संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने अनुमान लगाया कि 2005 में, मानव उपभोग के लिए उपलब्ध सभी खाद्य पदार्थों का एक तिहाई हिस्सा बर्बाद हो गया था
लंदन: दुनिया भर के उपभोक्ताओं उम्मीद से कहीं दोगुने से भी अधिक खाद्य पदार्थो की बर्बादी करते हैं। एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने अनुमान लगाया कि 2005 में, मानव उपभोग के लिए उपलब्ध सभी खाद्य पदार्थों का एक तिहाई हिस्सा बर्बाद हो गया था।
नीदरलैंड में वैगनिंगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं और अनुसंधान ने इस बात का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि यह आंकड़े, वैश्विक खाद्य बर्बादी की मात्रा के संदर्भ में आधार आंकड़ों के रूप में काम करते हैं।
रिसर्च में है दावा
शोधकर्ताओं ने कहा कि हालांकि, एफएओ की जो कार्यपद्धति है उसमें खाद्य पदार्थो की बर्बादी के बारे में उपभोक्ता व्यवहार पर गौर नहीं किया जाता और खाद्य बर्बादी की सीमा का निर्धारण करने में अकेले खाद्य आपूर्ति को ही ध्यान में रखा जाता है। पीएलओएस वन नामक पत्रिका में प्रकाशित यह अध्ययन इस बात की पड़ताल करने वाला पहला अध्ययन है कि किस तरह से उपभोक्ताओं की संपन्नता भोजन की बर्बादी को प्रभावित कर सकती है।
वेगनिंगेन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च की मोनिका वैन डेन बॉस वर्मा से कहा, ‘‘ऊर्जा की आवश्यकता और उपभोक्ता संपन्नता आंकड़ों का उपयोग करने वाले शोध से पता चलता है कि उपभोक्ता आम तौर पर भोजन बर्बादी के अनुमान से कहीं दोगुना भोजन बर्बाद करते हैं। ’’
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)