कम्युनिस्ट MLA की हत्या के दोष में CBI ने दी थी उम्रकैद की सजा, कैसे बचे थे सोशल वर्कर पप्पू यादव?

Published : Sep 15, 2020, 03:55 PM ISTUpdated : Nov 09, 2020, 04:49 PM IST

पटना  (Bihar) । बिहार की राजनीति में एक लंबे समय से अपराध और राजनीति एक सिक्के के दो पहलू माने जाते रहे हैं। शायद इसी वजह से नेता दबंगों और अपराधियों की ओट में वोट से अपनी झोली भरने के आतुर दिखते थे। हालांकि अब भी राजनीति में बाहुबलियों का बोलबाला है मगर कई चीजें वक्त के साथ सीमित हुई हैं और बदलाव देखा जा सकता है। कई पुराने बाहुबली अब भी ठसक के साथ राजनीति में मौजूद हैं लेकिन कई पुराने आरोपों से निकलकर पूरी तरह जनता के सेवक बन चुके हैं। इन्हीं में से एक हैं- जन अधिकार पार्टी के मुखिया और पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ( Pappu Yadav)।

PREV
110
कम्युनिस्ट MLA की हत्या के दोष में CBI ने दी थी उम्रकैद की सजा, कैसे बचे थे सोशल वर्कर पप्पू यादव?


पप्पू यादव की पहचान बिहार में कभी बाहुबली के रूप में की जाती थी। उनकी दबंग छवि थी, लेकिन आज की तारीख में वह बाहुबल की राजनीति से मीलों दूर हैं और एक सोशलवर्कर के रूप में जाने जाते हैं। पिछले कुछ सालों में सोशल वर्कर पप्पू यादव की तस्वीरें कई बार लोगों ने देखी होगी। लोकसभा में भी सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले सांसदों के रूप में भी उनका नाम आ चुका है। (फाइल फोटो)

210


1986-87 में लालू प्रसाद यादव की राजनीति ऊपर की ओर बढ़ रही थी। इस दौर में वह बिहार में विरोधी दल के नेता बनना चाहते थे। कहते हैं कि लालू की राजनीति को जमाने में तब दलित-पिछड़ा समाजवादी नेताओं के साथ बाहुबलियों ने भी काफी मदद की। इन्हीं में से पप्पू यादव और मोहम्मद शहाबुद्दीन भी थे। लालू की वजह से ही पप्पू राजनीति में सक्रिय हुए थे और एक समय आरजेडी चीफ से उनकी इतनी करीबी थी कि लोग उन्हें लालू का उत्तराधिकारी भी कहने लगे थे। हालांकि वक्त के साथ ऐसा संभव नहीं हो पाया।(फाइल फोटो)
 

310


एक इंटरव्यू में पप्पू यादव ने कहा था, "शुरू में मैं तो एक सीधा-सादा छात्र था और लालू यादव को अपना आदर्श मानता था। लेकिन, ऐसा नहीं था। वो बार-बार छल करते गए। वो विरोधी दल का नेता बनना चाहते थे। उस समय इस दौड़ में अनूप लाल यादव, मुंशी लाल और सूर्य नारायण भी शामिल थे। मैं अनूप लाल यादव के घर में ही रहता था। लेकिन, मैं लालू का समर्थन कर रहा था।" हालांकि पप्पू यादव खुद के बाहुबली होने की बात को लगातार खारिज करते आए हैं।(फाइल फोटो)

410


लालू के नेता विरोधी दल बनने के बाद पटना के सभी अखबारों में एक खबर प्रकाशित हुई कि कांग्रेस नेता शिवचंद्र झा की हत्या करने के लिए पूर्णिया से एक कुख्यात अपराधी पप्पू यादव पटना पहुंचा है, जिसकी खबर पटना विश्वविद्यालय के पीजी हॉस्टल जाने पर हुई, जबकि किसी थाने में कोई केस तक नहीं दर्ज था।(फाइल फोटो)

510


पप्पू के मुताबिक "मैं तीन दिनों तक अपने एक मित्र के घर में रहा। वहां से कोलकता भाग गया। मगर, पुलिस मेरे पीछे पड़ गई और मेरे पीछे घर की कुर्की भी हो गई। मां-बाप को सड़क पर रात गुजारनी पड़ी। मेरे पिता लालू से मिले, लेकिन उन्होंने मदद देने से इनकार कर दिया।"(फाइल फोटो)

610


पप्पू यादव के नाम से जुड़ा जो चर्चित मामला है वो माकपा के पूर्व विधायक अजित सरकार की हत्या का है। अजित सरकार और पप्पू यादव के बीच किसानों के मुद्दे को लेकर राजनीतिक मतभेद था। 14 जून, 1998 को पूर्णिया में अज्ञात हमलावरों ने अजित सरकार की गोली मार कर हत्या कर दी थी। इस केस में आरोप पप्पू यादव के ऊपर लगा। मामले के संवेदनशील और राजनीतिक होने की वजह से स्वतंत्र जांच के लिए सीबीआई का भी गठन किया गया।(फाइल फोटो)

710


सीबीआई की विशेष अदालत ने 2008 में इसी हत्याकांड के लिए पप्पू यादव, राजन तिवारी और अनिल यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि पप्पू यादव ने खुद पर लगे आरोपों के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में अपील की। 2008 में सुनवाई के दौरान सबूत और साक्ष्य की बिना पर हाईकोर्ट ने पप्पू यादव को रिहा कर दिया था।(फाइल फोटो)

810


पप्पू यादव को तिहाड़ और पटना की बेऊर जेल में भी रहना पड़ा। तिहाड़ जेल में बिताए दिनों के अनुभव को पप्पू यादव ने एक किताब में विस्तार से लिखा है। पप्पू यादव के जीवन पर आधारित किताब द्रोहकाल का पथिक काफी लोकप्रिय है। इसमें उनके जीवन के कई पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी गई है। इसमें उनकी पत्नी रंजीत के साथ की प्रेम कहानी का भी जिक्र है। पप्पू यादव हमेशा से खुद को बाहुबली मानने से इनकार करते रहे हैं। वो अतीत में खुद पर लगाए सभी आरोपों को भी खारिज करते हैं। कई बार उन्होंने बाहुबली छवि गढ़ने के लिए सीधे-सीधे राजद सुप्रीमों लालू यादव को दोषी ठहराया है।
(फाइल फोटो)

910


बताते चलें कि पप्पू यादव ने 1990 में सिंहेश्वरस्थान, मधेपुरा से विधानसभा का चुनाव लड़े और चुन लिए गए। 1991 में पूर्णिया से 10वीं लोकसभा के लिए चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद पप्पू ने साल 1996, 1999 और 2004 में लोकसभा चुनाव जीते। मई 2015 में आरजेडी से पप्पू यादव को निकाल दिया, क्योंकि उनपर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा।(फाइल फोटो)

1010


राजद से निकाले जाने के बाद पप्पू ने अपनी नई पार्टी "जन अधिकार पार्टी" बनाई। साल 2015 के चुनाव में पप्पू ने मधेपुरा का चुनाव जीते, मगर 2019 का चुनाव हार गए। पप्पू यादव की पार्टी 2020 के विधानसभा चुनाव में भी कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रही है। वो छोटे छोटे दलों के साथ गठबंधन की कोशिश में भी हैं।(फाइल फोटो)

Recommended Stories