ये है पहला बाहुबली नेता, जिसे मिली थी फांसी की सजा; अब पत्नी सहरसा से लड़ेगी चुनाव, बेटे को लेकर है यह चर्चा

पटना (Bihar) । डीएम की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले पहले बाहुबली नेता आनंद मोहन (Anand Mohan) को बाहर लाने के लिए उनकी पत्नी और पूर्व सांसद लवली आनंद ( Lovely Anand) परेशान हैं। वे इसके बार-बार पार्टियां बदल रही हैं। इस समय आरजेडी (RJD ) के साथ पॉलिटिक्स करना शुरू कर दी है। पार्टी ने उन्हें सहरसा से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया है। खबर है कि लवली आनंद को RJD की ओर से टिकट दिया गया है। बताते चले कि सहरसा में तीसरे चरण में वोटिंग होगी, जिसके लिए 7 नवंबर को मत डाले जाएंगे, जबकि 10 नवंबर को मतगणना होगी। वहीं, कल यह भी खबर सामने आई थी कि आनंद मोहन (Anand Mohan) के बेटे चेतन आनंद (Chetan Anand) को शिवहर से राजद का सिम्बल मिल गया है।
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 12, 2020 3:16 AM IST / Updated: Oct 12 2020, 08:49 AM IST

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ये है पहला बाहुबली नेता, जिसे मिली थी फांसी की सजा; अब पत्नी सहरसा से लड़ेगी चुनाव, बेटे को लेकर है यह चर्चा

आनंद मोहन की तरह लवली आनंद जल्दी-जल्दी पार्टियां बदलती रही हैं। लवली आनंद पहली बार 1994 में उपचुनाव जीतकर सांसद बनी। इसके बाद बिहार पीपुल्स पार्टी ,कांग्रेस , सपा हम (सेक्युलर) और नीतीश कुमार के भी साथ रहकर चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि इस बार राजद में शामिल हो गई हैं।  (फाइल फोटो)

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लवली आनंद की पहचान भाभी जी नाम से भी खूब थी। शुरू में उनकी रैलियों में इतनी भीड़ होती थी कि उस समय नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव तक हैरान हो जाते थे। बता दें जब वो पहली बार चुनाव लड़ी थी तो उनके पास साढ़े पांच लाख रुपए ही था। लेकिन, 2015 तक उनके पास 1.83 करोड़ की संपत्ति हो गई। (फाइल फोटो)

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बताते चले कि सहरसा जिले में पनगछिया गांव जन्में आनंद मोहन 80 के दशक में बिहार में बाहुबली नेता बन चुके थे। उन पर कई मुकदमे भी दर्ज हुए। पहली बार 1983 में तीन महीने के लिए जेल जाने के बाद 1990 के विधानसभा चुनाव में महिषी सीट से 62 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज किए थे।

(फाइल फोटो)
 

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साल 1993 में जनता दल से अलग होकर बिहार पीपुल्स पार्टी बनाई हालांकि बाद में समता पार्टी से हाथ मिला लिया। उस समय उनके घर बड़े नेताओं का आना-जाना शुरू हो गया था। इसी समय उनकी मुलाकात बाहुबली छोटन शुक्ला से हुई, जो धीरे-धीरे गहरी दोस्ती में बदल गई थी। इससे वो बहुत से लोग उनसे अंदर-अंदर ईष्या भी रखते थे। (फाइल फोटो)

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अंडरवर्ड में वर्चस्व बनाए रखने को लेकर 1994 में छोटन शुक्ला की हत्या हो गई थी। बताते हैं कि हत्यारों के गिरफ्तारी को लेकर प्रदर्शन भी हो रहा था, तभी गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया वहां से गुजर रहे थे। जिनकी भीड़ में हत्या कर दी गई थी। आरोप था कि आनंद मोहन के कहने पर भीड़ ने डीएम की हत्या की। इसपर उन्हें जेल जाना पड़ा था। (फाइल फोटो)

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1996 में लोकसभा चुनाव आनंद मोहन जेल में थे। वहीं, से उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर शिवहर सीट से 40 हजार से ज्यादा वोटों से जीतें थे। 1998 में फिर उन्होंने इसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार राष्ट्रीय जनता पार्टी के टिकट पर। ये चुनाव भी उन्होंने जीत लिया। 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी आनंद मोहन खड़े हुए, लेकिन हार गए। (फाइल फोटो)

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साल 2007 में निचली अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुना दी। आनंद मोहन देश के पहले पूर्व सांसद और पूर्व विधायक हैं, जिन्हें मौत की सजा मिली। हालांकि, पटना हाईकोर्ट ने दिसंबर 2008 में मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी जुलाई 2012 में पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। आनंद मोहन अभी भी जेल में ही हैं। (फाइल फोटो)

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बताते चले कि शादी के तीन साल बाद अपने पति की पार्टी बीपीपी से ही राजनीति में इंट्री करने वाली लवली आनंद भी उन्हीं की तरह फैसला लेती हैं। उनपर कभी पांच क्रिमिलन केस भी थे, जो अब एक भी नहीं हैं। बताते हैं कि वो 6 बार चुनाव लड़ चुकी हैं। लेकिन, वो सिर्फ एक ही बार जीत पाई हैं।  (फाइल फोटो)

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