बताते हैं कि अगस्त 1987 में कनॉट प्लेस में घड़ी के बड़े शोरूम में कार से पहुंचा। वित्तमंत्री नारायण दत्त तिवारी के पर्सनल स्टाफ के रूप में अपना परिचय दिया। कहा कि पीएम राजीव गांधी ने एक मीटिंग बुलाई है, जिसमें शामिल होने वाले सभी लोगों को वे घड़ी भेंट करना चाहते हैं। 93 घड़ी चाहिए। शोरूम मालिक घड़ी पैक कर ले लिया और एक स्टाफ को अपने साथ नॉर्थ ब्लॉक ले गया। वहां उसने स्टाफ को भुगतान के तौर पर 32,829 रुपए का बैंक ड्राफ्ट दिया। दो दिन बाद जब शोरूम मालिक ने ड्राफ्ट जमा किया तो पता चला कि बैंक ड्राफ्ट फर्जी है।