खौफनाक शहाबुद्दीन को पिता की मौत के बाद भी नहीं मिली पेरोल, आज भी सीवान में हैं दहशत के निशान

पटना (Bihar) । पिछले तीन साल से दिल्ली के तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में अपने  गुनाहों की सजा काट रहा बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन (Shahabuddin) बेटे होने का भी फर्ज अदा नहीं कर सका। तेजाब कांड (Acid scandal)  में आजीवन उम्रकैद की सजा काट रहा यह बाहुबली पिता की मौत के बाद भी पैरोल पर जेल के बाहर नहीं आ सका। बता दें कि एक ऐसा भी समय था, जब वह खुद को कानून से ऊपर मानता था, जिसके चलते उसके खौफ में सीवान के लोग अपने घर और दुकानों पर उसकी तस्वीर लगाते थे।

Asianet News Hindi | Published : Sep 27, 2020 8:36 AM IST / Updated: Nov 04 2020, 08:44 AM IST

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खौफनाक शहाबुद्दीन को पिता की मौत के बाद भी नहीं मिली पेरोल, आज भी सीवान में हैं दहशत के निशान

शेख मोहम्मद हसीबुल्लाह (90) वर्ष का बीते दिनों निधन हो गया था। पिता के जनाजे और क्रिया-कर्म में शामिल होने के लिए शहाबुद्दीन पैरोल की मांग कर रहा था। लेकिन, उसे यह छूट नहीं दी गई। बता दें कि आज की तारीख में पुलिस रिकार्ड में वह एक ऐसा अपराधी माना जाता है, जिसे मान लिया गया है कि वो कभी नहीं सुधर सकता।
(फाइल फोटो)

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बताते चले कि शहाबुद्दीन राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के करीबी होने के कारण चार बार सांसद दो और बार विधायक बना था। 1996 में तो वह लालू की कृपा से केंद्रीय राज्य मंत्री भी बनने वाला था। मगर, एक पुराना केस खुलने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया।(फाइल फोटो)

 

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सीवान के लोग बताते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब शहाबुद्दीन के खौफ से वे अपने लिए भी खर्च करने से भी बचते थे। घरों में सभी लोग नौकरी नहीं करते थे। व्यापारी नई गाड़ियां नहीं खरीदते थे। क्योंकि, संपन्नता दिखने पर उन्हें "टैक्स" के रूप में उसे रंगदारी देनी पड़ सकती थी। इतना ही नहीं, मना करने पर जान तक जा सकती थी। हालांकि नीतीश राज में वह जेल गया तो लोगों को थोड़ी राहत मिली। (फाइल फोटो)

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शहाबुद्दीन पर लालू परिवार की कृपा का रहस्य आजतक लोग नहीं समझ पाए हैं। ये सोचने की बात है कि आलोचनाओं के बढ़ने पर समय के साथ लालू ने अपने बाहुबली सालों साधु और सुभाष से किनारा कर लिया। लेकिन, सीवान और पूरे बिहार का सबसे दुर्दांत अपराधी उनका और उनकी पार्टी का खास बना रहा। इस समय उसकी पत्नी राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य हैं।(फाइल फोटो)

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लालू के इस करीबी पर चुनाव लड़ने पर निर्वाचन आयोग ने 2009 में रोक लगा दिया। ऐसे में उसने सीवान से अपनी जगह पत्नी हीना शहाब को कई बार चुनाव जिताने की कोशिश की। मगर, अब तक हर बार नाकाम रहा।(फाइल फोटो)

 

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