उद्घाटन से पहले ही पानी में बह गया 1.42 करोड़ का ये पुल, टापू की शक्ल में पूरा इलाका, तेजस्वी ने कही ये बातें

पटना (Bihar) । बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) से पहले योजनाओं और परियोजनाओं के उद्घाटन-शिलान्यास का दौर चल रहा है। आज फिर कुछ परियोजनाओं का उद्घाटन होना है। इस बीच किशनगंज (Kishanganj)में एक निर्माणाधीन गोवाबाड़ी पुल बहने की खबर आ रही है। जिसकी लागत 1.42 करोड़ बताई जा रही है। बता दें कि इस इलाके लोग अभी भी बाढ़ की चपेट में हैं। वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने इसे लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साधा है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 18, 2020 3:39 AM IST / Updated: Sep 18 2020, 11:21 AM IST

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उद्घाटन से  पहले ही पानी में बह गया 1.42 करोड़ का ये पुल, टापू की शक्ल में पूरा इलाका, तेजस्वी ने कही ये बातें


बताया जाता है कि पथरघट्टी के ग्वालटोली के पास कनकई नदी का बहाव तेज हो गया है। जिसके कारण कच्ची सड़क तेजी से कटती गई। इस दौरान निर्माणाधीन पुल के एप्रोच पर चचरी बनाकर लोग आनाजाना कर रहे थे। अब पुल के एक हिस्से के धंस जाने से उधर का पूरा इलाका जलमग्न हो गया है।
 

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20 मीटर डायवर्जन नहीं बनाने के करोड़ों का नुकसान हुआ है। बता दें कि साल 2017 में आई प्रलयंकारी बाढ़ में दिघलबैंक प्रखंड पूरी तरह से तबाह हो गया था, जिसके बाद लोगों की सुविधाओं को देखते हुए इस पुल का निर्माण किया गया था।

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अधिकारी इसे आपदा बता रहे हैं, जबकि विपक्षी दलों के नेता लापरवाही और भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि एक महीने से इलाके की स्थिति गंभीर बनी हुई है, लेकिन किसी ने इसकी सुध नहीं ली। अब ये पुल भी ध्वस्त हो गया।
 

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स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि पुल निर्माण में अनियमितता बरती गई है। नियमों को ताक पर रख कर पुल निर्माण कार्य किया है, जिसके कारण ऐसा हुआ। 
 

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ग्रामीणों की मांग है कि इस मामले में जांच करके दोषियों पर कार्रवाई की जाए। बताया जाता है कि अब पुल के एक हिस्से के धंस जाने से उधर का पूरा इलाका टापू की शक्ल ले चुका है। 

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नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्टीट किया है। साथ ही लिखा है कि किशनगंज जिला में करोड़ों की लागत से निर्माणाधीन सुशासनी पुल उद्घाटन से पहले टूट गया। देखते है 15 वर्षों की भ्रष्टाचारी सरकार और 60 घोटालों के प्रबन्ध संरक्षक कर्ता श्री नीतीश कुमार और सुशील मोदी इसका दोष विपक्ष या प्रकृति में से किसे देते है? 

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