गांव वालों के हौसले को सलाम, सरकार ने नहीं सुनी तो गांव के लोगों ने खुद के पैसे से बनाया दशरथ मांझी पुल

Published : Sep 18, 2020, 06:15 PM ISTUpdated : Sep 18, 2020, 06:18 PM IST

पटना (Bihar) । चुनावी टाइम (Election time) में वोट मांगने के लिए सभी दलों के नेता गांव में आते हैं। उनके सामने गांव के लोग पुल का प्रस्ताव (Bridge proposal) रखते और वे जीतने पर उसे पूरा कराने का वादा करके चले  जाते। माननीय बनने के बाद जब गांव के लोग याद दिलाने तो वो आश्वासन देकर शांत करा देते। ऐसे ही 30 साल बीत गए। लेकिन, समस्या का समाधान नहीं हुआ। मगर, इस बार गांव के लोगों ने चुनावी बेला में नेताओं को आइना दिखाने के लिए उनकी जिम्मेदारी को अपने हाथ में ले लिया। पंचायत बुलाकर फैसला लिया और अपने 30 साल पुराने अधूरे पुल का निर्माण खुद के पैसे से कर दिया। जी हां यह कहानी नहीं, बल्कि हकीकत में देखने को वजीरगंज अमेठी पंचायत के बुधौल गांव में। जहां ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर पु‍ल का निर्माण कर दिया और उसका नामकरण माउंटेन मैन बाबा दशरथ मांझी (Mountain Man Baba Dashrath Manjhi) के नाम पर किया। 

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गांव वालों के हौसले को सलाम, सरकार ने नहीं सुनी तो गांव के लोगों ने खुद के पैसे से बनाया दशरथ मांझी पुल

बुधौल गांव में 30 वर्षों से अधूरे पुल का निर्माण न होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। आरोप है कि विधायक इस गांव में आए भी और पुल को पूरा करने का वादा करके चले गए। लेकिन, आज तक पूरा नहीं हुआ। 

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बरसात के दिनों में मांगुरा नदी में पानी आ जाने से लोग दूसरे रास्ते से होकर वजीरगंज जाते थे। पिछले साल भी इस नदी को पार करने में तीन बच्चे के साथ उसकी मां की डूबने से मौत हो गई थी।

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इस बार भी बारिश में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में गांव के लोगों ने पंचायत बुलाकर खुद के पैसे से पुल बनाने का निर्णय लिया। सभी ने चंदा देने का मन बनाया और 10 लाख रुपए इकट्ठा हो गए।

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गांव के लोग श्रमदान करके मंगुरा नदी पर 100 फुट लंबा और 10 फुट चौड़ा पुल बना दिए। पुल का नाम बाबा दशरथ मांझी सेतु रखा गया है, क्योंकि इसी क्षेत्र के माउंटेन मैन बाबा दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था और उसी का प्रेरणा लेकर यह काम किया गया।

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बता दें कि इस पुल के निर्माण होने से बुधौल सहित अन्य दर्जनों गांव के लोग वजीरगंज बाजार तक आसानी से आवागमन कर पाएंगे। इससे पहले 7 किलोमीटर घूम करने के बाद वजीरगंज बाजार जाना पड़ता था। लेकिन, इस पुल के बन जाने से यह दूरी मात्र 1 किलोमीटर हो गई।
 

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