बिहार के इस नेता ने कभी मोदी लहर में जीत ली थी अपनी सभी सीटें,आज देख रहे सीएम बनने का सपना

पटना (Bihar) । आरजेडी (RJD) के महागठबंधन का हिस्सा रहे रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (RLSP president Upendra Kushwaha) ने अलग होकर बसपा के साथ तीसरा मोर्चा बना लिया है। वहीं, बसपा मुखिया मायावती (Mayawati)ने भी साफ कर दिया है कि बिहार की जनता के आर्शीवाद से यदि इस गठबंधन की सरकार बनीं तो वहीं मुख्यमंत्री (Chief Minister) होंगे। बता दें कि वैशाली(Vaishali) के एक छोटे से गांव से आने वाले उपेंद्र राजनीति में अपने फैसले से कई बार सबको परेशान कर चुके हैं। उन्होंने मोदी लहर में भी बिहार में अपने कोटे की सभी सीटें जीतकर विरोधियों को हैरान कर दिया था। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 30, 2020 1:27 PM IST / Updated: Oct 01 2020, 08:18 AM IST

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बिहार के इस नेता ने कभी मोदी लहर में जीत ली थी अपनी सभी सीटें,आज देख रहे सीएम बनने का सपना

समाजवादी सोच वाले उपेंद्र कुशवाहा राजनीति में आने के पहले शिक्षक थे। वो नॉनवेज भी खाते हैं। लेकिन, उन्हें सर्वाधिक प्रिय हरी सब्जी और रोटी है। उसमें भी सबसे ज्यादा पसंद नेनुआ की सब्जी है। कुर्ता-पायजामा उनका पसंदीदा परिधान है। बच्चों को पढ़ाना उनका सबसे प्रिय शौक है। वे गांव में जब भी खुद को समय मिलता है तो खुद भी पढ़ाते हैं।
(फाइल फोटो)

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कर्पूरी ठाकुर से प्रभावित होकर लोकदल से अपना सियासी सफर शुरू करने वाले उपेंद्र कुशवाहा की इस समय राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के नाम से अपनी पार्टी है। इसके पहले वो राज्य विधानसभा से लेकर लोकसभा और उच्च सदन राज्यसभा के भी सदस्य रह चुके हैं। लेकिन, मंजिल की तलाश में वो बार-बार रास्ता बदल रहे हैं। जिसमें इस बार उन्हें मायावती का साथ मिला है।

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राजनीति के जानकार कहते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा कभी नीतीश कुमार के करीबी मानें जाते थे। लेकिन, वे लालू यादव की सामाजिक राजनीति के प्रशंसक भी थे। बताते हैं कि लालू की ज्यों-ज्यों कांग्रेस से नजदीकी बढ़ी थी तो उपेंद्र उनसे दूर होते गए। उनके संबंध एनडीए और कांग्रेस भी अच्छे हैं। 

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जेडीयू से अलग होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने वर्ष 2013 में नई पार्टी रालोसपा का गठन किया था और ऐतिहासिक रैली कर विरोधियों को हैरान कर दिया। वहीं, एक साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए का हिस्सा बनकर उनकी पार्टी को बिहार में तीन सीटें मिलीं। यह सीटें थी काराकाट, सीतामढ़ी और जहानाबाद। मोदी लहर पर सवार रालोसपा का रिजल्ट शत-प्रतिशत रहा। पार्टी ने तीनों सीटों पर जीत हासिल की थी।(फाइल फोटो)

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बताते चले कि रालोसपा जिस तेजी के साथ बिहार और देश के राजनैतिक फलक पर उभरी थी, उसी तेजी से वह नीचे भी उतर भी है। देखा जाए तो आरजेडी ने तीन दिन में उन्हें दो बड़े झटके दिए हैं। प्रदेश अध्‍यक्ष भूदेव चौधरी के बाद उनके विश्‍वासपात्र व दाहिना हाथ माने जाने वाले राष्‍ट्रीय महासचिव माधव आनंद को भी अपने खेमे में मिला लिया है।

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उपेंद्र कुशवाहा को बिहार के सीएम बनाने की कोशिश में लगी बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि अपनी विचारधारा और मूवमेंट को ध्यान में रखते हुए यह गठबंधन किया है। गठबंधन का मुख्य उद्देश्य बिहार में खुशहाली लाकर वहां की जनता को बेरोजगारी, गरीबी और बाढ़ से मुक्ति दिलाना है। ताकि पीढ़ियों से चली आ रही घर-घर से पलायन की विवशता से लोगों को राहत मिल सके। उन्होंने जनता से एक मौका देने की अपील भी की है।
 

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