Published : Oct 19, 2020, 12:12 PM ISTUpdated : Oct 19, 2020, 12:20 PM IST
पटना (Bihar ) । बिहार विधानसभा चुनाव हर बार से ज्यादा दिलचस्प गया है। कोरोना संक्रमण के बीच हो रहे 243 सीटों पर चुनाव के लिए कई ऐसे भी चेहरे सामने आए हैं, जिन्होंने विधायक बनने की चाह में अपनी नौकरी ही छोड़ दी। इऩमें ऐसे भी प्रत्याशी शामिल हैं, जो पहले विदेश से काम छोड़कर चले आए हैं और चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि इस मामले में शिक्षक, डॉक्टर और सरपंच भी पीछे नहीं हैं। जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
बताते चले कि बिहार विधानसभा के 243 पर वोटिंग इस बार तीन चरण में होगी। इनमें पहले चरण का चुनाव 28 अक्टूबर, दूसरे दौर का मतदान 3 नवंबर और लास्ट फेज का इलेक्शन 7 नवंबर को होगा। जिसमें ये प्रत्याशी अलग-अलग चरण में चुनाव लड़ रहे हैं।
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वेदप्रकाश पेशे से डॉक्टर हैं । लेकिन, विदेश से काम-धाम छोड़ बिहार आ गए। वो भोजपुर के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र से रालोसपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
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चनपटिया से भाजपा प्रत्याशी उमाकांत सिंह मुखिया रहे हैं। परिहार से राजद प्रत्याशी रितु जायसवाल भी मुखिया रही हैं। कोचाधामन से राजद ने शाहिद आलम को अपना उम्मीदवार बनाया है। वो एक समय मुखिया भी रहे हैं और जिला परिषद के सदस्य रहे हैं।
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गौतम कृष्ण बीडीओ थे। नौकरी छोड़कर चुनाव मैदान में हैं। वो महिषी से आरजेडी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
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रानीगंज से आरजेडी ने अविनाश मंगलम को अपना प्रत्याशी बनाया है। वो पेशे से नियोजित शिक्षक थे। नियोजित शिक्षकों को संगठित करने के काम में भी अपने को लगाया। मन यहां संतुष्ट नहीं हुआ। नियोजित शिक्षक की नौकरी छोड़ दी और चुनाव लड़ने का मन बना लिया।
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बक्सर से भाजपा की टिकट पर लड़ रहे परशुराम चतुर्वेदी भी पुलिस में रहे हैं। बता दें कि एनडीए के गठबंधन से इसी सीट पर बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय टिकट चाहते थे। जिसके लिए उन्होंने वीआरएस भी ले लिया था। लेकिन, टिकट हासिल नहीं कर सके।