शहाबुद्दीन के खौफ का अंत करने वाले IPS थे सिंघल, 24 साल बाद मिला है DGP का चार्ज

Published : Sep 24, 2020, 09:28 AM ISTUpdated : Sep 24, 2020, 10:43 AM IST

पटना (Bihar) । बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय (DGP Gupteshwar Pandey) के वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ) के बाद राज्य सरकार ने आईपीएस अफसर एसके सिंघल  (IPS SK Singhal) को डीजीपी का प्रभार सौंपा है। बता दें कि 1988 रैंक के यह वही आईपीएस अधिकारी हैं, जिनपर 24 साल पहले बाहुबली शहाबुद्दीन (Shahabuddin) ने सीवान (seevaan में हमला किया था। फिर, उस समय केंद्रीय मंत्री बनने की दौड़ में शामिल इस बाहुबली को सबक सिखाने के लिए उन्होंने वर्दी और कानून की ताकत दिखाई थी। नतीजा यह रहा कि उसे दस साल की सजा सुनाई गई और मंत्री बनने का सपना आज तक नहीं पूरा हो सका। इतना ही नहीं कोर्ट से तेजाब कांड के मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

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शहाबुद्दीन के खौफ का अंत करने वाले IPS थे सिंघल, 24 साल बाद मिला है DGP का चार्ज


बता दें कि कम्युनिस्ट और बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ खूनी मार-पीट के बाद शहाबुद्दीन सुर्खियों में आया था। पहली बार 1986 में उसके खिलाफ केस दर्ज हुआ था। आज की तारीख में पुलिस रजिस्टर में शहाबुद्दीन एक ऐसे अपराधी के रूप में दर्ज है, जिसे लेकर मान लिया गया है कि वो कभी नहीं सुधर सकता।
(फाइल फोटो)
 

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सीवान में शहाबुद्दीन का खौफ किस तरह था का अंदाजा सिर्फ इस बात से भी लगा सकते हैं कि लोग अपने लिए भी खर्च करने से भी बचते थे। घरों में सभी लोग नौकरी नहीं करते थे। व्यापारी नई गाड़ियां नहीं खरीदते थे। क्योंकि, संपन्नता दिखने पर उन्हें "टैक्स" के रूप में उसे रंगदारी देनी पड़ सकती थी। मना करने पर जान तक जा सकती थी।  
(फाइल फोटो)

 

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शहाबुद्दीन राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव के करीबी होने के कारण चार बार सांसद दो और बार विधायक बना। बताते हैं कि वह लालू की कृपा से 1996 में वह केंद्रीय राज्य मंत्री भी बनने वाला था। मगर, एक पुराना केस खुलने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया था।(फाइल फोटो)

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कहा जाता है कि 1996 में ही सीवान में एसपी एसके सिंघल से उसका सामना हो गया था। जिनपर उसने हमला किया था। इसपर एसपी ने दरौली पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज कराया गया और मामला कोर्ट तक पहुंचा। 2007 में एक विशेष अदालत ने शहाबुद्दीन को इस मामले में 10 साल की सजा सुनाई।(फाइल फोटो)

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नीतीश राज में शहाबुद्दीन जेल गया तो लोगों को थोड़ी राहत मिली। लालू के इस करीबी पर चुनाव लड़ने पर निर्वाचन आयोग ने 2009 में रोक लगा दिया। ऐसे में उसने सीवान से अपनी जगह पत्नी हीना शहाब को कई बार चुनाव जिताने की कोशिश की। मगर, अब तक हर बार नाकाम रहा।
(फाइल फोटो)

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शहाबुद्दीन पर लालू परिवार की कृपा का रहस्य आजतक लोग नहीं समझ पाए हैं। ये सोचने की बात है कि आलोचनाओं के बढ़ने पर समय के साथ लालू ने अपने बाहुबली सालों साधु और सुभाष से किनारा कर लिया। लेकिन, सीवान और पूरे बिहार का सबसे दुर्दांत अपराधी उनका और उनकी पार्टी का खास बना रहा। इस समय उसकी पत्नी राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य हैं।
(फाइल फोटो)
 

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