चाणक्य नीति: तपस्या, पढ़ाई और यात्रा कितने लोगों के साथ मिलकर करनी चाहिए?

Published : Feb 14, 2021, 11:53 AM IST

उज्जैन. आचार्य चाणक्य ने सभी कामों के लिए कुछ नियम बताए हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में ये भी बताया है कि कौन-सा काम कितने लोगों को मिलकर करना चाहिए। किस काम में कम से कम कितने लोग होने चाहिए, ताकि उस काम में सफलता मिल सकती है। आज हम आपको इसी नीति को विस्तारपूर्वक बता रहे हैं…

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चाणक्य नीति: तपस्या, पढ़ाई और यात्रा कितने लोगों के साथ मिलकर करनी चाहिए?

1. तपस्या अकेले में
आचार्य चाणक्य के अनुसार तपस्या हमेशा अकेले में एकांत स्थान पर करनी चाहिए। ऐसा करने से ही तपस्या पूर्ण हो पाती है। यदि एक से अधिक लोग साथ में तपस्या करेंगे तो उसमें व्यवधान आने की संभावना रहती है।
 

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2. अध्ययन दो के साथ
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अध्ययन यानी पढ़ाई 2 लोगों को मिलकर करनी चाहिए। क्योंकि अगर किसी एक को पढ़ाई के संबंध में कोई संशय हो तो वह दूसरे से पूछ सकता है।
 

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3. गाना तीन के साथ
गाना यानी मनोरंजन कम से कम 3 लोगों को बीच होना चाहिए। मनोरंजन में लोगों की संख्या 3 से अधिक हो सकती है लेकिन कम होने पर मनोरंजन का आनंद नहीं मिल पाता।
 

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4. यात्रा चार के साथ
आचार्य चाणक्य के अनुसार, यात्रा हमेशा 4 लोगों के साथ करनी चाहिए। यात्रा करते समय कई तरह के जोखिम रहते हैं। अधिक लोगों के साथ होने से यात्रा में मुसीबत के दौरान वे एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं।
 

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5. खेती पांच के साथ
खेती करना अकेले इंसान के बस की बात नहीं है। खेती में बहुत से काम होते हैं, जो एक-दूसरे के सहयोग से ही हो सकते हैं। इसलिए आचार्य चाणक्य के अनुसार खेती कम से कम 5 लोगों को मिलकर करनी चाहिए।
 

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6. युद्ध बहुत से सहायकों के साथ
युद्ध में आपके पक्ष में जितने लोग होंगे, आपके जीतने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। इसलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि युद्ध पर जाते समय अधिक से अधिक सहायकों को साथ लेकर जाना चाहिए।
 

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