बिना गर्म किए 24 घंटे तक नहीं फटेगा दूध, करना होगा सिर्फ एक काम

दूध के साथ सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि अगर उसे जल्दी गर्म नहीं किया गया तो कुछ समय के बाद वह फट जाता है। इससे उन दुग्ध उत्पादकों को काफी नुकसान होता है, जिन्हें काफी दूर अपना दूध पहुंचाना होता है। लेकिन नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक स्टूडेंट ने एक ऐसा कंटेनर बनाया है, जिससे दूध फटने की समस्या नहीं रहेगी।
 

फूड डेस्क। दूध के साथ सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि अगर उसे जल्दी गर्म नहीं किया गया तो कुछ समय के बाद वह फट जाता है। इससे उन दुग्ध उत्पादकों को बहुत नुकसान होता है, जिन्हें काफी दूर अपना दूध पहुंचाना होता है। लेकिन नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक स्टूडेंट ने एक ऐसा कंटेनर बनाया है, जिससे दूध फटने की समस्या नहीं रहेगी। बता दें कि दूध फटने की यह समस्या अक्सर घरों में भी होती है। जब लंबे समय तक दूध को उबाला नहीं जाता तो दूध फट जाता है। 

कम तापमान पर दूध नहीं फटता
दूध को अगर बहुत कम तापमान पर रखा जाए तो उसके फटने की संभावना नहीं रहती। बड़े पैमाने पर अगर दूध को सुरक्षित रखना हो तो उसे कम तापमान पर ही रखा जाता है। लेकिन इसकी सुविधा हर जगह उपलब्ध नहीं होती। इसे देखते हुए नेशलन डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक स्टूडेंट रवि प्रकाश ने एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो बाल्टी की तरह लगता है। इसे बिजली से चार्ज किया जाता है। एक बार चार्ज कर देने पर इस कंटेनर में दूध रखने पर वह पूरे दिन तक सुरक्षित रहता है। 

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ज्यादा महंगा नहीं है कंटेनर
दूध को बिना गर्म किए सुरक्षित रखने वाले इस कंटेनर के निर्माण पर करीब 5 हजार रुपए की लागत आई है। एक कंटेनर में करीब 5 से 6 लीटर दूध रखा जा सकता है। इसे बनाने में नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। इस उपकरण को बनाने वाले रवि प्रकाश का कहना है कि जब दूध दुहा जाता है तो उसका तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है, लेकिन इस कंटेनर में रखने पर आधा घंटा के भीतर ही उसका तामपान 7 डिग्री पर आ जाता है। 

ब्रिक्स-यंग साइंटिस्ट फोरम में मिला अवॉर्ड
बता दें कि इस कंटेनर के निर्माण के लिए रवि प्रकाश को इस साल ब्राजील में 6 से 8 नवंबर तक हुए ब्रिक्स-यंग साइंटिस्ट फोरम  (BRICS-Young Scientist Forum) में 25 हजार डॉलर का अवॉर्ड मिला। इसमें पांच देशों के 100 युवा वैज्ञानिकों ने भाग लिया था, जिनमें 20 भारत के थे। रवि प्रकाश ने बताया कि इस उपकरण के निर्माण का विचार उनके मन में तब आया, जब वे बिहार की एक डेयरी में बतौर सहायक अधिकारी काम कर रहे थे। 
 


 

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