेते हैं और न ही इस प्रकार से मिलने वाले लाभ का हिस्सा बन पाते हैं।

इधर जल्दी में हमारे कई साथी/भाई एक्सीडेंटल डेथ में हमारा साथ छोड़ गए, लेकिन जानकारी के अभाव में उनके परिवार को आर्थिक लाभ नहीं मिल पाया। अगर आप को कोई शंका है तो आप भी अपने वकील से पूरी जानकारी लें और रिटर्न जरूर फ़ाइल करें ।”

 

 

फैक्ट चेक

वायरल पोस्ट की पड़ताल के लिए सबसे पहले हमने इंटरनेट पर कीवर्ड्स की मदद से वायरल दावे के बारे में सर्च किया, लेकिन हमें ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें यह पुष्टि की गई हो कि ऐसा कोई नियम है, जिसके तहत सरकार इस तरह मुआवजा देने के लिए बाध्य है।

कौन देता है मुआवजा?

एक्सीडेंटल डेथ के मामले में संबंधित इंश्योरेंस कंपनी मुआवजा देती है। मुआवजे के लिए मोटर व्हीकल ट्रिब्यूनल में केस चलता है। यह केस इंश्योरेंस कंपनी और पीड़ित पक्ष के बीच होता है, जिसमें ट्रिब्यूनल मुआवजे की रकम तय करती है। इसमें सरकार का कोई लेना-देना नहीं होता। मुआवजे की राशि एमवी एक्ट के दूसरे शेड्यूल में मौजूद मल्टीप्लायर टेबल के आधार पर तय होती है।

ज्यादा जानकारी के लिए विश्वास न्यूज ने नई दिल्ली की सीए फर्म बीएन मिश्रा एंड को. के टैक्सेशन एक्सपर्ट व सीए जीडी मिश्रा से बात की। उन्होंने बताया कि इनकम टैक्स एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। वायरल हो रही पोस्ट में किया जा रहा दावा पूरी तरह से फर्जी है। इनकम टैक्स रिटर्न के आधार पर सरकार एक्सीडेंटल डेथ के मामले में मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं है। ऐसे मामलों में इंश्योरेंस क्लेम किया जाता है और यह मोटर व्हीकल एक्ट के तहत होता है। इसमें मोटर व्हीकल ट्रिब्यूनल मुआवजे की राशि तय करता है, जिसमें मृतक की आय एक पैमाना होता है, लेकिन इस सब से सरकार या इनकम टैक्स विभाग का कोई संबंध नहीं होता।

हमने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के नोएडा स्थित ब्रांस के ब्रांच मैनेजर मोहम्मद आरिफ से बात की। उन्होंने बताया कि एक्सीडेंटल डेथ की स्थिति में मृतक का परिवार मोटर व्हीकल ट्रिब्यूनल में केस डालता है। ऐसे में अगर जिसकी गाड़ी से एक्सीडेंट हुआ है उसकी गाड़ी का वैलिड इंश्योरेंस है तो कोर्ट इंश्योरेंस कंपनी को समन करती है। कोर्ट में गाड़ी के मालिक का भी बयान लिया जाता है, लेकिन कोर्ट जो भी मुआवजे की रकम तय करती है वह रकम इंश्योरेंस कंपनी ही मृतक के परिवार को देती है। इसके सरकार का कोई रोल नहीं होता।

ये निकला नतीजा 

एक्सीडेंटल डेथ के मामले में अगर तीन साल से आईटीआर भरी है तो सरकार तीन साल की एवरेज इनकम का 10 गुना बतौर मुआवजा देने के लिए बाध्य है, ऐसा दावा करने वाली पोस्ट फर्जी है।

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