नदी पार कर पढ़ने जाते थे गुप्तेश्वर पांडेय,10 साल की उम्र में हो गई थी पुलिस से नफरत,IPS बनने का नहीं था सपना

पटना (Bihar) । बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय (DGP Gupteshwar Pandey) की स्वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) को बिहार सरकार (Bihar Government)  ने मंजूरी दे दी है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि उन्हें बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Elections) में बक्सर (Buxar) या भोजपुर (Bhojpur से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। बता दें कि वे जिस गांव थे वहां के बच्चों को पढ़ने के लिए नदी नाला पार कर दूर के गांव जाना होता था। दूसरे गांव की स्कूल में भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव था कोई बेंच, डेस्क, कुर्सी नहीं थी। गुरु जी की बैठने के लिए चारपाई और छात्रों के लिए बोरा या जूट की टाट थी। पढ़ाई का मध्यम ठेठ भोजपुरी था। एक इंटरब्यू में गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा था कि मेरा कभी आईपीएस बनने का सपना नहीं था, क्योंकि दस साल की उम्र में उन्हें एक घटना से पुलिस वालों से नफरत हो गई थी।

Asianet News Hindi | Published : Sep 23, 2020 4:12 AM IST / Updated: Sep 23 2020, 09:47 AM IST

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नदी पार कर पढ़ने जाते थे गुप्तेश्वर पांडेय,10 साल की उम्र में हो गई थी पुलिस से नफरत,IPS बनने का नहीं था सपना

गुप्तेश्वर पांडेय 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। 31 जनवरी 2019 को उन्हें बिहार का डीजीपी बनाया गया था। उनका कार्यकाल करीब 5 महीने का ही बचा था। 
 

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गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा था कि एक बार बचपन में उनके घर में सेंधमारी हुई थी। तब, अधिकारी ने बदतमीजी की थी। उस समय मैं दस साल का था।10 साल की उम्र में इस घटना का मुझपर बड़ा असर पड़ा। मुझे लगा पुलिसवाले इतने खराब होते हैं क्या? उसके बाद 11वीं में इंटरनल परीक्षा में फेल हो गया। साइंस और मैथ्स में दिलचस्पी नहीं थ। इसके बाद आर्ट्स साइड से परीक्षा देकर अच्छे नंबर आए।

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गुप्तेश्वर पांडेय के मुताबिक उन्होंने "संस्कृत से मैंने ग्रेजुएशन की, फिर खेती करने गांव गए। बिना किसी कोचिंग के बल पर 1996 में आईआरएस (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) की परीक्षा पास किए। लेकिन बुक कीपिंग एंड अकाउंटेंसी न आने के कारण फेल हो गए। जिसके चलते दोबारा परीक्षा दिए और आईपीएस बने। उन्हें बिहार में ही सेवा करने का मौका मिला।

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गुप्तेश्वर पांडेय की पहचान कड़क अधिकारी के तौर पर होती थी और वो पोस्ट क्राइसिस मैनेजमेंट और काम्यूनल वॉयलेंस को संभालने में माहिर माने जाते थे। बिहार पुलिस में उनकी पहचान विशेष और स्मार्ट पुलिसिंग के लिए होती थी। उन्होंने अपने कार्यकाल में करीब 400 दागी अधिकारी बाहर किए, वहीं कई होनहार अधिकारियों को सम्मानित भी किया किया।

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डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने अपने दिन की शुरुआत में भगवान की आराधना के साथ करते हैं। घर के मंदिर में सुबह-सुबह पूजा करते हैं, जिसके बाद 5 किलोमीटर टहलते हैं, टहलने के बाद व्यायाम करते हैं।

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बता दें कि गुप्तेश्वर पांडेय अपने बेबाकी के लिए फेमस हैं। पिछले दिनों वो अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में भरपूर एक्शन में दिखे थे।

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गुप्तेश्वर पांडेय जब महाराष्ट्र और बिहार पुलिस के बीच खींचातान शुरू हुई तो उस जंग में कूद गए थे और बिहार पुलिस की आवाज को बुलंद किए थे। वहीं रिया चक्रवर्ती के खिलाफ भी उन्होंने कई बयान दिए थे।
 

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पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने आज अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है कि मैं 23 सितंबर 2020 को शाम 6 बजे अपने सोशल मीडिया अकाउंट के फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब प्लेटफार्म पर लाइव आऊंगा। अपने इस कार्यक्रम का नाम 'मेरी कहानी, मेरी जुबानी' दिया है, जिसके तहत वो लोगों से साक्षात्कार कर सकेंगे।

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