बिरयानी को टिफिन बोल ना कर अपमान...जानें क्यों भड़क गए माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्या नडेला

Published : Jan 05, 2023, 07:25 PM ISTUpdated : Jan 05, 2023, 07:27 PM IST
बिरयानी को टिफिन बोल ना कर अपमान...जानें क्यों भड़क गए माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्या नडेला

सार

माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला (Satya Nadella) ने चैटजीपीटी से सबसे लोकप्रिय दक्षिण भारतीय टिफिन आइटम को सूचीबद्ध करने के लिए कहा। सूची में जब बिरयानी को शामिल किया गया तो नडेला ने इसपर असहमति जताई। उन्होंने कहा कि वे एक हैदराबादी हैं ऐसे में सॉफ्टवेयर बिरयानी को दक्षिण भारतीय 'टिफिन' कहकर उनकी बुद्धिमत्ता का अपमान नहीं कर सकता।

फूड डेस्क. बिरयानी का नाम आते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। हैदराबाद की बिरयानी तो दुनिया भर में फेमस है। हाल ही में बिरयानी पर बवाल मच गया, जब माइक्रोसॉफ्ट के कार्यकारी अध्यक्ष और सीईओ सत्य नडेला ने दक्षिण भारतीय 'टिफिन'में इसे शामिल करने को लेकर नाराजगी जताई। जिसके बाद सॉफ्टवेयर ने माफी मांगी। क्या है पूरा मामला आई जानते हैं।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, सत्या नडेला ने ChatGPT से भविष्य में सबसे लोकप्रिय दक्षिण भारतीय टिफिन आइटम के बारे में पूछा। तो उसने जवाब में इडली, डोसा, वड़ा और बिरयानी के बारे में बताया। बता दें कि ChatGPT एक लोकप्रिय AI-सक्षम सॉफ्टवेयर और एक चैट-रोबोट है उसने टिफिन के विकल्प में बिरयानी को रखा।  जिस पर माइक्रोसॉफ्ट के कार्यकारी अध्यक्ष ने असहमति जताई। उन्होंने चैटजीपीटी से कहा कि वे एक हैदराबादी हैं। ऐसे में सॉफ्टवेयर बिरयानी को दक्षिण भारतीय 'टिफिन' कहकर उनकी बुद्धिमत्ता का अपमान नहीं कर सकता।

यहां बोल रहे थे सत्या नडेला 

सत्या नडेला को सुनकर सॉफ्टवेयर ने जवाब दिया कि 'मुझे खेद है!'बता दें कि नडेला 4 जनवरी 2023 को बेंगलुरु में फ्यूचर रेडी टेक्नोलॉजी समिट में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने एआई और क्लाउड इनोवेशन के बारे में बातचीत की। उन्होंने वहां पर चैटजीपीटी से बातचीत करके लोगों को दिखाया।

बिरयानी का इतिहास

हैदराबाद की बिरयानी काफी खास होती है। इसे  मटन, प्याज मिंट, मसाले और उबले हुए चावलों के साथ दम स्टाइल में बनाया जाता है। वैसे बिरयानी के इतिहास की बात करें तो इसकी उत्पत्ति कहां हुई ये अभी तक पता नहीं चल पाया है। लेकिन बिरयानी शब्द मूल रूप से फारसी भाषा का शब्द है। ये भारत में आए मुगल, अफ़ग़ान ओरब तुर्क शासकों के दरबार की अधिकारिक भाषा हुआ करती थी। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में जब मुगलों ने भारत पर हमला किया था। तब  मुमताज महल (सम्राट शाहजहाँ की पत्नी) ने अपने बावर्चियों से मुगल सेना के कुपोषित सैनिकों के लिए बिरयानी (चावल, मांस का मिश्रण और मसाले) का एक पुराना वर्जन बनाने के लिए कहा था। जिससे उन्हें पोषण मिल सके। इसके बाद कई तरह के मसालों और केसर मिलाकर बिरयानी बनाया जाने लगा। अब यह कहानी कितना सही है या गलत इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। लेकिन बिरयानी आज पूरे भारत में अलग-अलग अंदाज में बनाया जाता है।

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