कहां से आया गोलगप्पा, सबसे पहले किसने बनाया? अलग-अलग शहरों में किस नाम से मशहूर है ये स्ट्रीट फूड

मध्य प्रदेश के मंडला में गोलगप्पे खिलाए जाने पर पिछले कुछ दिनों से बैन लगा हुआ है। दरअसल, गोलगप्पे खाने की वजह से एक साथ फूड प्वाइजनिंग के कई मामले सामने आए। यहां तक कि शहर के अलग-अलग इलाकों से 84 लोग अस्पताल में भर्ती तक कराने पड़े। इसके चलते जिला प्रशासन ने इस पर बैन लगा दिया। 
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 26, 2022 5:41 PM IST / Updated: Oct 27 2022, 10:33 AM IST

Street Food Golgappa: मध्य प्रदेश के मंडला में गोलगप्पे खिलाए जाने पर पिछले कुछ दिनों से बैन लगा हुआ है। दरअसल, गोलगप्पे खाने की वजह से एक साथ फूड प्वाइजनिंग के कई मामले आए। यहां तक कि शहर के अलग-अलग इलाकों से 84 लोग अस्पताल में भर्ती कराने पड़े। इनमें 31 बच्चे तो एक ही मोहल्ले के थे। इसके बाद जिला प्रशासन ने चाट-फुल्की बेचने पर रोक लगा दी थी। वैसे, गोलगप्पे यानी फुल्की का नाम सुनते ही मुंह में पानी आना आम बात है। शादी-पार्टी हो या फिर सड़क किनारे लगने वाले ठेले, गोलगप्पे भारत के सबसे मशहूर स्ट्रीट फूड में से एक है। भारत में शायद ही कोई ऐसा शहर हो, जहां गोलगप्पे न मिलते हों। हालांकि, इतना जरूर है कि हर एक राज्य और शहर में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है। वैसे, आपने गोलगप्पे तो कई बार खाए होंगे, लेकिन कभी सोचा है कि गोलगप्पे सबसे पहले कब और कहां बने और इन्हें किसने बनाया? आइए जानते हैं क्या है गोलगप्पे की मजेदार कहानी। 

कब और कैसे बने गोलगप्पे?
गोलगप्पे पहली बार कब और कैसे बने, इसको लेकर कई तरह की ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं। कहा तो ये भी जाता है कि गोलगप्पे की शुरुआत 100-200 सालों में नहीं बल्कि लाखों साल पहले ही हो गई थी। कुछ लोग तो गोलगप्पों का इतिहास महाभारत काल से भी जोड़ते हैं। 

पहली बार द्रौपदी ने बनाए थे गोलगप्पे : 
पौराणिक कहानियों के मुताबिक, शादी के बाद जब द्रौपदी पहली बार पांडवों के  घर पहुंचीं, तो कुंती ने उन्हें परखने के लिए एक काम सौंपा था। दरअसल, पांडव उस वक्त वनवास पर थे और इधर-उधर भिक्षा मांगकर खाते थे, तो घर में ज्यादा खाना नहीं होता था। ऐसे में कुंती ने अपनी नई-नवेली बहू द्रौपदी को परखने के लिए कुछ खास बनाने को कहा। 

द्रौपदी को परखने के लिए कुंती ने किया ये काम : 
कुंती ने अपनी बहू द्रौपदी को थोड़ा आटा और कुछ सब्जियां देते हुए कहा कि इसी में सभी पांडवों के लिए कुछ ऐसा बनाओ जो स्वादिष्ट भी हो और सबका पेट भी भर जाए। ऐसे में द्रौपदी ने आटे की छोटी-छोटी पूरियां बनाकर इन्हें आलू और तीखे पानी के साथ परोसा। ये गोलगप्पे खाकर पांडवों का पेट भी भर गया और एक अलग तरह के व्यंजन का स्वाद भी मिला। 

मगध से भी रहा फुल्की का संबंध : 
इसके अलावा कुछ ऐतिहासिक कहानियों में गोलगप्पे को मगध से भी जोड़ा जाता है। मगध में इसे फुल्की भी कहते हैं। मगध बिहार का एक क्षेत्र है। इतिहासकारों का कहना है कि पानीपूरी की खोज 16 महाजनपदों (संस्कृत में महान साम्राज्य) में से एक मगध में हुई थी। हालांकि, वो शख़्स जिसने इसकी खोज की वो इतिहास के पन्नों में कहीं गुम हो गया। उस समय इसे किस नाम से जाना जाता था, इस बात के कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं है, लेकिन मगध के आसपास के इलाकों में इसे 'फुल्की' कहा जाता था। बाद में धीरे-धीरे ये नाम पूरे उत्तर भारत में मशहूर हो गया। 

कहां किस नाम से जाने जाते हैं गोलगप्पे?

शहर/राज्यगोलगप्पे का नाम
हरियाणापानी पताशी
मध्यप्रदेशफुल्की
उत्तर प्रदेशपानी बताशे
असम फुस्का या पुस्का
ओडिशा, तेलंगानागुपचुप
बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगालपुचका
महाराष्ट्रपानी पुरी
गुजरातपकौड़ी 

ये भी देखें : 

बची हुई रोटियों से बनाए शानदार मिठाई, ₹500 किलो वाली बेसन बर्फी हो जाएगी फेल

दाल और चीनी के मिश्रण से बनती है पूरन पोली, महाराष्ट्र ही नहीं इन राज्यों में भी बड़े चाव से खाते हैं लोग

Share this article
click me!